अरस्तू का विरेचन सिद्धांत पर टिप्पणी करें


अरस्तू का विरेचन सिद्धांत का परिचय:

अरस्तू (Aristotle) यूनानी दर्शनशास्त्र के सबसे महान चिंतकों में से एक थे। उन्होंने साहित्य, राजनीति, तर्कशास्त्र, विज्ञान और काव्यशास्त्र सहित अनेक विषयों पर गहन विचार किए। उनके द्वारा रचित ग्रंथ ‘पॉयटिक्स’ (Poetics) में उन्होंने काव्य विशेषतः नाटक के स्वरूप, उद्देश्य और प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की है।

इसी ग्रंथ में उन्होंने एक अत्यंत महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किया, जिसे हम “विरेचन सिद्धांत” (Catharsis Theory) के नाम से जानते हैं। यह सिद्धांत विशेष रूप से दुखांत नाटक (Tragedy) से जुड़ा हुआ है।


विरेचन (Catharsis) का अर्थ:

‘Catharsis’ एक ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ होता है – शुद्धि, शुद्धिकरण या शमन। अरस्तू के अनुसार, दुखांत नाटक में दर्शकों के मन में जो करुणा (Pity) और भय (Fear) की भावना उत्पन्न होती है, वह उन्हें एक प्रकार की मानसिक और भावनात्मक शुद्धि की ओर ले जाती है।

इस प्रकार, नाटक केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि वह दर्शकों के भीतर छिपे हुए भावों को जाग्रत कर उन्हें शुद्ध करता है।


विरेचन की प्रक्रिया:

अरस्तू ने कहा कि जब कोई व्यक्ति दुखांत नाटक देखता है और उसमें किसी पात्र के दुख, पतन या संघर्ष को देखता है, तो वह उसकी स्थिति से करुणा करता है – यह सोचकर कि यह दुख किसी के भी जीवन में आ सकता है।

साथ ही उसे भय भी लगता है – यह विचार कर कि ऐसा कुछ स्वयं उसके साथ भी घट सकता है।

इन दोनों भावनाओं की भीतर से अनुभूति उसे आंतरिक रूप से हिला देती है और अंततः जब नाटक का समाधान होता है, तो दर्शक के भीतर संचित भावनाओं का विसर्जन होता है – यही विरेचन है।


मानसिक और नैतिक प्रभाव:

अरस्तू का मानना था कि विरेचन का प्रभाव केवल मानसिक नहीं, नैतिक स्तर पर भी होता है। जब दर्शक किसी त्रासदी को देखकर भावनात्मक रूप से हिलता है, तो वह अपने आचरण और सोच को भी सुधारने की ओर प्रवृत्त होता है।

इस प्रकार नाटक एक आत्मिक अनुभव बन जाता है, जो दर्शक को अंतरमुखी बनाता है और उसे संवेदनशील तथा सजग बनाता है।


साहित्यिक आलोचना में महत्व:

विरेचन सिद्धांत ने पश्चिमी साहित्यशास्त्र में एक मूलभूत आलोचना पद्धति को जन्म दिया। बाद में अनेक आलोचकों ने इस सिद्धांत की व्याख्या की और उसे मनोविश्लेषण, भाव-शास्त्र, और सामाजिक चेतना से जोड़ा।

कुछ आधुनिक विचारकों ने विरेचन को भावनात्मक तनाव मुक्ति के रूप में भी देखा, जिससे व्यक्ति का मानसिक संतुलन बना रहता है।

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