ई-मेल’ पर टिप्पणी कीजिए।


ई-मेल, जिसका पूरा नाम है इलेक्ट्रॉनिक मेल, एक ऐसा माध्यम है जिससे हम इंटरनेट के ज़रिए किसी को भी संदेश, दस्तावेज़, चित्र, लिंक, या कोई भी डिजिटल सामग्री भेज सकते हैं। यह संचार का आधुनिक और तेज़ तरीका है, जिसकी मदद से दुनिया के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से कुछ ही सेकंड में संपर्क किया जा सकता है।

ई-मेल की शुरुआत 1970 के दशक में हुई थी, लेकिन यह आम लोगों तक 1990 के दशक में पहुँचा जब इंटरनेट का प्रयोग व्यापक रूप से होने लगा। आज यह न सिर्फ व्यक्तिगत बातचीत के लिए, बल्कि व्यवसाय, शिक्षा, सरकारी कार्यों, और औपचारिक संवाद के लिए एक आवश्यक साधन बन चुका है।

ई-मेल भेजने के लिए सबसे पहले एक ई-मेल आईडी यानी पता बनाना होता है। उदाहरण: yourname@gmail.com। इसके बाद किसी भी ई-मेल सेवा जैसे Gmail, Yahoo, Outlook आदि के माध्यम से लॉग इन कर, किसी अन्य व्यक्ति की ई-मेल आईडी पर संदेश भेजा जा सकता है। ई-मेल में विषय (Subject), प्रापक (To), संदेश (Body) और ज़रूरत हो तो संलग्नक (Attachment) भी जोड़े जा सकते हैं।

ई-मेल के कुछ मुख्य लक्षण होते हैं:

  • तत्कालता: यह संदेश कुछ ही सेकंड में पहुँच जाता है।
  • लिखित रिकॉर्ड: ई-मेल का एक स्थायी लेखा-जोखा रहता है जिसे भविष्य में देखा जा सकता है।
  • सुलभता: मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर से कभी भी, कहीं से भी ई-मेल भेजा या पढ़ा जा सकता है।
  • आधिकारिकता: यह औपचारिक संवाद का एक स्वीकृत माध्यम है, जिसे सरकारी या व्यावसायिक दस्तावेज़ के रूप में भी मान्यता दी जाती है।

आज के दौर में ई-मेल का उपयोग कई स्तरों पर होता है। छात्र कॉलेज में प्रवेश के लिए फॉर्म भरते समय ई-मेल आईडी का प्रयोग करते हैं, नौकरी के आवेदन ई-मेल से भेजे जाते हैं, ऑफिस में मीटिंग की सूचना, परियोजना रिपोर्ट या फीडबैक भी ई-मेल से ही साझा किया जाता है।

ई-मेल भाषा आमतौर पर संक्षिप्त, स्पष्ट और औपचारिक होती है। इसमें विषय के अनुसार संबोधन किया जाता है, जैसे “मान्यवर”, “प्रिय सर/मैडम” आदि। अंत में “धन्यवाद”, “सादर” जैसे शब्दों से ई-मेल का समापन होता है।

हालाँकि, आजकल WhatsApp, इंस्टाग्राम और अन्य मैसेजिंग एप्स बहुत तेज़ी से लोकप्रिय हो गए हैं, लेकिन ई-मेल का औपचारिक महत्व आज भी बना हुआ है। कंपनियाँ, विश्वविद्यालय, कार्यालय और सरकारी संस्थाएँ अब भी ई-मेल को ही प्राथमिक माध्यम के रूप में प्रयोग करती हैं।

ई-मेल ने पारंपरिक डाक सेवा की तुलना में संवाद को अधिक तेज़, सुरक्षित और व्यवस्थित बना दिया है। इसकी सहायता से संवाद का स्तर न केवल विस्तृत हुआ है, बल्कि अधिक प्रामाणिक और व्यवस्थित भी हो गया है।

Leave a comment