ग़ज़ल पर टिप्पणी


परिचय:

ग़ज़ल उर्दू साहित्य की एक अत्यंत लोकप्रिय और भावनात्मक काव्य विधा है, जो अपने गहरे अहसास, सुंदर भाषा और संक्षिप्त अभिव्यक्ति के लिए जानी जाती है। यह एक ऐसी शैली है जिसमें प्रेम, दर्द, विरह, समाज, राजनीति, दर्शन और आत्मचिंतन – सब कुछ बड़ी खूबसूरती से समाया होता है। ग़ज़ल न केवल साहित्य का अंग है, बल्कि यह संगीत, संस्कृति और जन-जीवन का भी अहम हिस्सा बन चुकी है।


परिभाषा:

ग़ज़ल अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है “स्त्री से प्रेम की बात करना” या “प्रेम वार्ता।” यह एक बंदिशबंद काव्य रूप है, जिसमें कुछ निश्चित नियमों का पालन होता है। हर ग़ज़ल शेरों (दो पंक्तियों वाले पद) की श्रृंखला होती है, और हर शेर अपने आप में एक स्वतंत्र विचार रखता है।


संरचना:

  1. मतला:
    • ग़ज़ल का पहला शेर होता है जिसमें दोनों मिसरों (पंक्तियों) में काफ़िया और रदीफ़ होता है।
    • यह ग़ज़ल की तर्ज और लय तय करता है।
  2. मक़्ता:
    • ग़ज़ल का अंतिम शेर, जिसमें शायर अपना तख़ल्लुस (कविता में प्रयुक्त उपनाम) शामिल करता है।
  3. काफ़िया:
    • समान ध्वनि वाले शब्द जो रदीफ़ से पहले आते हैं।
  4. रदीफ़:
    • हर शेर के अंत में आने वाला समान शब्द या वाक्यांश।

उदाहरण:

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आए क्यूँ,
रोएँगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यूँ।

(— मिर्ज़ा ग़ालिब)


विषय:

यह अपने विषयों की विविधता के लिए प्रसिद्ध है। प्रारंभ में इसका विषय मुख्यतः इश्क़ और हिज्र (विरह) हुआ करता था, लेकिन समय के साथ ग़ज़ल ने सामाजिक, राजनीतिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक विषयों को भी समेट लिया।

  • प्रेम और विरह
  • दर्द और अकेलापन
  • जीवन और मृत्यु
  • राजनीति और विद्रोह
  • आत्म-संवाद और चेतना

विकास:

इसका जन्म अरब में हुआ और फिर यह फारसी होते हुए भारत पहुँची। भारत में ग़ज़ल को सबसे अधिक उन्नति उर्दू भाषा में मिली। अमीर खुसरो, वली दकनी, मीर तकी मीर, मिर्ज़ा ग़ालिब, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, जौन एलिया, और गुलज़ार जैसे शायरों ने इसे ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

भारत में ग़ज़ल के चरण:

  1. प्रारंभिक काल: वली दकनी ने उर्दू ग़ज़ल की नींव रखी
  2. क्लासिकल युग: मीर, सौदा, ग़ालिब – जिनकी शायरी भावनात्मक और दार्शनिक गहराई से भरपूर थी
  3. आधुनिक युग: फ़ैज़, जिगर, जोश मलीहाबादी, जिन्होंने सामाजिक और राजनीतिक स्वर जोड़े
  4. समकालीन दौर: नई पीढ़ी के शायरों ने ग़ज़ल को जन भाषा, फिल्म, और सोशल मीडिया तक पहुँचाया

ग़ज़ल और संगीत:

ग़ज़ल का रिश्ता संगीत से बेहद गहरा है। ग़ज़ल गायकी ने इसे जन-जन तक पहुँचाया। मेहदी हसन, ग़ुलाम अली, जगजीत सिंह, बेगम अख्तर, और पंकज उधास जैसे गायकों ने ग़ज़ल को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लोकप्रिय किया।



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