परिचय:
रेने देकार्त (René Descartes) फ्रांस के प्रसिद्ध दार्शनिक, गणितज्ञ और वैज्ञानिक थे। उन्हें आधुनिक दर्शन का जनक माना जाता है। देकार्त ने संदेह, तर्क और आत्म-चिंतन के माध्यम से ज्ञान की नींव की खोज की। उनके सबसे प्रसिद्ध कथनों में से एक है:
“Cogito, ergo sum” – जिसका हिन्दी अनुवाद है:
“मैं सोचता हूँ, इसलिए मैं हूँ।” (I think, therefore I am.)
यह कथन उन्होंने अपनी पुस्तक Meditations on First Philosophy और Discourse on the Method में प्रस्तुत किया था।
कथन की उत्पत्ति:
देकार्त का मानना था कि यदि हमें ज्ञान को सच्चाई पर आधारित बनाना है, तो हमें हर चीज़ पर संदेह करना चाहिए – यहाँ तक कि अपनी इन्द्रियों, शरीर, संसार, और ईश्वर तक पर भी।
उन्होंने कहा कि हमारी इन्द्रियाँ हमें धोखा दे सकती हैं, सपने और वास्तविकता में भेद करना कठिन हो सकता है। लेकिन एक चीज़ पर संदेह नहीं किया जा सकता – कि “हम सोच रहे हैं।”
सोचने का यह अनुभव ही अस्तित्व का प्रमाण है।
यानी, यदि मैं संदेह करता हूँ, तो इसका मतलब है कि मैं सोच रहा हूँ; और यदि मैं सोच रहा हूँ, तो इसका सीधा अर्थ है कि मैं अस्तित्व में हूँ।
इस कथन का महत्व:
1. ज्ञान का निश्चित प्रारंभ बिंदु:
देकार्त का यह कथन उस समय आया जब यूरोप में ज्ञान और धर्म दोनों पर पुनर्विचार हो रहा था।
उनका “Cogito” सिद्ध करता है कि कोई भी बात भले ही संदेहास्पद हो, लेकिन “सोचने वाला आत्मा (Mind)” संदेह से परे है।
यह ज्ञान का पहला अडिग सत्य है – एक ऐसा बिंदु जहाँ से निश्चित ज्ञान की खोज शुरू की जा सकती है।
2. आत्मा की प्रधानता:
देकार्त ने शरीर और आत्मा (या मस्तिष्क) को अलग-अलग सत्ता के रूप में देखा।
“मैं सोचता हूँ, इसलिए मैं हूँ” यह बताता है कि आत्मा (Mind) का अस्तित्व शरीर से अधिक प्राथमिक और सुनिश्चित है।
इस कथन में आत्मा को पहचान, अस्तित्व और चेतना का केंद्र माना गया है।
3. तर्क और बुद्धि की भूमिका:
इस कथन ने ज्ञान के स्रोत के रूप में बुद्धि और चिंतन को प्रमुखता दी।
देकार्त ने बताया कि सच्चे ज्ञान का आधार तर्क (reason) है, न कि इन्द्रिय अनुभव (sensory experience)।
इससे आधुनिक तार्किक विचारधारा की शुरुआत मानी जाती है।
4. व्यक्तिवाद (Individualism) की नींव:
इस कथन से यह विचार भी जुड़ा है कि व्यक्ति स्वयं अपने अस्तित्व का प्रमाण है।
कोई बाहरी सत्ता उसे यह नहीं बता सकती कि वह है या नहीं – व्यक्ति खुद यह जानता है कि वह सोच रहा है।
इससे व्यक्तित्व और आत्म-चिंतन को दर्शन में विशेष स्थान मिला।
5. संदेह को ज्ञान का साधन बनाना:
देकार्त ने पहली बार दर्शन में यह साहसिक कदम उठाया कि संदेह को नकारात्मक नहीं बल्कि रचनात्मक उपकरण के रूप में प्रयोग किया जाए।
उनका यह कथन दर्शाता है कि गहरे संदेह के बाद भी एक बात अवश्य सत्य है – “सोचने वाला अस्तित्व।”
यह दार्शनिक पद्धति बाद के दार्शनिकों जैसे स्पिनोज़ा, कांट और हुसर्ल के लिए आधार बनी।
Bihar Board Class 10th Solutions & Notes | Click Here |
Bihar Board Class 12th Solutions & Notes | Click Here |
Bihar Board Class 11th Solutions & Notes | Click Here |
Bihar Board Class 9th Solutions & Notes | Click Here |
Bihar Board Class 8th Solutions & Notes | Click Here |
Bihar Board Class 7th Solutions & Notes | Click Here |
Bihar Board Class 6th Solutions & Notes | Click Here |
अगर आप बिहार बोर्ड कक्षा 6वीं से 12वींतक की परीक्षा की बेहतरीन तैयारी करना चाहते हैं, तो हमारे YouTube चैनल को ज़रूर सब्सक्राइब करें!
यहाँ आपको सभी विषयों के विस्तृत Solutions, Notes, महत्वपूर्ण प्रश्न, मॉडल पेपर और परीक्षा में अच्छे अंक लाने के टिप्स मिलेंगे। हमारी वीडियो क्लासेस आसान भाषा में समझाई गई हैं, ताकि हर छात्र बिना किसी परेशानी के अपनी पढ़ाई पूरी कर सके।
हमारे चैनल की विशेषताएँ:
✔️सभी विषयों की वीडियो व्याख्या
✔️परीक्षा में आने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों का हल
✔️बेस्टस्टडीप्लान और टिप्स
✔️बिहार बोर्ड के सिलेबस पर आधारित संपूर्ण तैयारी
🔴अभी देखें और सब्सक्राइब करें –Click Here
आपकी सफलता ही हमारा लक्ष्य है!
Study Help एक शैक्षिक वेबसाइट है जो बिहार बोर्ड कक्षा 10 के छात्रों के लिए नोट्स, समाधान और अध्ययन सामग्री प्रदान करती है। यहाँ हिंदी, गणित, सामाजिक विज्ञान सहित सभी विषयों के विस्तृत समाधान उपलब्ध हैं। साथ ही, Godhuli Part 2 (गद्य, पद्य, व्याकरण) और गणित के सभी अध्यायों के नोट्स भी शामिल हैं। वेबसाइट से जुड़े अपडेट्स के लिए YouTube, WhatsApp, Telegram और सोशल मीडिया लिंक भी उपलब्ध हैं, जिससे छात्र बेहतर मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।