पुनर्जागरण काल में कला के विकास पर प्रकाश डालिए।


परिचय
पुनर्जागरण (Renaissance) शब्द का अर्थ होता है “पुनर्जन्म” या “नई जागृति”। यह आंदोलन यूरोप में लगभग 14वीं से 17वीं शताब्दी के बीच चला, जिसने सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक और कलात्मक क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन लाया। यह आंदोलन विशेषकर इटली से शुरू हुआ और फिर संपूर्ण यूरोप में फैल गया। कला के क्षेत्र में यह काल अत्यंत महत्वपूर्ण रहा क्योंकि इस दौर में कला ने धार्मिक जकड़न से निकलकर मानव केंद्रित और प्राकृतिक विषयों की ओर रुख किया। कलाकारों ने मनुष्य के शरीर, प्रकृति, जीवन के अनुभव और यथार्थ को केंद्र में रखकर नए आयामों की रचना की। इस काल में चित्रकला, मूर्तिकला, स्थापत्यकला और साहित्य से जुड़ी कलाओं में अद्भुत उन्नति हुई।


1. पुनर्जागरण काल की कला की विशेषताएँ

(क) मानव केंद्रित दृष्टिकोण (Humanism):
पुनर्जागरण कला का केंद्र बिंदु “मनुष्य” था। इससे पहले कला मुख्यतः धार्मिक विषयों तक सीमित थी, पर अब कलाकारों ने मनुष्य के भावों, शरीर की संरचना, जीवन के संघर्ष और सौंदर्य को अभिव्यक्ति दी।

(ख) यथार्थवाद (Realism):
कला में अब कल्पना के बजाय यथार्थ को महत्व दिया जाने लगा। कलाकारों ने मानव शरीर, चेहरे के भाव, प्रकाश और छाया के प्रभाव को वैज्ञानिक ढंग से चित्रित करना शुरू किया।

(ग) परिप्रेक्ष्य का प्रयोग (Perspective):
चित्रों में गहराई और दूरी को दिखाने के लिए ‘परिप्रेक्ष्य’ तकनीक का उपयोग पहली बार प्रभावी रूप से इसी काल में हुआ। इससे चित्र और अधिक जीवंत और वास्तविक लगने लगे।

(घ) धर्म से स्वतंत्रता:
हालाँकि धर्म विषय बना रहा, पर कलाकारों को अब चर्च की कठोर धार्मिक सीमाओं से मुक्त होकर चित्रण की स्वतंत्रता मिली। वे अब पौराणिक, ऐतिहासिक और सामान्य जीवन से जुड़े विषयों पर भी चित्र बनाते थे।


2. पुनर्जागरण युग के प्रमुख कलाकार और उनकी कलाएँ

(क) लियोनार्दो दा विंची (Leonardo da Vinci):
यह युग का सबसे बहुआयामी प्रतिभा का धनी कलाकार था। वह चित्रकार, मूर्तिकार, वैज्ञानिक, अभियंता, गणितज्ञ और आविष्कारक था। उसकी कृतियाँ मानव शरीर की सटीक संरचना और भाव-प्रदर्शन के लिए जानी जाती हैं।

  • मोनालिसा (Mona Lisa): यह विश्व की सबसे प्रसिद्ध चित्रकला है। इसमें स्त्री के चेहरे के भाव, आँखों की गहराई और हल्की मुस्कान ने इसे अमर बना दिया है।
  • द लास्ट सपर (The Last Supper): यह यीशु मसीह और उनके बारह शिष्यों के अंतिम भोज का चित्रण है, जो भावनाओं और परिप्रेक्ष्य का उत्कृष्ट उदाहरण है।

(ख) माइकलएंजेलो (Michelangelo):
यह पुनर्जागरण युग का महान चित्रकार और मूर्तिकार था। वह मानता था कि कला ईश्वर की देन है और कलाकार उसका माध्यम मात्र है।

  • डेविड (David): संगमरमर से बनी यह मूर्ति मानव शरीर की ताकत, सुंदरता और आत्मबल को दर्शाती है।
  • सिस्टीन चैपल की छत (Ceiling of Sistine Chapel): वेटिकन सिटी में बनी यह कृति बाइबिल की घटनाओं का भव्य चित्रण है। इसमें ईश्वर और आदम का चित्र विशेष प्रसिद्ध है।

(ग) राफेल (Raphael):
राफेल अपनी कोमलता, संतुलन और सौंदर्यपूर्ण चित्रों के लिए जाना जाता है।

  • स्कूल ऑफ एथेंस (School of Athens): यह चित्र प्लेटो, अरस्तु और अन्य यूनानी दार्शनिकों को दर्शाता है। इसमें बुद्धिमत्ता और कला का अद्भुत सामंजस्य है।

(घ) डोनाटेलो (Donatello):
यह मूर्तिकला का महान कलाकार था। उसने कांस्य और संगमरमर में अनेक प्रसिद्ध मूर्तियाँ बनाई, जिनमें गति और भाव स्पष्ट रूप से दिखते हैं।


3. चित्रकला का विकास

पुनर्जागरण काल में चित्रकला को एक नया दृष्टिकोण मिला। कलाकारों ने धार्मिक छवियों से आगे बढ़कर मानवीय संवेदनाओं, प्रकृति और समाज को चित्रित किया। अब रंगों की बारीकी, छायांकन, प्रकाश और गहराई पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा।

(क) इटली का योगदान:
इटली पुनर्जागरण की जन्मभूमि थी, जहाँ फ्लोरेंस, रोम और वेनिस जैसे नगरों में कला का जबरदस्त विकास हुआ।

(ख) उत्तरी यूरोप का प्रभाव:
नीदरलैंड, जर्मनी और फ्रांस में भी पुनर्जागरण कला का प्रभाव पड़ा। यहाँ के कलाकारों ने प्रिंटिंग प्रेस के माध्यम से चित्रों का प्रचार किया और लकड़ी की छपाई (woodcut) व ताम्र छपाई (engraving) की तकनीक अपनाई।


4. मूर्तिकला का विकास

पुनर्जागरण मूर्तिकला में कलाकारों ने प्राचीन रोमन और यूनानी मूर्तियों से प्रेरणा लेकर मानव शरीर को यथार्थ रूप में चित्रित करना शुरू किया।

(क) नग्नता की स्वीकृति:
मूर्तियों में नग्न शरीर को सौंदर्य और शक्ति के प्रतीक के रूप में स्वीकार किया गया, जो मध्यकाल की धार्मिक नैतिकता से हटकर था।

(ख) गति और भाव का प्रदर्शन:
अब मूर्तियाँ केवल खड़ी-ठंडी आकृतियाँ नहीं थीं, बल्कि उनमें गति, भाव और जीवन दिखाई देता था। माइकलएंजेलो की “डेविड” और डोनाटेलो की “सेंट मार्क” इसकी मिसाल हैं।


5. स्थापत्यकला (Architecture) का विकास

पुनर्जागरण काल में स्थापत्यकला में रोमन और यूनानी शैली की वापसी हुई, जिसमें स्तंभ, गुम्बद, गोलाई और समरूपता को महत्व दिया गया।

(क) ब्रुनेलेस्की (Brunelleschi):
इसने फ्लोरेंस के “कैथेड्रल डोम” का निर्माण किया, जो पुनर्जागरण वास्तुकला की शुरुआत मानी जाती है।

(ख) संत पीटर चर्च (St. Peter’s Basilica):
वेटिकन स्थित यह चर्च पुनर्जागरण स्थापत्यकला की उत्कृष्ट मिसाल है, जिसमें माइकलएंजेलो और ब्रैमांते जैसे कई कलाकारों का योगदान रहा।


6. संगीत और नाट्यकला में परिवर्तन

(क) संगीत:
पुनर्जागरण संगीत में मेलोडी और हार्मनी पर जोर दिया गया। चर्च संगीत के साथ-साथ लोकगीतों और व्यक्तिगत संगीत का भी विकास हुआ। म्यूजिक में इंस्ट्रूमेंटल धुनों का प्रयोग बढ़ा।

(ख) नाट्यकला:
नाटक अब धार्मिक लीलाओं तक सीमित नहीं रहे। विलियम शेक्सपीयर जैसे महान नाटककारों ने मानवीय भावनाओं, राजनीति, समाज और रिश्तों को मंच पर उतारा।


7. प्रिंटिंग प्रेस और कला का प्रचार

जोहान्स गुटेनबर्ग द्वारा प्रिंटिंग प्रेस के आविष्कार ने चित्रकला और ज्ञान के प्रचार में क्रांतिकारी भूमिका निभाई। अब चित्रों, पुस्तकों और कला रचनाओं की प्रतियाँ बड़े स्तर पर बन सकीं, जिससे वे आम जनता तक पहुँच सकीं।


8. कला शिक्षा और संरक्षण

पुनर्जागरण काल में राजा, पादरी और अमीर व्यापारी कलाकारों के संरक्षक बनकर उभरे। उन्होंने कलाकारों को संरक्षण, पैसा और काम प्रदान किया। फ्लोरेंस के मेडिची परिवार जैसे अनेक कुलों ने कला संस्थानों की स्थापना की। इस युग में कला एक पेशा बन गई और कलाकारों की सामाजिक स्थिति भी सुधरी।


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