पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?

पुनर्जागरण का शाब्दिक अर्थ होता है—‘पुनः जागना’ या ‘फिर से जागृति’। यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आंदोलन था, जो यूरोप में लगभग 14वीं से 17वीं शताब्दी के बीच हुआ। इस आंदोलन ने मध्यकाल के बाद एक नए युग की शुरुआत की, जिसे आधुनिक युग कहा जाता है। यह केवल एक कला या साहित्य का बदलाव नहीं था, बल्कि सोचने, समझने और जीवन को देखने के दृष्टिकोण में एक बड़ा परिवर्तन था।

पुनर्जागरण ने मनुष्य को केंद्र में रखा। मध्यकाल में धर्म सबसे ऊपर होता था, और व्यक्ति की पहचान ईश्वर की इच्छा से जुड़ी मानी जाती थी। लेकिन पुनर्जागरण काल में यह विचार आया कि इंसान खुद सोच सकता है, निर्णय ले सकता है और अपनी दुनिया खुद बना सकता है। इसे हम मानवतावाद (Humanism) के रूप में जानते हैं, जो पुनर्जागरण की आत्मा था।

पुनर्जागरण की शुरुआत सबसे पहले इटली में हुई, खासकर फ्लोरेंस शहर में। वहाँ के व्यापारी, कलाकार और बुद्धिजीवी लोगों ने प्राचीन ग्रीक और रोमन सभ्यताओं के ज्ञान को फिर से खोजा और अपनाया। उन्होंने पुराने ग्रंथों का अध्ययन किया, मूर्तिकला, चित्रकला और वास्तुकला में नयापन लाया, और जीवन को सौंदर्य और तर्क के नजरिए से देखने की आदत डाली।

इस युग में अनेक महान कलाकार और वैज्ञानिक हुए, जैसे—लियोनार्दो दा विंची, माइकेलएंजेलो, राफेल, गैलीलियो और कोपर्निकस। लियोनार्दो ने “मोनालिसा” जैसी चित्रकला बनाई, जो आज भी कला की दुनिया में बेमिसाल मानी जाती है। वहीं गैलीलियो और कोपर्निकस ने ब्रह्मांड को समझने के लिए वैज्ञानिक तरीकों को अपनाया, जिससे धार्मिक मान्यताओं को चुनौती मिली।

इस दौर में विज्ञान, कला, साहित्य, राजनीति और शिक्षा सभी क्षेत्रों में नए प्रयोग हुए। पहले लोग हर चीज को धर्म की दृष्टि से देखते थे, लेकिन अब तर्क, अनुभव और परीक्षण को महत्व दिया जाने लगा। इससे लोगों में नई सोच, जिज्ञासा और आत्मविश्वास पैदा हुआ।

पुनर्जागरण के दौरान छापाखाने का आविष्कार भी एक बड़ी क्रांति था। योहन्नेस गुटेनबर्ग ने जब छपाई की तकनीक विकसित की, तो किताबें ज्यादा लोगों तक पहुँचने लगीं। शिक्षा अब सिर्फ धर्मगुरुओं या अमीरों तक सीमित नहीं रही। आम लोग भी पढ़ने-लिखने लगे, विचारों का आदान-प्रदान हुआ और जागरूकता बढ़ी।

यही नहीं, राजनीति में भी परिवर्तन हुए। पहले राजा को ईश्वर का प्रतिनिधि माना जाता था और जनता को शासक की आज्ञा माननी पड़ती थी। लेकिन पुनर्जागरण के बाद सोच बदली। लोग यह मानने लगे कि सत्ता का स्रोत जनता है, और शासक को जनता की भलाई के लिए शासन करना चाहिए। बाद में यही विचार लोकतंत्र और आधुनिक राष्ट्रों की नींव बने।

पुनर्जागरण का प्रभाव केवल यूरोप तक सीमित नहीं रहा। इसके विचारों ने दुनिया भर में बदलाव की लहर चलाई। भारत में भी, विशेष रूप से आधुनिक काल में, जब अंग्रेजों के माध्यम से पश्चिमी शिक्षा आई, तब यहाँ के समाज सुधारकों ने भी पुनर्जागरण जैसी चेतना का परिचय दिया।

इस आंदोलन ने यह दिखाया कि मनुष्य सिर्फ भाग्य या धर्म का गुलाम नहीं है, बल्कि वह स्वतंत्र रूप से सोच सकता है, अपने जीवन के निर्णय ले सकता है और नए विचारों को जन्म दे सकता है। पुनर्जागरण ने ज्ञान की दुनिया में एक नई रोशनी फैलाई, जिससे मानव सभ्यता ने तेज़ी से प्रगति की।

इस तरह, पुनर्जागरण केवल अतीत की किसी घटना का नाम नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक और बौद्धिक क्रांति थी, जिसने दुनिया को बदलकर रख दिया। यह जागरूकता, खोज और स्वतंत्रता की एक ऐसी लहर थी, जिसने समाज को मध्ययुग की जड़ता से निकालकर आधुनिकता की ओर अग्रसर किया।

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