मुस्लिम धर्म की स्थापना कब और कैसे हुई

इस्लाम धर्म, जिसे मुस्लिम धर्म के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया के प्रमुख धर्मों में से एक है। इस धर्म की स्थापना 7वीं सदी में अरब प्रायद्वीप में हुई थी। इस्लाम का अर्थ है “आत्मसमर्पण” या “शांति”, और यह अल्लाह (ईश्वर) की इच्छा के प्रति समर्पण को दर्शाता है। इस धर्म के प्रवर्तक पैगंबर मुहम्मद थे, जिन्हें इस्लाम में अंतिम नबी (संदेशवाहक) माना जाता है। इस्लाम का उदय एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक प्रक्रिया का परिणाम था, जिसमें अरब समाज, उनकी परंपराएं, और उस समय की राजनीतिक स्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

इस्लाम के उदय से पहले का अरब समाज

7वीं सदी से पहले अरब समाज मुख्य रूप से बहुदेववादी था। लोग विभिन्न देवताओं की पूजा करते थे और काबा (मक्का में स्थित) को धार्मिक स्थल मानते थे। मक्का उन दिनों व्यापार और धार्मिक गतिविधियों का केंद्र था। समाज में जनजातीय व्यवस्था थी, और संघर्ष और हिंसा आम थी। गरीबों, महिलाओं, और कमजोर वर्गों के साथ भेदभाव किया जाता था।

पैगंबर मुहम्मद का जीवन

पैगंबर मुहम्मद का जन्म 570 ईस्वी में मक्का शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम आमिना था। वे कुरैश जनजाति के हाशमी कबीले से थे। मुहम्मद की युवावस्था ईमानदारी और सच्चाई के लिए प्रसिद्ध थी। उन्हें “अल-अमीन” (विश्वसनीय) और “अस-सादिक” (सच्चे) कहा जाता था।

25 वर्ष की उम्र में उन्होंने खदीजा नामक एक विधवा महिला से विवाह किया, जो उम्र में उनसे बड़ी थीं। खदीजा ने उन्हें हर तरह से समर्थन दिया और इस्लाम धर्म के शुरुआती दिनों में उनका सबसे बड़ा सहारा बनीं।

इस्लाम धर्म की शुरुआत

40 वर्ष की उम्र में, मुहम्मद मक्का के पास स्थित “हिरा” नामक गुफा में प्रार्थना और ध्यान किया करते थे। 610 ईस्वी में, उन्हें पहली बार जिब्राईल (गैब्रियल) नामक फरिश्ते द्वारा अल्लाह का संदेश प्राप्त हुआ। यह संदेश क़ुरआन की पहली आयत थी:

“पढ़ो अपने उस रब के नाम से जिसने तुम्हें पैदा किया।” (क़ुरआन 96:1)

मुहम्मद को यह आदेश दिया गया कि वे लोगों को एक ईश्वर (अल्लाह) की पूजा करने और सत्य, दया, और न्याय का पालन करने के लिए प्रेरित करें।

मक्का में इस्लाम का प्रचार

पैगंबर मुहम्मद ने अपने परिवार और करीबी दोस्तों से इस्लाम का प्रचार शुरू किया। खदीजा, अली (उनके चचेरे भाई), अबू बक्र (मित्र), और कुछ अन्य लोग इस्लाम कबूल करने वाले पहले अनुयायी बने।

हालांकि, मक्का के लोग, विशेषकर कुरैश के नेताओं ने इस्लाम का विरोध किया। उन्होंने मुहम्मद पर आरोप लगाया कि वे पुराने धर्म और सामाजिक व्यवस्था को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। कुरैश के लोग अपने देवताओं की पूजा छोड़ने को तैयार नहीं थे, और उन्होंने मुसलमानों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया।

मदीना की हिजरत (Migration)

622 ईस्वी में, मक्का में मुसलमानों पर अत्याचार बढ़ गया। ऐसे में पैगंबर मुहम्मद और उनके अनुयायियों ने मक्का से मदीना (तब यत्रिब) हिजरत (प्रवासन) किया। इस घटना को इस्लामी कैलेंडर (हिजरी कैलेंडर) की शुरुआत माना जाता है।

मदीना में इस्लाम को स्वीकार करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी। यहां पैगंबर मुहम्मद ने धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व संभाला और एक इस्लामी समुदाय (उम्मा) की स्थापना की। उन्होंने मदीना समझौता किया, जो मुसलमानों, यहूदियों, और अन्य समुदायों के बीच एक सामाजिक और राजनीतिक समझौता था।

इस्लाम का विस्तार

मदीना में इस्लाम मजबूत हुआ और पैगंबर मुहम्मद ने विभिन्न जनजातियों और समूहों के साथ संबंध स्थापित किए। मक्का और मुसलमानों के बीच कई युद्ध हुए, जैसे बद्र, उहुद, और खंदक। इन युद्धों में मुसलमानों ने अपनी एकता और साहस का प्रदर्शन किया।

630 ईस्वी में, पैगंबर मुहम्मद ने मक्का पर विजय प्राप्त की। मक्का में प्रवेश करने के बाद, उन्होंने काबा को मूर्तियों से मुक्त किया और इसे इस्लाम का केंद्र बनाया। मक्का की विजय के बाद, अरब प्रायद्वीप के अधिकांश हिस्सों में इस्लाम फैल गया।

इस्लाम के मूल सिद्धांत

इस्लाम धर्म के पांच मुख्य स्तंभ हैं, जिन्हें हर मुसलमान को मानना और पालन करना होता है:

  1. शहादा (साक्षी) – “अल्लाह के सिवा कोई ईश्वर नहीं है, और मुहम्मद उनके पैगंबर हैं।”
  2. नमाज (प्रार्थना) – दिन में पांच बार अल्लाह की प्रार्थना करना।
  3. रोज़ा (उपवास) – रमजान के महीने में सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखना।
  4. जकात (दान) – गरीबों और जरूरतमंदों को अपनी आय का एक हिस्सा देना।
  5. हज (तीर्थयात्रा) – जीवन में कम से कम एक बार मक्का की यात्रा करना (यदि संभव हो)।

क़ुरआन और हदीस

क़ुरआन इस्लाम का पवित्र ग्रंथ है, जिसे मुसलमान अल्लाह का अंतिम संदेश मानते हैं। यह अरबी भाषा में लिखा गया है और इसमें इस्लाम के जीवन जीने के सिद्धांत, सामाजिक व्यवस्था, और नैतिकता का वर्णन है।
हदीस पैगंबर मुहम्मद के कथनों और कार्यों का संग्रह है। यह मुसलमानों के लिए मार्गदर्शन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

इस्लाम का प्रभाव और महत्व

इस्लाम ने न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक रूप से भी विश्व को प्रभावित किया। इस्लाम ने समानता, न्याय, और दया पर जोर दिया। यह धर्म गरीबों और कमजोरों के अधिकारों की रक्षा करता है और समाज में शांति और सद्भाव का संदेश देता है।

निष्कर्ष

इस्लाम धर्म की स्थापना 7वीं सदी में अरब प्रायद्वीप में पैगंबर मुहम्मद के माध्यम से हुई। यह धर्म अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्पण, सत्य, और न्याय पर आधारित है। इस्लाम ने अरब समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए और इसे एक संगठित और नैतिक समाज में परिवर्तित किया। आज, इस्लाम दुनिया के सबसे बड़े धर्मों में से एक है, और इसके अनुयायी पूरी दुनिया में फैले हुए हैं।

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