राष्ट्रीय सेवा योजना (National Service Scheme – NSS) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक सामाजिक सेवा योजना है, जिसकी स्थापना 24 सितंबर 1969 को महात्मा गांधी के जन्म शताब्दी वर्ष में की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों में सामाजिक उत्तरदायित्व, सेवा भावना, नेतृत्व क्षमता, और राष्ट्रीय एकता की भावना को विकसित करना है। NSS का आदर्श वाक्य “Not Me But You” यानी “मैं नहीं, तू” है, जो इसके सेवा भाव को दर्शाता है। इस योजना के माध्यम से छात्रों को समाज के साथ जुड़ने, उसकी समस्याओं को समझने और उनके समाधान में सहयोग देने का अवसर मिलता है।
राष्ट्रीय सेवा योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- सेवा भावना का विकास
NSS का मूल उद्देश्य युवाओं में दूसरों के प्रति सेवा की भावना उत्पन्न करना है। छात्रों को यह सिखाया जाता है कि समाज के कमजोर वर्गों की सहायता करना, उनकी समस्याओं को समझना और अपने साधनों और समय का उपयोग जनहित में करना एक सामाजिक उत्तरदायित्व है। - समाज के साथ सीधा जुड़ाव
NSS छात्रों को समाज की वास्तविक परिस्थितियों से अवगत कराता है। ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर वहाँ के जीवन, समस्याओं और जरूरतों को करीब से देखने और समझने का अवसर मिलता है। इस तरह छात्र केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं रहते, बल्कि व्यवहारिक अनुभव भी प्राप्त करते हैं। - नेतृत्व और संगठनात्मक कौशल का विकास
NSS कार्यक्रमों के आयोजन के दौरान छात्रों को योजना बनाने, टीम में कार्य करने, लोगों को प्रोत्साहित करने और समस्याओं का समाधान ढूँढ़ने का अवसर मिलता है। इससे उनमें नेतृत्व, संगठन और संवाद कौशल का विकास होता है, जो उनके समग्र व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होता है। - राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता का संवर्धन
NSS विभिन्न पृष्ठभूमि के छात्रों को एक मंच पर लाता है जहाँ वे धर्म, जाति, भाषा या क्षेत्रीय भेदभाव से ऊपर उठकर एक-दूसरे के साथ कार्य करते हैं। इससे उनमें एकता, सहिष्णुता और सामाजिक समरसता की भावना उत्पन्न होती है। यह भावना राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। - स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति जागरूकता
NSS के अंतर्गत स्वच्छता अभियान, स्वास्थ्य शिविर, रक्तदान, टीकाकरण, और पोषण संबंधी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इससे छात्रों के साथ-साथ समाज के लोगों में भी स्वच्छता, स्वास्थ्य और जनकल्याण के प्रति जागरूकता उत्पन्न होती है। - आपदा प्रबंधन में योगदान
प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूकंप, सूखा आदि के समय NSS स्वयंसेवक राहत कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। वे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाने, राहत सामग्री वितरित करने और पुनर्वास कार्यों में सहायता करते हैं। इससे उनमें साहस, संवेदना और जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है। - पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता
NSS पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभाता है। वृक्षारोपण, जल संरक्षण, प्लास्टिक उन्मूलन, ऊर्जा की बचत जैसे अभियानों के माध्यम से छात्रों और आम जनता में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता उत्पन्न होती है। - साक्षरता और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
NSS के तहत छात्रों को अशिक्षित व्यक्तियों को पढ़ाने, बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करने तथा शिक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य सौंपा जाता है। यह प्रयास ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में शिक्षा के प्रचार-प्रसार में सहायक सिद्ध होते हैं। - स्वावलंबन की भावना का विकास
NSS कार्यक्रमों के दौरान युवाओं को अपनी क्षमताओं को पहचानने और आत्मनिर्भर बनने का प्रशिक्षण मिलता है। उन्हें यह अहसास होता है कि वे समाज में परिवर्तन ला सकते हैं, जिससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ता है। - लोकतांत्रिक मूल्यों की समझ
NSS छात्रों को भारतीय लोकतंत्र की जड़ों, उसकी चुनौतियों और नागरिकों की भूमिका के प्रति सजग करता है। इस प्रकार यह योजना लोकतांत्रिक मूल्यों की जानकारी, मानव अधिकारों की रक्षा और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को भी प्रोत्साहित करती है।
इन उद्देश्यों के माध्यम से NSS न केवल छात्रों के व्यक्तित्व विकास में योगदान देता है, बल्कि उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में प्रेरित करता है। यह योजना शिक्षा को सामाजिक उत्तरदायित्व से जोड़ती है, जिससे युवाओं में राष्ट्र निर्माण के प्रति सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होती है।