सतत विकास पर टिप्पणी करें।

परिचय

विकास शब्द जब सामने आता है, तो हम आमतौर पर इसका संबंध औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, तकनीकी उन्नति, और आर्थिक वृद्धि से जोड़ते हैं। लेकिन यदि यह विकास पर्यावरण को नुकसान पहुँचाकर हो रहा हो, प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन कर रहा हो, और भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को खतरे में डाल रहा हो, तो क्या इसे सही मायनों में विकास कहा जा सकता है? शायद नहीं। इसी सन्दर्भ में “सतत विकास” (Sustainable Development) की अवधारणा सामने आती है।

सतत विकास का अर्थ है – ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को इस प्रकार पूरा करे कि भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने की उनकी क्षमता से समझौता न हो। यह विकास की एक ऐसी अवधारणा है जो आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ सामाजिक न्याय और पर्यावरणीय संरक्षण को भी प्राथमिकता देती है।


सतत विकास की परिभाषा

ब्रुंटलैंड रिपोर्ट (1987) में सतत विकास को इस प्रकार परिभाषित किया गया –
“वह विकास जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को इस प्रकार पूरा करे कि आने वाली पीढ़ियों की जरूरतें भी पूरी हो सकें।”
इस रिपोर्ट ने वैश्विक स्तर पर सतत विकास के महत्व को स्वीकार कराया।


सतत विकास के तीन प्रमुख स्तंभ

  1. आर्थिक स्थिरता (Economic Sustainability):
    इसका अर्थ है ऐसा आर्थिक विकास जो दीर्घकालिक हो, और जिसमें संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग हो। यह सुनिश्चित करता है कि उद्योग, व्यापार और उत्पादन प्रणाली इस तरह से चलें कि प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग हो।
  2. सामाजिक समावेशन (Social Inclusion):
    इसका उद्देश्य समाज में समानता, न्याय और सभी वर्गों को विकास में भागीदार बनाना है। इसका अर्थ है – गरीब, महिला, आदिवासी, पिछड़े वर्ग, दिव्यांग आदि सभी को विकास के लाभ मिलें।
  3. पर्यावरणीय संरक्षण (Environmental Protection):
    यह स्तंभ इस बात पर बल देता है कि विकास की प्रक्रिया में प्रकृति का सम्मान किया जाए, प्रदूषण को कम किया जाए, वनस्पतियों और जीव-जंतुओं का संरक्षण हो, और पारिस्थितिक तंत्र को संतुलन में रखा जाए।

सतत विकास का महत्व

  1. भविष्य की पीढ़ियों की सुरक्षा:
    यदि आज हम संसाधनों का अंधाधुंध दोहन करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए पीने का पानी, स्वच्छ हवा, उपजाऊ भूमि और जैव विविधता जैसी मूलभूत चीजें संकट में पड़ सकती हैं।
  2. पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना:
    सतत विकास पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। यह जंगलों की कटाई, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं को कम करने में सहायक है।
  3. गरीबी उन्मूलन और सामाजिक न्याय:
    सतत विकास गरीबी को खत्म करने, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने और सामाजिक असमानताओं को दूर करने में मदद करता है।
  4. आर्थिक सशक्तिकरण:
    यह सुनिश्चित करता है कि आर्थिक गतिविधियाँ दीर्घकालिक हों और उनका लाभ समाज के हर वर्ग को मिले, न कि केवल अमीरों तक सीमित रहे।

सतत विकास से जुड़े वैश्विक प्रयास

  1. संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDGs):
    2015 में संयुक्त राष्ट्र ने 17 सतत विकास लक्ष्य निर्धारित किए, जिन्हें 2030 तक प्राप्त करने का संकल्प लिया गया। इनमें प्रमुख हैं –
    • गरीबी उन्मूलन
    • भूख मिटाना
    • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
    • लैंगिक समानता
    • स्वच्छ जल और स्वच्छता
    • स्वच्छ ऊर्जा
    • जलवायु परिवर्तन से लड़ना
    • समुद्री और स्थलीय जीवन का संरक्षण
    • न्याय और मजबूत संस्थान
  2. पेरिस जलवायु समझौता (Paris Climate Agreement):
    यह समझौता ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए बनाया गया है। इसका लक्ष्य है – हर देश अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करे और हरित ऊर्जा को बढ़ावा दे।
  3. Agenda 21 और रियो सम्मेलन:
    1992 में रियो डी जेनेरो में आयोजित Earth Summit में “Agenda 21” नामक कार्य योजना को अपनाया गया था, जो सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी।

भारत में सतत विकास की स्थिति

भारत जैसे देश में सतत विकास अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि यहाँ आबादी अधिक है, संसाधनों पर दबाव अधिक है, और सामाजिक-आर्थिक विषमता भी बड़ी है।

  1. राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan on Climate Change – NAPCC):
    भारत सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए आठ मिशनों की शुरुआत की, जिनमें –
    • सौर ऊर्जा मिशन
    • ऊर्जा दक्षता
    • जल संरक्षण
    • टिकाऊ कृषि आदि शामिल हैं।
  2. मनरेगा (MGNREGA):
    यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ-साथ जल संरक्षण, वृक्षारोपण, मिट्टी संरक्षण जैसे कार्यों को बढ़ावा देती है, जो सतत विकास में सहायक हैं।
  3. स्वच्छ भारत मिशन:
    यह अभियान स्वच्छता, स्वच्छ जल, कचरा प्रबंधन आदि के माध्यम से स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों को बेहतर बनाने का प्रयास है।
  4. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance):
    भारत ने सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए इस वैश्विक पहल का नेतृत्व किया, जो सतत ऊर्जा विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।

सतत विकास के समक्ष चुनौतियाँ

  1. आबादी में वृद्धि:
    बढ़ती जनसंख्या संसाधनों पर अत्यधिक दबाव डालती है, जिससे उन्हें संतुलित ढंग से प्रयोग करना कठिन हो जाता है।
  2. गरीबी और बेरोजगारी:
    आर्थिक असमानता और गरीबी के कारण लोग अल्पकालिक जरूरतों को प्राथमिकता देते हैं और दीर्घकालिक पर्यावरणीय दृष्टिकोण को नजरअंदाज करते हैं।
  3. प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन:
    वायु, जल और भूमि प्रदूषण के स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे पारिस्थितिक तंत्र असंतुलित हो रहा है और सतत विकास में बाधा आ रही है।
  4. नीतियों का सही कार्यान्वयन न होना:
    अनेक बार सरकारें योजनाएँ तो बनाती हैं लेकिन उनका प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पाता, जिससे सतत विकास की गति धीमी पड़ जाती है।

सतत विकास के उपाय

  1. नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग:
    कोयला, पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधनों की जगह सौर, पवन, जल और बायोगैस जैसी स्वच्छ और सतत ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना आवश्यक है।
  2. वृक्षारोपण और वनों का संरक्षण:
    वनों की कटाई को रोककर, पुनर्वनीकरण को बढ़ावा देना सतत विकास की दिशा में एक मजबूत कदम है।
  3. जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन:
    जल संकट से बचने के लिए पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरीकों से जल संरक्षण जरूरी है।
  4. शिक्षा और जागरूकता:
    नागरिकों को सतत जीवनशैली, पर्यावरणीय शिक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की जानकारी देना अनिवार्य है।
  5. स्थानीय समुदायों की भागीदारी:
    गांव, नगर और स्थानीय निकायों को पर्यावरण संरक्षण में शामिल करना और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना ज़रूरी है।

यह टिप्पणी स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि सतत विकास केवल एक विचार नहीं, बल्कि आज के युग की सबसे बड़ी आवश्यकता है। इसके बिना न तो पर्यावरण बचेगा, न समाज, न अर्थव्यवस्था – और न ही भविष्य की पीढ़ियाँ।

Bihar Board Class 10th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 12th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 11th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 9th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 8th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 7th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 6th Solutions & NotesClick Here

अगर आप बिहार बोर्ड कक्षा 6वीं से 12वींतक की परीक्षा की बेहतरीन तैयारी करना चाहते हैं, तो हमारे YouTube चैनल को ज़रूर सब्सक्राइब करें!

यहाँ आपको सभी विषयों के विस्तृत Solutions, Notes, महत्वपूर्ण प्रश्न, मॉडल पेपर और परीक्षा में अच्छे अंक लाने के टिप्स मिलेंगे। हमारी वीडियो क्लासेस आसान भाषा में समझाई गई हैं, ताकि हर छात्र बिना किसी परेशानी के अपनी पढ़ाई पूरी कर सके।

हमारे चैनल की विशेषताएँ:
✔️सभी विषयों की वीडियो व्याख्या
✔️परीक्षा में आने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों का हल
✔️बेस्टस्टडीप्लान और टिप्स
✔️बिहार बोर्ड के सिलेबस पर आधारित संपूर्ण तैयारी

🔴अभी देखें और सब्सक्राइब करें –Click Here
आपकी सफलता ही हमारा लक्ष्य है!

Study Help एक शैक्षिक वेबसाइट है जो बिहार बोर्ड कक्षा 10 के छात्रों के लिए नोट्स, समाधान और अध्ययन सामग्री प्रदान करती है। यहाँ हिंदी, गणित, सामाजिक विज्ञान सहित सभी विषयों के विस्तृत समाधान उपलब्ध हैं। साथ ही, Godhuli Part 2 (गद्य, पद्य, व्याकरण) और गणित के सभी अध्यायों के नोट्स भी शामिल हैं। वेबसाइट से जुड़े अपडेट्स के लिए YouTube, WhatsApp, Telegram और सोशल मीडिया लिंक भी उपलब्ध हैं, जिससे छात्र बेहतर मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।

Leave a comment