स्पिनोजा के परमार्थिक दृष्टिकोण पर पदार्थ और गुणों के संदर्भ में चर्चा कीजिए।


परिचय:

बारूख स्पिनोजा (Baruch Spinoza) 17वीं शताब्दी के डच दार्शनिक थे, जिन्होंने दर्शन को धार्मिक कट्टरता और द्वैतवाद से निकाल कर तर्क और एकत्व (monism) की ओर ले जाने का प्रयास किया। उनका प्रमुख ग्रंथ Ethics है, जिसमें उन्होंने एक परमार्थिक दृष्टिकोण से ईश्वर, पदार्थ (Substance), गुण (Attributes), और स्वतंत्रता जैसे विषयों की व्याख्या की।

स्पिनोजा ने पारंपरिक ईश्वर और आत्मा के विचारों से हटकर एक अविभाज्य सत्ता का सिद्धांत दिया, जिसे उन्होंने “ईश्वर अथवा प्रकृति” (God or Nature) कहा। उन्होंने माना कि संपूर्ण सृष्टि एक ही पदार्थ से बनी है, और ईश्वर ही वह पदार्थ है।


1. स्पिनोजा का परमार्थिक दृष्टिकोण:

स्पिनोजा के परमार्थिक दर्शन की नींव एकत्ववाद (Monism) पर है। उनके अनुसार, केवल एक ही परमार्थिक सत्ता है – और वह है ‘पदार्थ’ (Substance)।
उन्होंने प्लेटो, अरस्तू और देकार्त की तरह दो या अधिक स्वतंत्र सत्ता (जैसे आत्मा और शरीर, ईश्वर और जगत) को नहीं माना।

उनका तर्क था कि यदि कोई सत्ता परमार्थिक है, तो वह स्वतंत्र, असीम और स्वयं के कारण (causa sui) होगी। इस परिभाषा के अनुसार केवल एक ही सत्ता है – ईश्वर = पदार्थ।

स्पिनोजा के अनुसार:

“पदार्थ ही ईश्वर है, और ईश्वर ही पदार्थ है।”

इसलिए उनके दर्शन को “पेंथेइज़्म” (Pantheism) भी कहा जाता है – यानी “ईश्वर ही प्रकृति है, और प्रकृति ही ईश्वर है।”


2. पदार्थ (Substance):

स्पिनोजा के अनुसार पदार्थ वह है जो अपने आप में विद्यमान है और अपने आप से ही समझा जा सकता है।
यह किसी अन्य पर निर्भर नहीं है।

  • पदार्थ नित्य (eternal) है,
  • असीम (infinite) है,
  • और अविनाशी (indestructible) है।

स्पिनोजा ने पदार्थ को किसी एक चीज़ के रूप में नहीं, बल्कि पूर्ण अस्तित्व के रूप में देखा।
यानी, यह पदार्थ कोई सीमित वस्तु नहीं बल्कि सम्पूर्ण सत्ता है – जिसमें ब्रह्मांड की हर चीज़ सम्मिलित है।


3. गुण (Attributes):

स्पिनोजा ने कहा कि पदार्थ को हम उसके गुणों (Attributes) के माध्यम से ही समझ सकते हैं।

उनके अनुसार, गुण वह है जो बुद्धि को पदार्थ के सार को व्यक्त करने का माध्यम बनता है।
पदार्थ में अनगिनत गुण हो सकते हैं, लेकिन मनुष्य केवल दो गुणों को ही जानता है:

(i) चिंतन (Thought):

  • यह आत्मा या मस्तिष्क से संबंधित है।
  • यह बताता है कि पदार्थ को मानसिक रूप में कैसे अनुभव किया जाता है।
  • उदाहरण: विचार, स्मृति, कल्पना।

(ii) विस्तार (Extension):

  • यह पदार्थ के भौतिक रूप को दर्शाता है।
  • यह स्थान और आकार से संबंधित होता है।
  • उदाहरण: शरीर, गति, आकार।

स्पिनोजा के अनुसार आत्मा और शरीर दो अलग-अलग चीज़ें नहीं हैं, बल्कि एक ही पदार्थ के दो अलग-अलग गुण हैं।
इस प्रकार, द्वैतवाद का खंडन करते हुए स्पिनोजा ने आत्मा और शरीर को एक ही सत्ता के दो पहलू बताया।


4. स्पिनोजा की परिभाषा अनुसार संबंध:

तत्वव्याख्या
पदार्थएकमात्र परमार्थिक सत्ता; स्वतंत्र, असीम और शाश्वत।
गुणपदार्थ के वे रूप जिनके द्वारा हम उसे समझते हैं।
प्रकारगुणों के भीतर विविध रूप जो वस्तुओं में दिखते हैं।

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