परिचय:
मध्यकालीन यूरोप में सामंतवादी व्यवस्था के पतन के साथ-साथ नई राजनीतिक संरचनाएँ उभरने लगीं। इनमें सबसे प्रभावशाली था निरंकुश राजतंत्र (Absolute Monarchy), जिसमें राजा को सर्वोच्च शक्ति प्राप्त होती थी और वह कानून, संसद या अन्य किसी संस्था से बंधा नहीं होता था। स्पेन उन देशों में प्रमुख था, जहाँ निरंकुश शासन ने बहुत जल्दी और प्रभावी रूप में आकार लिया। यह प्रक्रिया 15वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में शुरू हुई और 16वीं शताब्दी में अपने चरम पर पहुँच गई। इस परिवर्तन में कई ऐतिहासिक घटनाओं, व्यक्तित्वों और सामाजिक-राजनीतिक कारकों की भूमिका रही।
1. राजनीतिक एकीकरण की प्रक्रिया
(क) कैस्टिल और आरागॉन का संघ:
स्पेन में पहले कई छोटे-छोटे राज्य थे। 1469 में फर्डिनेंड ऑफ आरागॉन और इसाबेला ऑफ कैस्टिल का विवाह हुआ, जिससे दो बड़े राज्यों — आरागॉन और कैस्टिल — का एकीकरण हुआ। इसे स्पेन की एकता का आरंभ माना जाता है। इस युगल जोड़ी ने एक समर्पित और केंद्रीकृत शासन प्रणाली की नींव रखी।
(ख) मुस्लिम सत्ता का अंत:
1492 में ग्रेनेडा पर विजय प्राप्त कर फर्डिनेंड और इसाबेला ने मुस्लिम शासन का पूरी तरह अंत कर दिया। यह “रिकॉनक्विस्टा” (Reconquista) की अंतिम कड़ी थी। इससे स्पेन का राजनीतिक नक्शा एकीकृत हुआ और ईसाई सत्ता मजबूत हुई, जिससे राजा को धार्मिक समर्थन प्राप्त हुआ।
2. धार्मिक एकता और इनक्विजीशन का प्रयोग
(क) धार्मिक शुद्धता की नीति:
फर्डिनेंड और इसाबेला ने कैथोलिक चर्च की मदद से स्पेन में “धार्मिक एकता” लाने का संकल्प लिया। उन्होंने यहूदियों और मुसलमानों पर धर्मांतरण का दबाव बनाया और जो नहीं माने उन्हें निष्कासित कर दिया गया।
(ख) स्पेनिश इनक्विजीशन:
यह धार्मिक संस्था 1478 में स्थापित हुई, जिसका उद्देश्य “धर्म के शुद्ध रूप” की रक्षा करना था। इसका प्रयोग करके राजसत्ता ने यहूदी और मुस्लिम धर्मावलंबियों, साथ ही चर्च के विरोधियों पर दमनकारी नियंत्रण स्थापित किया। इससे जनता में भय का वातावरण बना और राजा की शक्ति और भी सुदृढ़ हुई।
3. सामंती व्यवस्था का कमजोर होना
(क) शक्तिशाली सामंतों का दमन:
फर्डिनेंड और इसाबेला ने सामंतों के किलों को नष्ट किया, उनकी निजी सेनाओं को भंग किया और केंद्रीय सेना का विकास किया। उन्होंने “कोरटेस” (Cortes – संसद) की शक्ति सीमित कर दी और अधिकतर निर्णय राजा स्वयं लेने लगे।
(ख) नगरों और व्यापारियों का समर्थन:
राजाओं ने नगरों और व्यापारिक वर्ग को संरक्षण दिया। बदले में इन वर्गों ने कर के रूप में राजकोष में योगदान दिया, जिससे राजा सामंतों पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं रहा।
4. नौकरशाही और केंद्रीय प्रशासन का विकास
(क) प्रशासनिक संरचना में सुधार:
राजा ने एक मजबूत प्रशासनिक तंत्र तैयार किया। अधिकारियों की नियुक्ति योग्यता के आधार पर की गई, न कि जन्म पर। इससे शासन तंत्र में राजा का सीधा नियंत्रण बढ़ा।
(ख) न्यायिक सुधार:
एक केंद्रीकृत न्याय प्रणाली की स्थापना की गई। न्यायालयों को राजसत्ता के अधीन लाया गया और पुराने सामंती न्यायालयों की शक्ति घटाई गई।
5. सैन्य शक्ति का केंद्रीकरण
(क) राष्ट्रीय सेना का गठन:
फर्डिनेंड और इसाबेला ने स्थानीय सामंती सेनाओं की जगह एक नियमित राष्ट्रीय सेना का निर्माण किया, जो केवल राजा के आदेश पर काम करती थी।
(ख) युद्धों में सफलता:
ग्रेनेडा पर विजय और विदेशी अभियानों में सफलता से राजशक्ति का प्रभाव बढ़ा। सेना अब केवल आंतरिक दमन के लिए नहीं, बल्कि विदेशी विस्तार के लिए भी प्रयोग होने लगी।
6. अमेरिका की खोज और उपनिवेशवाद
(क) कोलंबस की यात्रा (1492):
फर्डिनेंड और इसाबेला ने क्रिस्टोफर कोलंबस को अमेरिका की ओर समुद्री मार्ग खोजने के लिए समर्थन दिया। उनकी यात्रा से अमेरिका का “आविष्कार” हुआ और स्पेन को अपार दौलत मिली।
(ख) उपनिवेशों से आय:
स्पेन ने दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका और फिलीपींस जैसे क्षेत्रों में अपने उपनिवेश स्थापित किए। वहाँ से सोना, चाँदी, मसाले और अन्य सम्पत्ति आई, जिससे राजकोष समृद्ध हुआ और राजा आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो गया।
7. चार्ल्स पंचम और फिलिप द्वितीय के शासनकाल में निरंकुशता का चरम
(क) चार्ल्स पंचम (Charles V):
वह फर्डिनेंड और इसाबेला का पोता था। वह स्पेन के साथ-साथ पवित्र रोमन साम्राज्य का भी सम्राट था। उसने शासन को और अधिक केंद्रीकृत किया और सामंतों की शक्ति को सीमित किया।
(ख) फिलिप द्वितीय (Philip II):
वह निरंकुशता का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। उसके शासनकाल (1556-1598) में स्पेन में राजा का आदेश ही सर्वोपरि था। उसने चर्च और सेना को पूरी तरह नियंत्रण में कर लिया था।
- उसने स्पेनिश इनक्विजीशन को और कठोर बनाया।
- प्रशासन में सुधार किए और कर व्यवस्था को मजबूत किया।
- डच विद्रोह को कुचलने का प्रयास किया (हालाँकि इसमें पूरी सफलता नहीं मिली)।
8. चर्च के साथ गठजोड़
(क) ईश्वरीय अधिकार का सिद्धांत (Divine Right Theory):
राजा को “ईश्वर का प्रतिनिधि” माना गया। इससे प्रजा में यह धारणा बनी कि राजा की आज्ञा का पालन करना धार्मिक कर्तव्य है। इसका प्रचार चर्च के माध्यम से किया गया।
(ख) धार्मिक दमन के लिए चर्च का प्रयोग:
कैथोलिक चर्च ने राजसत्ता को वैधता दी और बदले में राजा ने चर्च को शक्ति, संपत्ति और संरक्षण दिया। इनक्विजीशन जैसे उपकरण इसी गठजोड़ का हिस्सा थे।
9. स्पेनिश संस्कृति और भाषा का प्रसार
(क) एक भाषा, एक संस्कृति की नीति:
राजा ने स्पेनिश भाषा और कैथोलिक संस्कृति को पूरे देश में थोपने का प्रयास किया। यह सांस्कृतिक एकीकरण राजा की निरंकुश सत्ता को और मजबूत करता था।
(ख) शिक्षा पर नियंत्रण:
चर्च और राज्य ने शिक्षा संस्थानों को अपने नियंत्रण में लिया। युवाओं में राजभक्ति और धार्मिक कट्टरता का संचार किया गया।
10. आर्थिक नियंत्रण
(क) कर प्रणाली का केंद्रीकरण:
राजा ने कर व्यवस्था को अपने नियंत्रण में लिया और देश के हर हिस्से से कर वसूली की निगरानी की। इससे उन्हें स्वतंत्र रूप से शासन चलाने के लिए संसाधन मिले।
(ख) व्यापार पर नियंत्रण:
राज्य ने व्यापारिक गतिविधियों पर नियंत्रण रखा और व्यापारियों से सहयोग लिया। अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर एकाधिकार स्थापित किया गया।