नयी कहानी पर टिप्पणी

नई कहानी: एक महत्वपूर्ण काव्य आंदोलन

प्रस्तावना

हिंदी साहित्य में “नई कहानी” एक ऐसा आंदोलन है, जिसने कहानी विधा को नई दृष्टि और नए आयाम प्रदान किए। यह आंदोलन 1950 के दशक में उभरकर आया और 1960 के दशक में अपने चरम पर पहुँचा। नई कहानी ने पारंपरिक कथानक, आदर्शवाद, और रोमांटिकता से हटकर यथार्थ और मानव जीवन की जटिलताओं को प्रस्तुत किया। यह आधुनिक हिंदी कहानी का एक ऐसा दौर था, जहाँ समाज, व्यक्ति और उनके अंतःसंबंधों को नए दृष्टिकोण से देखा गया।


नई कहानी का अर्थ

नई कहानी वह साहित्यिक धारा है, जिसमें कहानीकारों ने मानव जीवन की वास्तविकताओं, संवेदनाओं, और संघर्षों को आधुनिक दृष्टिकोण से अभिव्यक्त किया। इसमें नैतिकता, आदर्शवाद, और परंपरागत कथानक से हटकर जीवन की जटिलता और यथार्थ को केंद्र में रखा गया।

नामवर सिंह के अनुसार, “नई कहानी का उद्देश्य केवल नया दृष्टिकोण अपनाना नहीं है, बल्कि कहानी को जीवन के अधिक निकट ले जाना है।”


पृष्ठभूमि

नई कहानी का उदय स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के भारतीय समाज में हुए सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों की पृष्ठभूमि में हुआ।

  1. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद की चुनौतियाँ:
    स्वतंत्रता के बाद भारतीय समाज में बढ़ती असमानता, बेरोजगारी, और नैतिक पतन ने साहित्यकारों को प्रेरित किया।
  2. प्रगतिवाद का प्रभाव:
    नई कहानी ने प्रगतिवादी आंदोलन से प्रेरणा ली, लेकिन इसमें प्रगतिवाद की अतिशय वैचारिकता का त्याग किया।
  3. पश्चिमी साहित्य का प्रभाव:
    विशेषतः अर्नेस्ट हेमिंग्वे और चेखव जैसे लेखकों ने नई कहानी के लेखकों को प्रभावित किया।

नई कहानी की प्रमुख विशेषताएँ

  1. यथार्थ का चित्रण:

नई कहानी ने समाज और व्यक्ति के यथार्थ को प्रमुखता दी। इसमें कृत्रिमता और आदर्शवाद के बजाय जीवन की सच्चाई को प्रस्तुत किया गया।

उदाहरण: मोहन राकेश की कहानियाँ।

  1. मानवीय संवेदनाओं का चित्रण:

यह आंदोलन मानवीय संवेदनाओं की गहराइयों को समझने और प्रस्तुत करने का प्रयास करता है।

उदाहरण: कमलेश्वर की “राजा निरबंसिया।”

  1. व्यक्ति और समाज के अंतःसंबंधों की व्याख्या:

नई कहानी में व्यक्ति और समाज के बीच संघर्ष और जटिल संबंधों को गहराई से चित्रित किया गया है।

  1. संवाद शैली और सहज भाषा:

नई कहानी की भाषा सरल, सहज और संवादप्रधान है। इसमें कृत्रिम अलंकरण और क्लिष्टता का अभाव है।

  1. परंपरा का विरोध:

नई कहानी ने पुरानी कथाशैली, नैतिक उपदेश और आदर्शवाद को खारिज किया।

  1. सामाजिक और आर्थिक विषमता का चित्रण:

इस आंदोलन में समाज में व्याप्त असमानता, शोषण और भ्रष्टाचार को प्रमुखता से उठाया गया।

उदाहरण: भीष्म साहनी की कहानियाँ।

  1. अस्तित्ववाद और आधुनिकता का प्रभाव:

नई कहानी पर अस्तित्ववाद और आधुनिकता का गहरा प्रभाव दिखाई देता है। इसमें व्यक्ति की असुरक्षा और अकेलेपन को चित्रित किया गया।

उदाहरण: राजेंद्र यादव की “सारा आकाश।”


नई कहानी के प्रमुख लेखक और उनकी कृतियाँ

  1. मोहन राकेश:

प्रमुख कृतियाँ: “मलबे का मालिक,” “आधे-अधूरे।”

विशेषता: यथार्थ और मानवीय संबंधों की गहराई।

  1. कमलेश्वर:

प्रमुख कृतियाँ: “राजा निरबंसिया,” “नयी कहानी।”

विशेषता: सामाजिक यथार्थ और मानवीय संवेदनाएँ।

  1. राजेंद्र यादव:

प्रमुख कृतियाँ: “सारा आकाश,” “जहाँ लक्ष्मी कैद है।”

विशेषता: व्यक्ति और समाज के जटिल संबंध।

  1. भीष्म साहनी:

प्रमुख कृतियाँ: “चीफ की दावत,” “तमस।”

विशेषता: समाज में शोषण और असमानता का चित्रण।


प्रभाव और महत्व

  1. साहित्य में यथार्थवादी दृष्टिकोण:
    नई कहानी ने साहित्य में यथार्थवादी दृष्टिकोण को स्थापित किया।
  2. मानवीय संबंधों की गहराई:
    इसने मानवीय संबंधों और उनकी जटिलताओं को समझने और प्रस्तुत करने का प्रयास किया।
  3. सामाजिक जागरूकता:
    नई कहानी ने समाज की समस्याओं और विसंगतियों को उजागर किया।
  4. नए लेखकों को प्रेरणा:
    इस आंदोलन ने युवा लेखकों को नई दिशा और दृष्टिकोण प्रदान किया।

निष्कर्ष

नई कहानी हिंदी साहित्य का एक ऐसा आंदोलन है, जिसने कथा साहित्य को परंपरागत ढर्रे से मुक्त कर वास्तविकता और आधुनिकता के साथ जोड़ा। इसने कहानी को समाज और व्यक्ति के अधिक निकट लाया और जीवन के जटिल पहलुओं को उजागर किया। नई कहानी ने हिंदी साहित्य को विश्व साहित्य के समकक्ष खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Leave a comment