संदर्भ:
प्रस्तुत पंक्ति मलिक मोहम्मद जायसी की महाकाव्य रचना “पद्मावत” से ली गई है। यह पंक्ति नागमती के उस विरह-वर्णन का हिस्सा है, जिसमें वह अपने पति रतनसेन से बिछड़ने के बाद अपने हृदय की गहन पीड़ा को व्यक्त करती है। रतनसेन सिंहलद्वीप में पद्मावती को प्राप्त करने गए हैं, और उनके जाने के बाद नागमती अकेलेपन और विरह की वेदना से व्याकुल हो जाती है। इस पंक्ति में नागमती ने अपने दुःख और अपने प्रिय से मिलने की असमर्थता को व्यक्त किया है।
प्रसंग:
नागमती अपने पति रतनसेन की अनुपस्थिति में विरह की तीव्र वेदना महसूस करती है। वह अपने प्रिय को देख पाने की कामना करती है, लेकिन रास्ते में मौजूद कठिनाइयों और अपनी असहायता के कारण वह अत्यधिक दुखी है। यह पंक्ति उसी मनोस्थिति को व्यक्त करती है, जहाँ वह भौतिक बाधाओं और अपनी सीमाओं का वर्णन करते हुए अपनी पीड़ा को प्रकट करती है।
व्याख्या:
“परबत समुद्र अगम बिच, बीहड़ बन बनढांख।”
नागमती कहती हैं कि उनके और उनके प्रिय (रतनसेन) के बीच में पर्वत, समुद्र और दुर्गम जंगलों का विस्तार है। ये बाधाएँ इतनी कठिन हैं कि उन्हें पार कर पाना असंभव है। पर्वत और समुद्र यहाँ प्रतीकात्मक हैं, जो न केवल भौतिक दूरी को दर्शाते हैं, बल्कि उनके जीवन में आई कठिनाइयों और मानसिक बाधाओं को भी इंगित करते हैं।
“किमि कै भेंटौ कंत तुम्ह? ना मोहि पांव न पांख।”
नागमती आगे कहती हैं कि इन कठिनाइयों के कारण वह अपने प्रिय से कैसे मिल सकती हैं। उनके पास न तो पांव हैं (जो उनकी शारीरिक सीमाओं का प्रतीक हैं) और न ही पंख (जो उन्हें उड़कर अपने प्रिय तक पहुँचने की स्वतंत्रता दे सके)। यहाँ “पांव” और “पांख” उनकी असमर्थता और सामाजिक सीमाओं का प्रतीक हैं। वह यह स्वीकार करती हैं कि वह इन बाधाओं को पार करने में असमर्थ हैं और यह असहायता उनके दुःख को और भी बढ़ा देती है।
भावार्थ:
इस पंक्ति के माध्यम से जायसी ने नागमती की विरह-व्यथा को अत्यंत सजीव और मार्मिक रूप में प्रस्तुत किया है। नागमती के शब्द केवल उसकी व्यक्तिगत पीड़ा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह मानव जीवन की उन कठिनाइयों और बाधाओं का भी प्रतीक हैं, जिनसे हर व्यक्ति को गुजरना पड़ता है। “पांव” और “पांख” का अभाव यह दर्शाता है कि मानव जीवन में इच्छाओं की पूर्ति के लिए केवल प्रयास ही पर्याप्त नहीं हैं; कई बार परिस्थितियाँ भी व्यक्ति के वश में नहीं होतीं।
साहित्यिक विशेषता:
- प्रतीकात्मकता: पर्वत, समुद्र, और जंगल का उपयोग प्रतीकात्मक रूप से किया गया है, जो नागमती की कठिनाइयों और मानसिक संघर्षों को दर्शाते हैं।
- संवेदनशीलता: नागमती के शब्दों में उनके हृदय की पीड़ा और अपने प्रिय से मिलने की तीव्र इच्छा को हृदयस्पर्शी रूप में व्यक्त किया गया है।
- भौतिक और आध्यात्मिक दूरी: इस पंक्ति में भौतिक दूरी के साथ-साथ मानसिक और भावनात्मक दूरी का भी चित्रण है।
निष्कर्ष:
यह पंक्ति नागमती की विरह वेदना का उत्कृष्ट चित्रण है। इसमें न केवल उनकी असहायता और पीड़ा व्यक्त होती है, बल्कि यह भी स्पष्ट होता है कि सच्चे प्रेम में आने वाली बाधाएँ कितनी कठिन और असहनीय होती हैं। मलिक मोहम्मद जायसी ने नागमती के माध्यम से प्रेम, त्याग, और संघर्ष का जो चित्र प्रस्तुत किया है, वह “पद्मावत” को हिंदी साहित्य में अमर बना देता है।
| Bihar Board Class 10th Solutions & Notes | Click Here |
| Bihar Board Class 12th Solutions & Notes | Click Here |
| Bihar Board Class 11th Solutions & Notes | Click Here |
| Bihar Board Class 9th Solutions & Notes | Click Here |
| Bihar Board Class 8th Solutions & Notes | Click Here |
| Bihar Board Class 7th Solutions & Notes | Click Here |
| Bihar Board Class 6th Solutions & Notes | Click Here |
बिहार बोर्ड परीक्षा की बेहतरीन तैयारी के लिए हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें!यहाँ आपकोClass 6th से 12thतक सभी विषयों के Solutions, Notes और महत्वपूर्ण प्रश्नों की व्याख्यामिलेंगी। अभी सब्सक्राइब करें और टॉप करें!
🔴देखें –Click Here