हिन्दी साहित्येतिहास लेखन की परम्परा में आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का योगदान रेखांकित कीजिए।

हिन्दी साहित्येतिहास लेखन की परंपरा में आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का योगदान

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी हिन्दी साहित्य के उन महान विद्वानों में से हैं जिन्होंने साहित्यिक इतिहास-लेखन को नई दिशा और गहराई प्रदान की। उनका साहित्य केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह समाज, संस्कृति, और भारतीय दर्शन को भी गहराई से समझाने वाला है। उनका इतिहास-लेखन भारतीय परंपराओं, आध्यात्मिक विचारों, और सामाजिक संदर्भों को समेटते हुए साहित्यिक प्रवृत्तियों को विश्लेषित करने का प्रयास करता है।

इस उत्तर में हिन्दी साहित्येतिहास-लेखन में आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के योगदान पर विस्तार से चर्चा की गई है।


हजारीप्रसाद द्विवेदी का परिचय

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म 19 अगस्त 1907 को बलिया, उत्तर प्रदेश के आरत दुबे का छपरा नामक गाँव में हुआ था। उनका शिक्षा और चिंतन भारतीय परंपरा और आधुनिक दृष्टि दोनों से प्रभावित था। वे एक कुशल निबंधकार, आलोचक, उपन्यासकार और इतिहासकार थे। उनका हिन्दी साहित्य के अध्ययन और इतिहास-लेखन में अविस्मरणीय योगदान है।

प्रमुख कृतियाँ

हिन्दी साहित्य की भूमिका

कबीर

सूर-साहित्य

नाथ-संप्रदाय

अशोक के फूल

कल्पलता


हिन्दी साहित्येतिहास-लेखन में योगदान

  1. इतिहास-लेखन का सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने साहित्य को केवल साहित्यिक प्रवृत्तियों तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने समाज, संस्कृति, और इतिहास को साहित्य से जोड़ते हुए उसके व्यापक संदर्भों को प्रस्तुत किया।

उनकी कृति ‘हिन्दी साहित्य की भूमिका’ में उन्होंने साहित्यिक प्रवृत्तियों को भारतीय समाज और सांस्कृतिक मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में देखा।

उन्होंने भक्ति आंदोलन को केवल धार्मिक आंदोलन नहीं माना, बल्कि इसे सामाजिक सुधार और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के रूप में प्रस्तुत किया।

  1. भक्ति आंदोलन का विश्लेषण

द्विवेदी जी ने हिन्दी साहित्य में भक्ति आंदोलन को एक विशेष स्थान दिया। उन्होंने इसे भारतीय समाज में सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक माना।

उनकी कृति ‘कबीर’ में कबीर की काव्य-दृष्टि और सामाजिक सुधार के प्रयासों का गहन अध्ययन किया गया है।

उन्होंने कबीर और नाथ संप्रदाय के बीच संबंधों की व्याख्या की और दिखाया कि भक्ति आंदोलन ने समाज के हर वर्ग को प्रभावित किया।

उन्होंने भक्ति साहित्य को जनमानस का साहित्य माना और इसे जाति, धर्म और वर्ग से ऊपर उठकर देखा।

  1. साहित्यिक प्रवृत्तियों का वर्गीकरण

आचार्य द्विवेदी ने साहित्यिक प्रवृत्तियों को काल-विभाजन के आधार पर प्रस्तुत करने के बजाय उनके अंतर्निहित मूल्यों और सामाजिक प्रभावों के आधार पर विश्लेषण किया।

उन्होंने साहित्य में धार्मिकता, नैतिकता, और आध्यात्मिकता को प्रमुख प्रवृत्तियाँ माना।

उन्होंने नाथ-संप्रदाय और संत साहित्य को भक्ति साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में प्रस्तुत किया।

  1. भाषा और शिल्प पर गहरी पकड़

द्विवेदी जी ने हिन्दी भाषा के विकास और उसकी विविधताओं पर विशेष ध्यान दिया।

उन्होंने साहित्यिक भाषा के विकास को समाज और संस्कृति के साथ जोड़ा।

उनकी कृति ‘नाथ-संप्रदाय’ में उन्होंने हिन्दी भाषा के प्रारंभिक स्वरूप और उसकी विकास यात्रा का विश्लेषण किया।

  1. भारतीय परंपराओं का संरक्षण

आचार्य द्विवेदी का इतिहास-लेखन भारतीय परंपराओं के प्रति गहन आस्था और सम्मान का उदाहरण है।

उन्होंने साहित्य को भारतीय संस्कृति और दर्शन का अभिन्न अंग माना।

उन्होंने भारतीय साहित्य को पश्चिमी दृष्टिकोण से अलग देखा और इसे भारतीय संदर्भों में समझाने की कोशिश की।

उनकी कृतियों में भारतीय ज्ञान परंपरा और उसकी निरंतरता को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

  1. नए दृष्टिकोण का समावेश

द्विवेदी जी ने हिन्दी साहित्य के इतिहास-लेखन में कई नए दृष्टिकोण जोड़े।

उन्होंने साहित्य को केवल राजाओं और दरबारों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि जनसामान्य के जीवन से भी जोड़ा।

उन्होंने संतों और सूफियों के साहित्य को विशेष महत्व दिया।

उन्होंने साहित्य को धर्म और समाज सुधार के साधन के रूप में देखा।


हिन्दी साहित्य की भूमिका: एक क्रांतिकारी कृति

आचार्य द्विवेदी की कृति ‘हिन्दी साहित्य की भूमिका’ हिन्दी साहित्य के इतिहास-लेखन में मील का पत्थर है।

इस कृति में उन्होंने हिन्दी साहित्य को भारतीय संस्कृति और दर्शन से जोड़ते हुए उसका गहन विश्लेषण किया।

उन्होंने इस पुस्तक में यह बताया कि साहित्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज को दिशा देने वाला माध्यम है।

इस पुस्तक में उन्होंने हिन्दी साहित्य को एक व्यापक दृष्टिकोण से देखा, जिसमें भाषा, संस्कृति, समाज, और इतिहास का समावेश है।


द्विवेदी जी की दृष्टि की विशेषताएँ

  1. सर्वसमावेशी दृष्टि

उन्होंने साहित्य को संकीर्ण दृष्टिकोण से मुक्त किया और उसमें भारतीय समाज की समग्रता को देखा।

  1. भारतीयता पर बल

उनका इतिहास-लेखन भारतीयता से ओतप्रोत है।

उन्होंने साहित्य को भारतीय जीवन-मूल्यों और संस्कृति के साथ जोड़ा।

  1. भाषा और साहित्य का संबंध

उन्होंने भाषा के विकास को साहित्य के विकास का आधार माना।

उनकी दृष्टि में भाषा और साहित्य एक-दूसरे के पूरक हैं।

  1. आधुनिकता और परंपरा का समन्वय

द्विवेदी जी ने परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाकर साहित्य का विश्लेषण किया।


हजारीप्रसाद द्विवेदी के इतिहास-लेखन की सीमाएँ

हालांकि आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का योगदान अनुपम है, लेकिन उनके इतिहास-लेखन में कुछ सीमाएँ भी रही हैं:

  1. आध्यात्मिक दृष्टिकोण की प्रधानता: उन्होंने साहित्य को मुख्यतः आध्यात्मिक दृष्टि से देखा, जिससे भौतिक और यथार्थवादी पक्षों की उपेक्षा हुई।
  2. दलित और स्त्री साहित्य की उपेक्षा: उनके इतिहास-लेखन में दलित और स्त्री साहित्य को पर्याप्त स्थान नहीं मिला।
  3. काल-विभाजन की अस्पष्टता: उन्होंने काल-विभाजन पर स्पष्टता नहीं दी, जिससे उनकी आलोचना हुई।

निष्कर्ष

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने हिन्दी साहित्य के इतिहास-लेखन को एक नई दिशा दी। उन्होंने साहित्य को केवल साहित्यिक प्रवृत्तियों तक सीमित न रखते हुए उसे भारतीय समाज, संस्कृति, और दर्शन के व्यापक संदर्भों में प्रस्तुत किया। उनके इतिहास-लेखन में भारतीय परंपराओं का संरक्षण, भक्ति आंदोलन का विश्लेषण, और भाषा तथा साहित्य का संबंध जैसे पहलू प्रमुख हैं।
उनका योगदान हिन्दी साहित्य के इतिहास-लेखन में अद्वितीय और प्रेरणादायक है। उनकी कृतियाँ न केवल साहित्यिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आज भी उनके इतिहास-लेखन की परंपरा अध्ययन और अनुसंधान के लिए मार्गदर्शक बनी हुई है।

अगर आपबिहार बोर्ड कक्षा 6वीं से 12वींतक की परीक्षा कीबेहतरीन तैयारीकरना चाहते हैं, तोहमारे YouTube चैनलको ज़रूर सब्सक्राइब करें!

यहाँ आपकोसभी विषयों के विस्तृत Solutions, Notes, महत्वपूर्ण प्रश्न, मॉडल पेपर और परीक्षा में अच्छे अंक लाने के टिप्समिलेंगे। हमारी वीडियोक्लासेसआसान भाषा में समझाई गई हैं, ताकि हर छात्रबिना किसी परेशानी केअपनी पढ़ाई पूरी कर सके।

हमारे चैनल की विशेषताएँ:
✔️सभी विषयों की वीडियो व्याख्या
✔️परीक्षा में आने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों का हल
✔️बेस्टस्टडीप्लान और टिप्स
✔️बिहार बोर्ड के सिलेबस पर आधारित संपूर्ण तैयारी

🔴अभी देखें और सब्सक्राइब करें –Click Here
आपकी सफलता ही हमारा लक्ष्य है!

Bihar Board Class 10th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 12th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 11th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 9th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 8th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 7th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 6th Solutions & NotesClick Here

Leave a comment