पारिस्थितिकी दर्शन के आन्दोलन का संक्षिप्त विवरण का चित्रण कीजिए।

पारिस्थितिकी दर्शन (Ecophilosophy) एक दार्शनिक आंदोलन है जिसका मुख्य उद्देश्य मनुष्य और प्रकृति के बीच संबंध को समझना और उसे पुनः परिभाषित करना है। यह दर्शन पारिस्थितिकी प्रणाली, पर्यावरणीय संकट और जैव विविधता के संरक्षण के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। पारिस्थितिकी दर्शन में यह विचार किया जाता है कि मनुष्य का अस्तित्व और विकास केवल प्रकृति से जुड़े हुए हैं, और यह जरूरी है कि हम प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण तरीके से जीवन व्यतीत करें।

पारिस्थितिकी दर्शन का इतिहास:

पारिस्थितिकी दर्शन का आरंभ 20वीं सदी के मध्य में हुआ, जब पर्यावरणीय संकट और औद्योगिकीकरण के कारण प्राकृतिक संसाधनों की अत्यधिक खपत और प्रदूषण के कारण पारिस्थितिकी समस्याएँ सामने आईं। पारिस्थितिकी आंदोलनों का महत्व बढ़ने लगा, जिसके कारण विभिन्न दार्शनिकों ने इस पर विचार करना शुरू किया। इस दर्शन का महत्वपूर्ण उद्देश्य न केवल मानवता की भलाई, बल्कि पृथ्वी पर सभी जीवन रूपों की भलाई भी है।

मुख्य विचारधाराएँ:

  1. प्राकृतिकता और मानवता का संबंध: पारिस्थितिकी दर्शन यह मानता है कि मनुष्य और प्रकृति का संबंध पारस्परिक है। मनुष्य केवल प्रकृति का हिस्सा है और उसे इसके संसाधनों का उपयोग करने का अधिकार नहीं है, बल्कि उसे इन संसाधनों का सम्मान करना चाहिए। यह विचार दार्शनिकों जैसे हेनरी डेविड थोरो और राल्फ वाल्डो इमर्सन से उत्पन्न हुआ था, जो प्रकृति के साथ एक गहरे संबंध की बात करते थे।
  2. ग्लोबल इकोलॉजिकल एथिक्स (वैश्विक पारिस्थितिकीय नैतिकता): यह सिद्धांत यह मानता है कि पर्यावरणीय संकट केवल एक स्थानीय समस्या नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर व्यापक प्रभाव डालता है। मनुष्य को अपनी गतिविधियों के परिणामों के बारे में सोचना चाहिए और पर्यावरणीय संकट को हल करने के लिए सामूहिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
  3. ऑन्टोलॉजिकल दृष्टिकोण (Existential perspectives): पारिस्थितिकी दर्शन के भीतर कुछ दार्शनिकों ने जीवन के अस्तित्व, मृत्यु और प्रकृति के संबंध को गहराई से समझने का प्रयास किया। उनका मानना था कि मनुष्य को अपनी प्रकृति की सीमाओं को समझते हुए अपने अस्तित्व को पुनः परिभाषित करना चाहिए, न कि उसे प्रकृति के ऊपर श्रेष्ठ मानना।
  4. पारिस्थितिकीवादी समाजवाद: यह विचारधारा यह मानती है कि पर्यावरणीय संकट के समाधान के लिए सामाजिक और आर्थिक संरचनाओं में परिवर्तन की आवश्यकता है। पारिस्थितिकीवादी समाजवाद का उद्देश्य न केवल प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना है, बल्कि समाज में समानता और न्याय की स्थिति भी स्थापित करना है।

समाप्ति:

पारिस्थितिकी दर्शन का उद्देश्य हमें यह समझाने में मदद करना है कि मनुष्य और प्रकृति के बीच गहरा और अभिन्न संबंध है। यह दर्शन यह सिखाता है कि हमें पृथ्वी के संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इन संसाधनों का उपयोग कर सकें। यह दर्शन हमें पर्यावरणीय संकटों के समाधान के लिए गहरी सोच और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता की याद दिलाता है।

Bihar Board Class 10th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 12th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 11th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 9th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 8th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 7th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 6th Solutions & NotesClick Here

अगर आपबिहार बोर्ड कक्षा 6वीं से 12वींतक की परीक्षा कीबेहतरीन तैयारीकरना चाहते हैं, तोहमारे YouTube चैनलको ज़रूर सब्सक्राइब करें!

यहाँ आपकोसभी विषयों के विस्तृत Solutions, Notes, महत्वपूर्ण प्रश्न, मॉडल पेपर और परीक्षा में अच्छे अंक लाने के टिप्समिलेंगे। हमारी वीडियोक्लासेसआसान भाषा में समझाई गई हैं, ताकि हर छात्रबिना किसी परेशानी केअपनी पढ़ाई पूरी कर सके।

हमारे चैनल की विशेषताएँ:
✔️सभी विषयों की वीडियो व्याख्या
✔️परीक्षा में आने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों का हल
✔️बेस्टस्टडीप्लान और टिप्स
✔️बिहार बोर्ड के सिलेबस पर आधारित संपूर्ण तैयारी

🔴अभी देखें और सब्सक्राइब करें –Click Here
आपकी सफलता ही हमारा लक्ष्य है!

Leave a comment