समकालीन हिंदी कविता स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक बदलावों की साक्षी रही है। इन कविताओं में जहां एक ओर आम जनजीवन की पीड़ा, संघर्ष और संवेदना है, वहीं दूसरी ओर विद्रोह, चेतना और बदलाव की लहर भी दिखाई देती है। इस युग के कवियों ने अपने अनुभवों को बेहद प्रामाणिक ढंग से अभिव्यक्त किया है। इस उत्तर में हम समकालीन कविता के पाँच प्रमुख कवियों – रामधारी सिंह ‘दिनकर’, अज्ञेय, केदारनाथ सिंह, धूमिल और कुंवर नारायण – की काव्य विशेषताओं का विवेचन करेंगे।
1. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (1908-1974)
काव्य विशेषताएँ:
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिंदी कविता के उस स्वर हैं, जिसमें वीरता, राष्ट्रप्रेम और सामाजिक चेतना का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। वे हिंदी के ‘राष्ट्रीय कवि’ कहे जाते हैं।
- राष्ट्रीयता का स्वर: दिनकर की कविताओं में स्वतंत्रता संग्राम की भावना, देशभक्ति और राष्ट्र के लिए बलिदान का उद्घोष मिलता है। उनकी प्रसिद्ध रचना ‘रश्मिरथी’ में कर्ण का चरित्र इसी भावना का परिचायक है।
- क्रांतिकारी चेतना: ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ जैसी पंक्तियाँ दिनकर के विद्रोही स्वभाव और जनचेतना को दर्शाती हैं।
- संवेदनशीलता और करुणा: ‘उर्वशी’ जैसी रचनाओं में उन्होंने प्रेम और नारी संवेदना को भी बड़ी गहराई से छुआ है।
- भाषा और शैली: ओज, गरिमा और प्रवाह उनकी भाषा की विशेषता है। संस्कृतनिष्ठ शब्दों का प्रयोग करते हुए भी उन्होंने कविता को जनसामान्य के लिए सुलभ बनाए रखा।
2. सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ (1911-1987)
काव्य विशेषताएँ:
अज्ञेय प्रयोगवादी आंदोलन के अग्रणी कवि माने जाते हैं। उन्होंने कविता में आत्मचिंतन, अस्तित्व की खोज और वैयक्तिक अनुभवों को नया रूप प्रदान किया।
- प्रयोगवाद और नई कविता के प्रवर्तक: उन्होंने कविता को परंपरागत ढाँचे से मुक्त कर उसे नया कलेवर दिया। उनके लिए कविता आत्माभिव्यक्ति का माध्यम थी।
- आंतरिक अनुभव और वैचारिक गहराई: उनकी कविताओं में गहन दार्शनिकता और बौद्धिकता देखने को मिलती है।
- प्रकृति से लगाव: अज्ञेय की कविताएँ प्रकृति के सौंदर्य और रहस्य को अत्यंत सूक्ष्मता से अभिव्यक्त करती हैं। उदाहरण के लिए, ‘नदी के द्वीप’ में यह स्पष्ट होता है।
- भाषा: अज्ञेय की भाषा गूढ़, सूक्ष्म और बिंबप्रधान होती है, जो पाठक को सोचने पर मजबूर करती है।
3. केदारनाथ सिंह (1934-2018)
काव्य विशेषताएँ:
केदारनाथ सिंह समकालीन कविता के ऐसे कवि हैं, जिन्होंने गाँव, लोक और साधारण मनुष्य के जीवन को कविता का विषय बनाया।
- गाँव और लोक जीवन की संवेदना: उनकी कविताओं में ग्रामीण जीवन की सादगी, संघर्ष और संस्कृति की झलक मिलती है। ‘बाघ’ जैसी कविता इसका सुंदर उदाहरण है।
- भाषा की सहजता: उनकी कविता की भाषा सरल, बोलचाल की और भावपूर्ण होती है, जो पाठक को सीधा स्पर्श करती है।
- प्रतीकों और बिंबों का प्रयोग: केदारनाथ सिंह ने प्रतीकों के माध्यम से गहरे अर्थों की रचना की। उनकी कविताएँ दृश्यात्मक होती हैं – जैसे चित्र में शब्द पिरो दिए गए हों।
- समकालीन यथार्थ का चित्रण: वे समाज की विसंगतियों, राजनीतिक विडंबनाओं और मानवीय पीड़ा को भी बड़ी आत्मीयता से कविता में लाते हैं।
4. धूमिल (1936-1975)
काव्य विशेषताएँ:
धूमिल को जनकवि कहा जाता है। उन्होंने हिंदी कविता को राजनीतिक दृष्टि और आम आदमी की आवाज दी।
- प्रखर राजनीतिक चेतना: धूमिल की कविताएँ सत्ता, व्यवस्था और शोषण के खिलाफ मुखर प्रतिरोध की भाषा हैं।
- आम आदमी की आवाज: वे मजदूर, किसान, बेरोजगार युवा जैसे उपेक्षित वर्गों की पीड़ा को स्वर देते हैं। उनकी कविताएँ ‘गंभीर आदमी का बयान’ जैसी शीर्षकों से ही समाज के प्रति उनके दृष्टिकोण को स्पष्ट करती हैं।
- विनम्र और आक्रोशयुक्त भाषा: उनकी कविताओं की भाषा आम बोलचाल की है, किंतु उसमें तीखापन और व्यंग्य की धार है।
- यथार्थ का निर्वसन: धूमिल यथार्थ को छिपाते नहीं, बल्कि उसकी नग्नता को सामने लाते हैं – यही उनकी कविता की ताकत है।
5. कुंवर नारायण (1927-2017)
काव्य विशेषताएँ:
कुंवर नारायण समकालीन कविता में दार्शनिकता और मानवीय मूल्यों के प्रतीक हैं। उनकी कविता विचारशीलता और गहराई के लिए जानी जाती है।
- दार्शनिक दृष्टिकोण: उनकी कविताओं में इतिहास, मिथक और वर्तमान की जटिलता का सूक्ष्म अध्ययन मिलता है। वे समय के पार सोचते हैं।
- मनुष्यता की खोज: उनकी कविताओं का केंद्रीय भाव मनुष्य है – उसकी करुणा, उसकी त्रासदी और उसकी संभावनाएँ।
- भाषा की परिपक्वता: कुंवर नारायण की भाषा गंभीर, परिष्कृत और भाव-प्रवण होती है।
- चिंतन और आत्ममंथन: वे कविता के माध्यम से आत्ममंथन करते हैं। ‘आत्मजयी’ जैसे महाकाव्यात्मक काव्य इसी दृष्टिकोण का परिणाम हैं।
निष्कर्ष:
समकालीन हिंदी कविता एक विशाल कैनवास है, जिसमें विविध विषयों, भावनाओं और दृष्टिकोणों को समेटा गया है। रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के राष्ट्रप्रेम से लेकर धूमिल के आक्रोश तक, अज्ञेय के दार्शनिक प्रयोगों से लेकर केदारनाथ सिंह के लोक जीवन चित्रण और कुंवर नारायण के मानवीय विवेक तक – ये पाँचों कवि समकालीन कविता की विविधताओं के प्रतीक हैं। इन्होंने कविता को केवल सौंदर्यबोध का माध्यम न मानकर, उसे संघर्ष, परिवर्तन और विचार का औजार बनाया। इन कवियों ने हिंदी कविता को समकालीन समाज का दर्पण बना दिया।
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