काव्य प्रयोजन से क्या समझते हैं? स्पष्ट करते हुए मम्मट के काव्य प्रयोजन प्रयोजन का विस्तृत विवेचन कीजिए।


मम्मट के काव्य प्रयोजन:

काव्य प्रयोजन से क्या समझते हैं?

परिचय:

काव्य का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं होता, बल्कि वह पाठक या श्रोता के जीवन को संवेदनात्मक, नैतिक और बौद्धिक रूप से समृद्ध करने का माध्यम होता है। साहित्य को ‘लोकहितकारी’ और ‘रसायनस्वरूप’ कहा गया है। इसलिए यह जानना आवश्यक है कि कवि काव्य की रचना क्यों करता है और पाठक को उससे क्या लाभ मिलता है — यही विचार ‘काव्य प्रयोजन’ के अंतर्गत आता है।

‘प्रयोजन’ का अर्थ है – उद्देश्य, फल या परिणाम।
अतः काव्य प्रयोजन से आशय है — काव्य रचना का उद्देश्य या लक्ष्य।


काव्य प्रयोजन की अवधारणा:

भारतीय काव्यशास्त्र में काव्य को केवल मनोरंजन का साधन न मानकर, एक सांस्कृतिक, नैतिक और आत्मिक उन्नयन का साधन माना गया है। काव्य के माध्यम से:

  • पाठक का मनोविनोद होता है,
  • नैतिक शिक्षा मिलती है,
  • जीवन के गूढ़ रहस्यों का अनुभव होता है,
  • समाज का दर्पण दिखाया जाता है,
  • और आत्मा को आनंद मिलता है।

(मम्मट के काव्य प्रयोजन)


मम्मट के काव्य प्रयोजन:

मम्मट (11वीं शताब्दी) संस्कृत काव्यशास्त्र के प्रसिद्ध आचार्य हैं। उनका ग्रंथ ‘काव्यप्रकाश’ काव्यशास्त्र की अमूल्य धरोहर है। इसमें मम्मट ने काव्य के स्वरूप, गुण, दोष, अलंकार, वक्रोक्ति, रस आदि सभी पहलुओं पर गंभीर विचार किया है।

मम्मट द्वारा प्रतिपादित काव्य प्रयोजन:

मम्मट ने काव्य के प्रयोजन को तीन मुख्य रूपों में वर्गीकृत किया है:

  1. श्रव्यकाव्य का प्रयोजन – “शोकमोहभयत्राणं”
    अर्थात्: शोक, मोह और भय से त्राण (मुक्ति)
  2. नाट्यकाव्य का प्रयोजन – “लोकशिक्षणमन्त्रार्थं”
    अर्थात्: लोक का शिक्षण और नीति उपदेश
  3. सर्वसाधारण प्रयोजन – “सर्वोपदेशभाजनं”
    अर्थात्: सर्व प्रकार के उपदेशों का स्रोत

1. श्रव्यकाव्य का प्रयोजन – “शोकमोहभयत्राणं”:

यह शुद्ध साहित्यिक काव्य के लिए प्रयुक्त होता है, जिसे पाठक या श्रोता केवल सुनते या पढ़ते हैं।

  • शोक – जीवन के दुःख-दर्द को कम करने वाला
  • मोह – अज्ञान या आसक्ति से मुक्ति देने वाला
  • भय – मन में स्थित भय व आशंका को शांत करने वाला

उदाहरण:
किसी करुण कविता को पढ़कर पाठक स्वयं के दुःख को भूल जाता है।
या कोई वीर रस का काव्य पाठक के मन में उत्साह भरता है और भय मिटा देता है।

इसका सार: काव्य पाठक की मानसिक पीड़ा को कम करके उसे मानसिक रूप से संतुलन की ओर ले जाता है।

(मम्मट के काव्य प्रयोजन)


2. नाट्यकाव्य का प्रयोजन – “लोकशिक्षणमन्त्रार्थं”:

यह उद्देश्य विशेषकर नाटक या अभिनय प्रधान काव्य के लिए है।

  • लोकशिक्षण – समाज को नीति, धर्म, कर्तव्य, मर्यादा की शिक्षा देना
  • मन्त्रार्थं – नीति, परामर्श, जीवन-दर्शन देना

उदाहरण:
कालिदास के नाटकों या शूद्रक के ‘मृच्छकटिक’ नाटक में समाज के विविध वर्गों को नीति, धर्म, प्रेम और त्याग की शिक्षा दी जाती है।

इसका सार: नाट्यकाव्य समाज के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करता है जिससे व्यक्ति जीवन में प्रेरणा ले।


3. सर्वोपदेशभाजनं – उपदेश का माध्यम:

मम्मट ने काव्य को “सर्वोपदेशभाजनं” कहा – अर्थात् वह ज्ञान, नीति, धर्म, दर्शन, प्रेम, भक्ति, आदि सभी प्रकार के उपदेशों का संप्रेषण करता है।

काव्य किसी एक उद्देश्य तक सीमित नहीं होता। उसमें विविध भावनाओं, दृष्टिकोणों और जीवन-मूल्यों का समन्वय होता है। इसलिए वह समस्त उपदेशों का वाहक है।

इसका सार: काव्य न केवल मनोरंजन करता है, बल्कि शिक्षाप्रद भी होता है। वह एक गुरु के समान कार्य करता है।

(मम्मट के काव्य प्रयोजन)


मम्मट के प्रयोजन का मूल्यांकन:

मम्मट की प्रयोजन-संस्था केवल सिद्धांत नहीं है, बल्कि काव्य की शक्ति और प्रभाव को व्यावहारिक धरातल पर प्रस्तुत करती है। उनके द्वारा वर्णित काव्य प्रयोजन आज भी पूर्णतः प्रासंगिक हैं:

1. मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण:
मनुष्य भावनात्मक प्राणी है। काव्य उसके मन को भावनात्मक सुकून देता है। शोक, मोह और भय – ये तीन मानव पीड़ा के मूल कारण हैं, जिनसे मुक्त करना काव्य का उद्देश्य है।

2. सामाजिक उपयोगिता:
काव्य सामाजिक चेतना का वाहक है। नीति, धर्म, नैतिकता, कर्तव्य आदि का संप्रेषण लोक शिक्षण के माध्यम से होता है।

3. बौद्धिक और आत्मिक उन्नयन:
काव्य केवल मन बहलाने वाला नहीं है, बल्कि वह चिंतन, दर्शन और अध्यात्म की ओर प्रेरित करता है।


अन्य आचार्यों की तुलना में मम्मट का योगदान:

  • भरतमुनि ने काव्य प्रयोजन को “लोकवृत्तानुकीर्तनम्” कहा – अर्थात् जनजीवन का अनुकरण।
  • आनंदवर्धन ने रस को सर्वोच्च माना और रसास्वादन को काव्य का प्रयोजन बताया।
  • भामह ने “मनोरंजन” को ही प्रयोजन कहा।
  • राजशेखर ने “कवि की कीर्ति” को काव्य का प्रयोजन माना।

लेकिन मम्मट ने सभी दृष्टिकोणों का समन्वय करते हुए काव्य प्रयोजन को बहुआयामी रूप में प्रस्तुत किया, जो उन्हें विशिष्ट बनाता है। (मम्मट के काव्य प्रयोजन)


काव्य प्रयोजन की आधुनिक प्रासंगिकता:

आज के समय में भी काव्य प्रयोजन उतना ही प्रासंगिक है:

  • मानसिक तनाव से राहत: कविता, गीत, उपन्यास आदि से लोग मानसिक सुकून पाते हैं।
  • समाज सुधार: साहित्य सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आवाज़ उठाता है (जैसे दलित साहित्य, नारीवादी साहित्य)।
  • जीवन-दर्शन: आधुनिक कवि भी मानव अस्तित्व, मूल्यों और प्रेम की व्याख्या करते हैं।

(मम्मट के काव्य प्रयोजन)


निष्कर्ष:

मम्मट द्वारा प्रतिपादित काव्य प्रयोजन की अवधारणा अत्यंत संतुलित, व्यावहारिक और सार्वकालिक है। उनका यह मत केवल काव्य के सौंदर्य तक सीमित नहीं है, बल्कि वह साहित्य को जीवन के संकटों से मुक्ति देने वाला, समाज को दिशा देने वाला और आत्मा को शांति देने वाला मानता है।

इसलिए मम्मट का काव्य प्रयोजन केवल सिद्धांत नहीं, बल्कि साहित्यिक साधना का गहन उद्देश्य है।

मम्मट के काव्य प्रयोजन


Bihar Board Class 10th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 12th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 11th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 9th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 8th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 7th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 6th Solutions & NotesClick Here

अगर आप बिहार बोर्ड कक्षा 6वीं से 12वींतक की परीक्षा की बेहतरीन तैयारी करना चाहते हैं, तो हमारे YouTube चैनल को ज़रूर सब्सक्राइब करें!

यहाँ आपको सभी विषयों के विस्तृत Solutions, Notes, महत्वपूर्ण प्रश्न, मॉडल पेपर और परीक्षा में अच्छे अंक लाने के टिप्स मिलेंगे। हमारी वीडियो क्लासेस आसान भाषा में समझाई गई हैं, ताकि हर छात्र बिना किसी परेशानी के अपनी पढ़ाई पूरी कर सके।

हमारे चैनल की विशेषताएँ:
✔️सभी विषयों की वीडियो व्याख्या
✔️परीक्षा में आने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों का हल
✔️बेस्टस्टडीप्लान और टिप्स
✔️बिहार बोर्ड के सिलेबस पर आधारित संपूर्ण तैयारी

🔴अभी देखें और सब्सक्राइब करें –Click Here
आपकी सफलता ही हमारा लक्ष्य है!

Study Help एक शैक्षिक वेबसाइट है जो बिहार बोर्ड कक्षा 10 के छात्रों के लिए नोट्स, समाधान और अध्ययन सामग्री प्रदान करती है। यहाँ हिंदी, गणित, सामाजिक विज्ञान सहित सभी विषयों के विस्तृत समाधान उपलब्ध हैं। साथ ही, Godhuli Part 2 (गद्य, पद्य, व्याकरण) और गणित के सभी अध्यायों के नोट्स भी शामिल हैं। वेबसाइट से जुड़े अपडेट्स के लिए YouTube, WhatsApp, Telegram और सोशल मीडिया लिंक भी उपलब्ध हैं, जिससे छात्र बेहतर मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।

Leave a comment