परिचय:
जर्मन दार्शनिक गॉटफ्राइड विल्हेल्म लाइबनित्ज (Gottfried Wilhelm Leibniz) 17वीं शताब्दी के एक महान चिंतक थे। उन्होंने दार्शनिक, गणितीय और वैज्ञानिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी एक जटिल लेकिन महत्वपूर्ण अवधारणा है – मोनाड (Monad)।
लाइबनित्ज की “मोनाडोलॉजी” (Monadology) नामक पुस्तक में यह विचार प्रमुख रूप से सामने आता है। इस सिद्धांत के अनुसार, सारा ब्रह्मांड “मोनाड” नामक सूक्ष्म, अविभाज्य और आत्म-नियंत्रित इकाइयों से मिलकर बना है।
मोनाड क्या है?
मोनाड एक ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ है – “एकक” या “एकता”।
लाइबनित्ज के अनुसार, मोनाड वह मूलभूत इकाई है जिससे यह सारा संसार बना है।
यह न तो कोई भौतिक कण है, न ही कोई अणु या परमाणु जैसा पदार्थ। यह एक प्रकार का आध्यात्मिक या मानसिक कण है – एक ऐसी वास्तविकता जो अविभाज्य, अदृश्य और स्वतंत्र होती है।
मोनाड की मुख्य विशेषताएँ:
- अविभाज्यता (Indivisibility):
मोनाड को किसी भी छोटे भाग में विभाजित नहीं किया जा सकता। यह बिल्कुल बुनियादी इकाई है। - विस्तारहीनता (No Extension):
मोनाड का कोई आकार, लंबाई, चौड़ाई या आयतन नहीं होता। यह पूरी तरह मानसिक या आध्यात्मिक होती है। - स्वायत्तता (Self-contained):
हर मोनाड अपने भीतर ही कार्य करती है। यह किसी बाहरी शक्ति से नियंत्रित नहीं होती।
जैसे घड़ी अपने तंत्र से चलती है, वैसे ही मोनाड अपनी “आंतरिक ऊर्जा” या “पूर्व-निर्धारित योजना” से काम करती है। - धारणा की शक्ति (Perception):
हर मोनाड में perception यानी “धारणा” करने की शक्ति होती है। यह संसार की घटनाओं को अपने तरीके से “अनुभव” करती है। - इच्छा शक्ति (Appetition):
मोनाड में एक प्रकार की “इच्छा” होती है जो इसे अगले अनुभव या अवस्था की ओर ले जाती है। - बाहरी क्रिया नहीं:
एक मोनाड दूसरी मोनाड को छू नहीं सकती, न ही उस पर कोई सीधा प्रभाव डाल सकती है।
पूर्व-स्थापित समरसता (Pre-established Harmony):
यह लाइबनित्ज के मोनाड सिद्धांत का सबसे प्रसिद्ध और जटिल भाग है।
लाइबनित्ज के अनुसार, भले ही मोनाड एक-दूसरे के साथ सीधे संपर्क में नहीं होतीं, लेकिन फिर भी यह संसार एक संगठित व्यवस्था में कार्य करता है। इसका कारण यह है कि ईश्वर ने पहले से ही सभी मोनाडों में ऐसी “समरसता” या तालमेल सेट कर दी है कि वे एक-दूसरे के साथ “बिना संपर्क के” भी “समय के साथ” मिलकर कार्य करती हैं।
उदाहरण के लिए:
मान लीजिए दो घड़ियाँ हैं जो एक ही समय पर चल रही हैं, लेकिन आपस में जुड़ी नहीं हैं। अगर दोनों एक ही समय पर बजती हैं, तो यह संयोग नहीं बल्कि पहले से तय तालमेल का परिणाम है। यही पूर्व-स्थापित समरसता है।
मोनाड के प्रकार:
लाइबनित्ज ने मोनाडों को उनकी “धारणा की शक्ति” के अनुसार तीन श्रेणियों में बाँटा:
- सरल मोनाड (Simple Monads):
इनमें केवल मौलिक धारणा होती है। जैसे – पत्थर, पानी आदि की इकाइयाँ। - आत्मिक मोनाड (Soulful Monads):
इनमें स्पष्ट धारणा और स्मृति होती है। जैसे – जानवरों की आत्मा। - प्रमुख या सर्वोच्च मोनाड (Supreme Monad):
यह मोनाड ईश्वर की होती है। इसमें पूर्ण ज्ञान, संपूर्ण समझ और सबसे उच्च धारणा होती है। ईश्वर ने ही सभी मोनाडों में समरसता सेट की है।
मोनाडोलॉजी और ब्रह्मांड की रचना:
लाइबनित्ज के अनुसार, यह पूरा ब्रह्मांड अनगिनत मोनाडों से बना है, जो आपस में जुड़ी नहीं हैं, लेकिन फिर भी पूरी तरह संगठित रूप से कार्य करती हैं।
हर मोनाड “संसार का एक प्रतिबिंब” (Mirror of the Universe) होती है – यानी हर मोनाड अपने स्तर पर पूरे ब्रह्मांड की झलक लिए रहती है।