लुई चौदहवां फ्रांस का सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली राजा माना जाता है। उसे “सूर्य राजा” (Sun King) कहा जाता था क्योंकि वह खुद को अपने साम्राज्य का केन्द्र मानता था, ठीक जैसे सौरमंडल का केन्द्र सूरज होता है। लुई चौदहवें का शासनकाल 1643 से 1715 तक रहा, जो किसी भी यूरोपीय राजा का सबसे लंबा शासनकाल था—करीब 72 साल।
लुई चौदहवें का जन्म 5 सितंबर 1638 को फ्रांस के सेंट जर्मेन-एं-ले में हुआ था। उसके पिता लुई तेरहवें और माता ऐनी ऑफ ऑस्ट्रिया थीं। जब लुई चौदहवें केवल पाँच साल का था, तभी उसके पिता की मृत्यु हो गई और वह फ्रांस का राजा बना। लेकिन चूँकि वह बहुत छोटा था, इसलिए शासन की जिम्मेदारी उसकी माँ ऐनी और मंत्री कार्डिनल मजारिन ने संभाली।
जब लुई युवा हुआ, तब उसने खुद शासन की पूरी बागडोर अपने हाथों में ले ली। उसने यह तय किया कि वह बिना प्रधानमंत्री के शासन करेगा। यह निर्णय अपने आप में क्रांतिकारी था क्योंकि इससे पहले फ्रांस में राजा परामर्शदाताओं के भरोसे चलता था। लुई ने राजसत्ता को पूरी तरह केंद्रीकृत कर दिया। उसने कहा—“मैं ही राज्य हूँ” (L’État, c’est moi)। यह कथन उसकी निरंकुश सत्ता और राजशाही के चरम रूप को दर्शाता है।
लुई चौदहवां बहुत ही भव्य जीवन जीता था। उसने वर्साय महल (Palace of Versailles) बनवाया, जो आज भी उसकी शक्ति और शानो-शौकत का प्रतीक माना जाता है। यह महल सिर्फ एक निवास स्थान नहीं था, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक नियंत्रण का केन्द्र था। उसने दरबारियों को अपने पास रखने की नीति अपनाई ताकि वे कोई विद्रोह या साजिश न कर सकें। वर्साय महल में राजा का जीवन पूरी तरह नाटकीय और नियमबद्ध होता था, जिससे उसके प्रति श्रद्धा और डर बना रहे।
उसका शासनकाल फ्रांस की सैन्य और सांस्कृतिक ताकत का स्वर्ण युग माना जाता है। उसने फ्रांस की सेना को संगठित और मजबूत किया, कई युद्ध किए और फ्रांस की सीमाओं का विस्तार किया। हालाँकि उसके कई युद्ध बहुत महंगे साबित हुए और देश की आर्थिक स्थिति पर बोझ डालने लगे। उसने स्पेन, नीदरलैंड्स और जर्मन राज्यों के साथ कई लड़ाइयाँ लड़ीं, जिससे फ्रांस का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव बढ़ा, लेकिन वित्तीय संकट भी गहराता गया।
लुई चौदहवां कला और संस्कृति का बहुत बड़ा संरक्षक था। उसके शासन में चित्रकला, वास्तुकला, नाटक, संगीत और साहित्य को खूब बढ़ावा मिला। वह खुद को कला का महान संरक्षक मानता था और चाहता था कि फ्रांस सांस्कृतिक दृष्टि से यूरोप का नेतृत्व करे।
धार्मिक मामलों में लुई चौदहवां एक कट्टर कैथोलिक था। उसने 1685 में नांतेस की संधि (Edict of Nantes) को रद्द कर दिया, जिससे प्रोटेस्टेंटों को धार्मिक स्वतंत्रता समाप्त हो गई। इसके चलते लाखों ह्यूगुनॉट (फ्रांसीसी प्रोटेस्टेंट) फ्रांस छोड़कर अन्य देशों में चले गए। इससे फ्रांस को आर्थिक और सामाजिक रूप से नुकसान हुआ क्योंकि इनमें कई कुशल कारीगर और व्यापारी थे।
लुई चौदहवें का निधन 1 सितंबर 1715 को हुआ। उसकी मृत्यु के बाद उसका प्रपौत्र लुई पंद्रहवां राजा बना। लुई चौदहवें के शासन ने फ्रांस को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित किया, लेकिन साथ ही उसकी नीतियों और युद्धों ने आर्थिक बोझ भी बढ़ा दिया। फिर भी, उसकी छवि एक ऐसे राजा की है जिसने राजतंत्र को सबसे शक्तिशाली रूप में प्रस्तुत किया और फ्रांस की संस्कृति को दुनिया के सामने गौरवशाली बनाया।