भारतीय संस्कृति एक जीवंत, समृद्ध और विविधता से भरपूर संस्कृति रही है, जिसकी जड़ें हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता में हैं। यह संस्कृति वेदों, उपनिषदों, पुराणों, रामायण, महाभारत, बौद्ध, जैन और सूफी परंपराओं से लेकर आधुनिक भारत की स्वतंत्रता संग्राम और संविधान तक फैली हुई है। किंतु जैसे-जैसे दुनिया वैश्वीकरण की दिशा में बढ़ी है, भारतीय संस्कृति पर भी इसके प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित होने लगे हैं। भूमंडलीकरण (Globalization) न केवल आर्थिक और तकनीकी बदलाव लाया है, बल्कि इसने सामाजिक, सांस्कृतिक और जीवनशैली से जुड़े पहलुओं को भी गहराई से प्रभावित किया है।
1. भूमंडलीकरण का अर्थ और प्रभाव का दायरा
भूमंडलीकरण का अर्थ है – विश्व स्तर पर आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रक्रियाओं का परस्पर जुड़ाव। संचार और परिवहन तकनीकों की तीव्र प्रगति, इंटरनेट और सोशल मीडिया की पहुंच तथा वैश्विक बाजार की खुली प्रतिस्पर्धा ने देशों को एक-दूसरे के निकट ला दिया है। भारतीय समाज भी इस प्रक्रिया से अछूता नहीं रहा।
2. पारंपरिक जीवनशैली और आधुनिकता के बीच संतुलन
प्राचीन भारतीय जीवनशैली सादगी, सामूहिकता, आध्यात्मिकता और प्रकृति से सामंजस्य पर आधारित रही है। परंतु भूमंडलीकरण के प्रभाव से उपभोक्तावादी दृष्टिकोण (Consumerism) का प्रसार हुआ है। शहरी युवाओं में ब्रांडेड वस्तुओं, अंतरराष्ट्रीय खानपान (जैसे पिज़्ज़ा, बर्गर), और फास्ट-फैशन की लोकप्रियता बढ़ी है। वहीं पारंपरिक पोशाकों की जगह पश्चिमी परिधान अपनाए जा रहे हैं। गाँवों में भी अब मोबाइल फोन, इंटरनेट, और सोशल मीडिया की पहुंच के कारण जीवनशैली में परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
3. भाषा और अभिव्यक्ति के रूप में बदलाव
हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएँ अब भी लोगों की आत्मा से जुड़ी हैं, लेकिन अंग्रेज़ी का प्रयोग न केवल शिक्षा और रोजगार में बल्कि आपसी संवाद में भी तेज़ी से बढ़ा है। मल्टीनेशनल कंपनियों, बीपीओ, आईटी सेक्टर में काम करने वाली पीढ़ी अब अंग्रेज़ी को प्राथमिक भाषा के रूप में इस्तेमाल कर रही है। यहां तक कि पारिवारिक और सामाजिक आयोजनों में भी अंग्रेज़ी शब्दों का प्रयोग आम हो गया है। यही नहीं, सोशल मीडिया की भाषा भी ‘हिंग्लिश’ के रूप में एक नया मिश्रण बन चुकी है, जिससे भाषाई अस्मिता को नई चुनौती मिली है।
4. भोजन और खानपान की आदतों में बदलाव
भारतीय भोजन परंपराएं स्वास्थ्यवर्धक और मौसमी प्रकृति पर आधारित रही हैं, जैसे – सादा खाना, दाल-चावल, रोटी-सब्ज़ी, मसाले, आयुर्वेदिक दृष्टिकोण इत्यादि। भूमंडलीकरण ने भारतीय समाज को पश्चिमी भोजन जैसे फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंक, इंस्टेंट मील्स की ओर आकर्षित किया है। बड़े शहरों में अब पिज़्ज़ा, पास्ता, चाइनीज़ नूडल्स, बर्गर जैसे विदेशी व्यंजन आम हो गए हैं। इससे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ा है, बल्कि भारतीय पाक परंपराओं की महत्ता भी कम होने लगी है।
5. पारिवारिक संरचना और सामाजिक संबंधों में बदलाव
भारतीय संस्कृति में संयुक्त परिवार की परंपरा गहरी रही है, जहां कई पीढ़ियाँ एक साथ रहती थीं। भूमंडलीकरण और शहरीकरण के प्रभाव से अब एकल परिवारों (Nuclear families) की संख्या बढ़ रही है। युवा पीढ़ी काम के सिलसिले में शहरों या विदेशों में जाकर बसने लगी है। इसके कारण बुज़ुर्गों की उपेक्षा, पारिवारिक बंधनों की शिथिलता और सामाजिक अलगाव जैसी समस्याएं भी उभरी हैं। त्योहारों और रीति-रिवाजों में भागीदारी भी कम होती जा रही है।
6. शिक्षा प्रणाली और ज्ञान परंपराओं में परिवर्तन
जहाँ पहले शिक्षा का केंद्र गुरुकुल और जीवनमूल्यों पर आधारित ज्ञान रहा, वहीं अब तकनीकी और व्यवसायिक शिक्षा को अधिक महत्व मिल रहा है। विदेशी विश्वविद्यालयों से शिक्षा लेना एक सामाजिक प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। भारतीय छात्र बड़ी संख्या में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप पारंपरिक ज्ञान जैसे योग, आयुर्वेद, वेद, ज्योतिष इत्यादि को कम महत्व मिलने लगा है, हालांकि यह विडंबना है कि इन्हीं परंपराओं को अब विदेशी समाज ने अपनाया है और उन्हें विश्वपटल पर प्रतिष्ठा मिल रही है।
7. मनोरंजन और सांस्कृतिक उत्पादों में बदलाव
भारत का पारंपरिक मनोरंजन संगीत, लोकनृत्य, कथकली, भरतनाट्यम, कथक, नौटंकी, रामलीला, कवि सम्मेलन जैसे सांस्कृतिक आयोजन रहे हैं। भूमंडलीकरण के बाद अब इनकी जगह फिल्मों, वेब सीरीज़, रियलिटी शोज़ और पॉप म्यूज़िक ने ले ली है। टीवी और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर परोसी जाने वाली सामग्री में अक्सर पश्चिमी जीवनशैली, बोलचाल और विचारधारा का प्रभाव देखा जाता है। इससे नई पीढ़ी भारतीय लोक-संस्कृति से धीरे-धीरे दूर हो रही है।
8. धार्मिक विश्वास और आध्यात्मिकता में बदलाव
भारतीय संस्कृति की एक विशेषता उसकी गहरी धार्मिकता और आध्यात्मिकता रही है। किंतु भूमंडलीकरण के साथ ही भौतिकता और तर्कवादी सोच का प्रभाव बढ़ा है। युवा पीढ़ी धार्मिक अनुष्ठानों और त्योहारों से भावनात्मक रूप से कम जुड़ाव रखने लगी है। साथ ही, धार्मिक आयोजनों में प्रदर्शन और भव्यता की प्रवृत्ति बढ़ी है, जिससे उनमें आंतरिक सादगी और भावना की कमी हो गई है।
9. महिला सशक्तिकरण और लैंगिक भूमिकाओं में बदलाव
भूमंडलीकरण का एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि महिलाओं की भूमिका में बड़ा परिवर्तन आया है। अब महिलाएं शिक्षा, नौकरी, व्यवसाय, राजनीति और कला के हर क्षेत्र में प्रमुखता से भाग ले रही हैं। पारंपरिक भारतीय समाज में जहाँ महिलाओं को घरेलू भूमिकाओं तक सीमित किया जाता था, वहीं आज वे स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम हो रही हैं। हालांकि इसके साथ-साथ पारिवारिक और सामाजिक भूमिका में संतुलन बनाना महिलाओं के लिए एक नई चुनौती बन गया है।
10. युवाओं की सोच और पहचान में परिवर्तन
भारतीय युवा अब वैश्विक नागरिक बनने की आकांक्षा रखने लगे हैं। इंटरनेट, सोशल मीडिया और मोबाइल एप्स ने उन्हें विश्वभर की जानकारी और सांस्कृतिक प्रभावों से जोड़ दिया है। वे अब पश्चिमी मूल्यों जैसे व्यक्तिवाद, स्वतंत्रता, आत्म-निर्भरता, और प्रतिस्पर्धा को अधिक महत्व देने लगे हैं। इसका असर यह है कि सामूहिकता, सह-अस्तित्व और सहिष्णुता जैसे भारतीय मूल्य धीरे-धीरे हाशिये पर जा रहे हैं।
11. लोककलाओं और हस्तशिल्प की स्थिति
भारतीय लोककलाएं – जैसे मधुबनी चित्रकला, वारली आर्ट, बांस शिल्प, मृदंग निर्माण आदि – भूमंडलीकरण की दौड़ में उपेक्षित हो गई हैं। बाज़ार में सस्ते चीनी उत्पादों और मशीन से बने सामानों ने हस्तनिर्मित वस्तुओं को पीछे छोड़ दिया है। हालांकि अब कुछ संस्थाएं और स्टार्टअप्स इन्हें पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं, परंतु यह संघर्ष अभी लंबा है।
12. प्रकृति और पारंपरिक ज्ञान के प्रति दृष्टिकोण
भारतीय संस्कृति में प्रकृति को देवतुल्य माना गया है – जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश की पूजा की जाती रही है। परंतु भूमंडलीकरण और औद्योगीकरण ने इस दृष्टिकोण को बदल दिया है। अब प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन, प्रदूषण, प्लास्टिक संस्कृति, और कार्बन उत्सर्जन जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। परंपरागत पर्यावरणीय संतुलन की समझ धीरे-धीरे समाप्त हो रही है।
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