Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1(ङ) शक्ति (ऊर्जा) संसाधन
शक्ति अर्थात ऊर्जा विकास की कुंजी है। मानव सदियों से अपने विभिन्न क्रिया-कलाप हेतु शक्ति (Energy) के जैव एवं अजैव रूपों का प्रयोग करते आ रहा है। मानव ने प्रारम्भिक चरणों में अपने शारीरिक शक्ति का प्रयोग किया, फिर पशुओं को परिवहन के कार्य में प्रयुक्त किया। मानव के अर्थिक क्रिया-कलाप के बढ़ने के साथ ही ऊर्जा या शक्ति के नये-नये स्रोतों की खोज हुई। मशीनों को चलाने के लिए पवन चक्की का उपयोग किया जाने लगा। शक्ति के साधनों का वास्तविक विकास 18 वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रान्ति के साथ शुरू हुआ। कोयले का उपयोग कर वाष्प-शक्ति का विकास इंग्लैंण्ड में हुआ। शीघ्र ही इसका प्रसार यूरोप के अन्य देशों में हो गया। समय बीतने के साथ ऊर्जा के नये स्रोत विकसित हुए। पेट्रोलियम ने कोयले का स्थान ले लिया। कालांतर में परमाणु शक्ति का विकास किया गया। आज शक्ति अथवा ऊर्जा के स्रोत ही विकास एवं औद्योगिकरण के आधार हैं। यही कारण है कि कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, जल विद्युत एवं आणविक ऊर्जा स्रोतों को “वाणिज्यिक ऊर्जा स्रोत” कहा जाता है।
शक्ति संसाधन के प्रकारः
शक्ति संसाधन के वर्गीकरण के विविध आधार हो सकते हैं।
उपयोग स्तर के आधार पर शक्ति के दो प्रकार हैं-
सतत् शक्ति एवं समापनीय शक्ति। सौर किरणें, भूमिगत उष्मा, पवन, प्रवाहित जल आदि सतत् शक्ति के स्रोत हैं जबकि कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं विखण्डनीय तत्व समापनीय शक्ति स्रोत हैं।
उपयोगिता के आधार पर उर्जा के दो भागो में विभक्त किया जाता है। पहला प्राथमिक ऊर्जा, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि तथा दूसरा गौण ऊर्जा, जैसे- विद्युत, क्योंकि यह प्राथमिक ऊर्जा से प्राप्त किया जाता है।
स्रोत के स्थिति के आधार पर शक्ति को दो भागो में वर्गीकृत किया जाता है। पहला क्षयशिल शक्ति संसाधन जैसे- पेट्रोलियम, कोयला, प्राकृतिक गैस तथा आण्विक खनिज आदि तथा दूसरा अक्षयशिल शक्ति संसाधन, जैसे- प्रवाही जल, पवन, लहरें, सौर शक्ति आदि।
संरचनात्मक गुणों के आधार पर ऊर्जा के दो स्त्रोत हैं। जैविक ऊर्जा स्त्रोत और अजैविक ऊर्जा स्त्रोत। मानव एवं प्राणी जैविक तथा जल शक्ति, पवन-शक्ति, सौर शक्ति तथा इंधन शक्ति आदि अजैविक ऊर्जा स्त्रोत हैं।
समय के आधार पर ऊर्जा को पारम्परिक तथा गैर पारम्परिक स्त्रोतों में विभक्त किया गया है। कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस पारम्परिक तथा सूर्य, पवन, ज्वार, परमाणु ऊर्जा तथा गर्म झरने आदि गैर पारम्परिक शक्ति संसाधन के उदाहरण हैं।
आधुनिक काल में शक्ति के मुख्य स्रोतों में कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, प्रवाहित जल एवं आण्विक खनिज के अध्ययन के साथ-साथ सौर शक्ति, पवन शक्ति, ज्वारीय शक्ति, भूतापीय शक्ति तथा जैव शक्ति का भी अध्ययन आवश्यक हो गया है।
पारम्परिक ऊर्जा स्रोतः- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस जैसे खनिज ईंधन जो जीवाश्म ईंधन के नाम से भी जाने जाते हैं ये पारम्परिक शक्ति संसाधन हैं तथा ये समाप्य संसाधन है।
कोयलाः- कोयला शक्ति और ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है। भूगर्भिक दृष्टि से भारत के समस्त कोयला भण्डार को दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता हैः-
1.गोंडवाना समूहः- इस समूह में भारत के 96 प्रतिशत कोयले का भण्डार है तथा कुल उत्पादन का 99 प्रतिशत भाग प्राप्त होता है। गोंडवाना कोयला क्षेत्र मुख्यतः चार नही-घाटियों में पाये जाते हैं-
1.दामोदर घाटी, 2. सोन घाटी, 3. महानदी घाटी तथा 4. वार्घा-गोदावरी घाटी।
2.टर्शियरी समूहः- गोडवाना समूह के बाद टर्शियरी समूह के कोयला का निर्माण हुआ। यह 5.5 करोड़ वर्ष पुराना है। टर्शियरी कोयला मुख्यतः असम, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैण्ड में पाया जाता है।
कोयले का वर्गीकरणः- कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला को चार वर्गों में रखा गया हैः
1.ऐंथासाइटः- यह सर्वोच्य कोटि का कोयला है जिसमें कार्बन की मात्रा 90% से अधिक होती है। जलने पर यह धुँआ नही देता है।
2.बिटुमिनसः- यह 70 से 90% कार्बन की मात्रा धारण किये हुए रहता है तथा इसे पारिष्कृत कर कोकिंग कोयला बनाया जा सकता है। भारत का अधिकतर कोयला इसी श्रेणी का है।
3.लिग्नाईटः- यह निम्न कोटि का कोयला माना जाता है जिसमें कार्बन की मात्रा 30 से 70% होता है। यह कम ऊष्मा तथा अधिक धुआँ देता है।
4.पीटः- इसमें कार्बन की मात्रा 30% से भी कम पाया जाता है। यह पूर्व के दलदली भागों में पाया जाता है।
गांडवाला समूह का कोयला क्षेत्रः-
झारखण्ड – कोयले के भण्डार एवं उत्पादन की दृष्टि से झारखण्ड का देश में पहला स्थान है। यहाँ देश का 30 प्रतिशत से भी अधिक कोयला का सुरक्षित भण्डार है। झरिया, बोकारो, गिरिडीह, कर्णपुरा, रामगढ़ इस राज्य के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं। पश्चिम बंगाल के रानीगंज कोयला क्षेत्र का कुछ भाग इसी राज्य में पड़ता है।
छत्तीसगढ़ः- सुरक्षित भण्डार की दृष्टि से इस राज्य का स्थान तीसरा किन्तु उत्पादन में यह भारत का दूसरा बड़ा राज्य है। यहाँ देश का 15 प्रतिशत सुरक्षित भण्डार है लेकिन उत्पादन 16 प्रतिशत होता है।
उड़ीसाः- उड़िसा में एक चौथाई कोयले का भण्डार है पर उत्पादन मात्र 14.6 प्रतिशत ही होता है।
महाराष्ट्र: यहाँ भारत का मात्र 3 प्रतिशत कोयला सुरक्षित है पर उत्पादन देश का 9 प्रतिशत से भी अधिक होता है
मध्य प्रदेश: इस राज्य में देश का मात्र 7 प्रतिशत कोयले का भण्डार है क्योंकि अधिकांश कोयला क्षेत्र छत्तीसगढ़ में चला गया है।
पश्चिम बंगाल: यह राज्य सुरक्षित भण्डार की दृष्टि से देश का चौथा एवं उत्पादन में सातवाँ स्थान रखता है।
टर्शियरिय कोयला क्षेत्रः- टर्शियरी युग में बना कोयला नया एवं घटिया किस्म का होता है। यह कोयला मेघालय मे दारगिरी, चेरापूंजी, लेतरिंग्यू, माओलौंग और लांगरिन क्षेत्र से निकाला जाता है। ऊपरी असम में माकुम, जयपुर, नजिरा आदि कोयले के क्षेत्र हैं। अरूणाचल प्रदेश में नामचिक और नामरूक कोयला क्षेत्र है। जम्मू और कश्मिर में कालाकोट से कोयला निकाला जाता हैं।
लिग्नाइट कोयला क्षेत्र :
यह एक निम्न कोटि का कोयला होता है। इसमें नमी ज्यादा तथा कार्बन कम होता है। इसलिए यह अधिक धुँआ देता है। लिग्नाइट कोयले का भण्डार मुख्य रूप से तमिलनाडु के लिग्नाइट वेसिन में पाया जाता है। जहाँ देश का 94 प्रतिशत लिग्नाइट कोयले का सुरक्षित भंडार है।
पेट्रोलियम :
पेट्रोलियम शक्ति के समस्त साधनों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं व्यापक रूप से उपयोगी संसाधन है। पेट्रोलियम से विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ जैसे- गैसोलीन, डीजल, किरासन तेल, स्नेहक, कीटनाशक दवाएँ, दवाएँ, पेट्रोल, साबुन, कृत्रिम रेशा, प्लास्टिक आदि बनाए जाते हैं।
तेल क्षेत्रों का वितरण :
भारत में मुख्यतः पाँच तेल उत्पादक क्षेत्र हैं :
- 1.उत्तरी-पूर्वी प्रदेश : यह देश का सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है, जहाँ 1866 ई० में तेल के लिए खुदाई शुरू की गई थी। ऊपरी असम घाटी, अरूणाचल प्रदेश, नागालैण्ड आदि विशाल तेल उत्पादक क्षेत्र इसके अन्तर्गत आते हैं।
- 2.गुजरात क्षेत्र : यह क्षेत्र खम्भात के बेसिन तथा गुजरात के मैदान में विस्तृत है। यहाँ पहली बार 1958 में तेल का पता चला था। इसके मुख्य उत्पादक अंकलेश्वर, कलोल, नवगाँव, कोसांबा, मेहसाना आदि हैं।
- 3.मुम्बई हाई क्षेत्र : यह क्षेत्र मुम्बई तट से 176 किलोमीटर दूर उŸार-पश्चिम दिशा में अरब सागर में स्थित है। यहाँ 1975 में तेल खोजने का कार्य शुरू हुआ। यहाँ समुद्र में सागर सम्राट नामक मंच बनाया गया है जो जलयान है और पानी के भीतर तेल के कुँए खोदने का कार्य करता है।
- 4.पूर्वी तट प्रदेशः- यह कृष्ण-गोदावरी और कावेरी नदियों के बेसिल तथा मुहाने के समुद्री क्षेत्र में फैला हुआ है।
- 5.बारमेर बेसिनः- इस बेसिन के मंगला तेल क्षेत्र से सितम्बर 2009 से उत्पादन शुरू हो गया हैं। यहाँ प्रतिदिन 56000 बैरल तेल का उत्पादन हो रहा है। 2012 तक यह क्षेत्र भारत का 20 प्रतिशत पेट्रोलियम उत्पन्न करेगा।
तेल परिष्करणः- कुओं से निकाला गया कच्चा तेल अपरिष्कृत एवं अशुद्ध होता है अतः उपयोग के पूर्व उसे तेल शोधक कारखानों में परिष्कृत किया जाना आवश्यक होता है। उसके बाद ही डीजल, पेट्रोल, किरासन तेल, स्नेहक पदार्थ तथा अन्य कई वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। 1901 ई० में भारत का प्रथम तेल शोधक कारखाना असम के डिगबोई में स्थापित हुआ था। 1954 ई० में दूसरी परिष्करणशाला मुम्बई में स्थापित किया गया। इसके बाद तेल शोधन में भारत ने काफी विकास किया है। आज देश में 18 तेल परिष्करणकेन्द्र कार्य कर रही हैं।
प्राकृतिक गैस : प्राकृतिक गैस हमारे वर्त्तमान जीवन में बड़ी तेजी से एक महत्वपूर्ण ईंधन बनता जा रहा है। इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में मशीन को चलाने में, विद्युत उत्पादन में, खाना पकाने में तथा मोटर गाड़ियाँ चलाने में किया जा रहा है।
प्रायः पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र से ही प्राकृतिक गैस भी मिलते हैं। 1984 में प्राकृतिक गैस प्राधिकरण की स्थापना देश के प्राकृतिक गैसों के परिवहन, वितरण एवं विपणन हेतु किया गया जो 5340 किलोमीटर गैस पाइप लाइन द्वारा देश भर में फैले उपभोक्ताओं की आवश्यकता की पूर्ति करता है।
विधुत शक्तिः- विद्युत शक्ति उर्जा का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। वर्तमान विश्व में विद्युत के प्रति व्यक्ति उपभोग को विकास का एक सुचकांक माना जाता है। जब विद्युत के उत्पादन में कोयला, पेट्रोलियम या प्राकृतिक गैस से प्राप्त उष्मा का उपयोग किया जाता है तो उसे ताप विद्युत कहते हैं। इसके अतिरिक्त विद्युत का उत्पादन आण्विक खनिजों के विखण्डन से भी किया जाता है। जिसे परमाणु विद्युत कहते हैं।
जल विद्युतः- जल विद्युत उत्पादन के लिए सदावाहिनी नदी में प्रचुर जल की राशि, नदी मार्ग में ढ़ाल, जल का तीव्र वेग, प्राकृतिक जल प्रपात का होना अनुकूल भौतिक दशाएँ हैं जो पर्वतीय एवं हिमानीकृत क्षेत्रों में पाया जाता हैं। भारत में सन् 1897 ई0 में दार्जिलिंग में प्रथम जल विधुत संयंत्र की स्थापना हुई थी। इसके बाद कर्नाटक के शिवसमुद्रम् में काबेरी नदी के जलप्रपात पर दूसरे जल विद्युत संयंत्र की स्थापना हुई।
1947 तक भारत में 508 मेगावाट बिजली की उत्पादन की जाने लगी।
भारत के मुख्य बहुउद्देशीय परियोजनाएँ
बहुउद्देशीय परियोजना- नदियों पर बराज बनाकर ऐसा उपाय करना जिससे सिंचाई के साथ बिजली उत्पन्न करना (पन बिजली), बाढ़ की रोकथाम करना, मिट्टी का कटाव रोकना, मछली पालन, नहर के निर्माण द्वारा यातायात की सुविधा बढ़ाना और पर्यटन उद्योग हेतु रमणिक स्थानों का निर्माण आदि अनेक लाभ एक ही समय साथ-साथ लिए जा सके तो ऐसी परियोजना बहुमुखी, बहुधंधी या बहुउद्देशीय परियोजना कहलाती है। भारत में ऐसी मुख्य परियोजनाओं का अध्ययन जल शक्ति के वितरण पर प्रकाश डालते हैं।
- 1.भाखड़ा-नंगल परियोजना- भाखड़ा नंगल बाँध विश्व की ऊँची बाँधों में से एक है, जो हिमालय क्षेत्र में सतलज नदी पर है। जिसकी ऊँचाई 225 मीटर है। यह भारत की सबसे बड़ी परियोजना है। इससे 7 लाख किलोवाट विद्युत उत्पन्न किया जाता है।
- 2.दामोदरघाटी परियोजना– यह परियोजना दामोदर नदी पर झारखंड और पश्चिम बंगाल को बाढ़ से बचाने के लिए किया गया है। इससे 1300 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है।
- 3.कोशी परियोजना- नेपाल स्थित हनुमान नगर में कोशी नदी पर बाँध बनाकर इस परियोजना से 20000 किलोवाट बिजली उत्पन्न किया जाता है।
- 4.रिहन्द परियोजना- इस परियोजना को सोन की सहायक नदी रिहन्द पर उŸार प्रदेश में 934 मीटर लंबा बाँध बनाकर किया गया है। इससे 30 लाख किलोवाट बिजली उत्पादन किया जाता है।
- 5.हीराकुंड परियोजना- उड़ीसा के महानदी पर विश्व का सबसे लंबा बाँध बनाकर 2.7 लाख किलोवाट बिजली उत्पादन किया जाता है।
- 6.चंबल घाटी परियोजना- चंबल नदी पर राजस्थान में तीन बाँध गाँधी सागर, राणाप्रताप सागर और कोटा में स्थापित कर तीन शक्ति गृहों की स्थापना कर 2 लाख मेगावाट बिजली उत्पादन किया जाता है।
- 7.तुंगभद्रा परियोजना- यह दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी-घाटी परियोजना है, जो कृष्णा नदी की सहायक नदी तुंगभद्रा नदी पर बनाई गई है।
- शारवती नदी परियोजना – कर्नाटक में पश्चिम घाट की शारवती नदी पर जोग प्रपात के पास 2160 मीटर लम्बा एवं 62 मीटर ऊँचा बाँध बनाकर बिजली उत्पन्न किया जाता है।
ताप शक्ति
तापीय विद्युत का उत्पादन करने के लिए ताप शक्ति संयंत्रों में कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस का उपयोग होता है। जल विद्युत की तरह यह प्रदुषण रहित नहीं है।
परमाणु शक्ति-
जब उच्च अणुभार वाले परमाणु विखंडित होते हैं तो ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। यूरेनियम परमाणु ऊर्जा का कच्चा माल है। भारत में यूरेनियम का विशाल भंडार झारखण्ड के जादूगोड़ा में है।
भारत में 1955 में प्रथम आण्विक रियेक्टर मुम्बई के निकट तारापुर में स्थापित किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य उद्योग एवं कृषि को बिजली प्रदान करना था।
देश में अब तक छः विद्युत परमाणु विद्युत गृह स्थापित किए गए हैं।
- 1.तारापुर परमाणु विद्युत गृह– यह एशिया का सबसे बड़ा परमाणु विद्युत गृह है।
- 2.राणाप्रताप सागर परमाणु विद्युत गृह- यह राजस्थान के कोटा में स्थापित है। यह चंबल नदी के किनारे है।
- 3.कलपक्कम परमाणु विद्युत गृह- यह तमिलनाडु में स्थित है।
- 4.नरौरा परमाणु विद्युत गृह- यह उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के पास स्थित है।
- 5.ककरापारा परमाणु विद्युत गृह- यह गुजरात राज्य में समुद्र के किनारे स्थित है।
- 6.कैगा परमाणु विद्युत गृह- यह कर्नाटक राज्य के जागवार जिला में स्थित है।
- कुडनकुलम परमाणु विद्युत गृह: इस परमाणु विद्युत गृह का निर्माण रूस के सहयोग से तमिलनाडु के तूतीकोरिन बन्दरगाह के निकट चल रहा है
गैर-पारम्परिक शक्ति के स्त्रोत
अधिक दिनों तक हम शक्ति के पारम्परिक स्त्रोतों पर निर्भर नहीं रह सकते हैं क्योंकि यह समाप्य संसाधन है। इसलिए गैर-पारम्परिक शक्ति संसाधनों से ऊर्जा के विकास बहुत ही अधिक आवश्यक है। ऊर्जा के गैर पारम्परिक स्त्रोतों में बायो गैस, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय एवं तरंग ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा एवं जैव ऊर्जा महत्वपूर्ण हैं।
सौर ऊर्जा- यह कम लागत वाला पर्यावरण के अनुकूल तथा निर्माण में आसान होने के कारण अन्य ऊर्जा स्त्रोतों की अपेक्षा ज्यादा लाभदायक है।
राजस्थान और गुजरात में सौर ऊर्जा की ज्यादा संभावनाएँ हैं।
पवन ऊर्जा- पवन चक्कियों से पवन ऊर्जा की प्राप्ति की जाती है। भारत विश्व का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा उत्पादक देश है। देश में पवन ऊर्जा की संभावित उत्पादन क्षमता 50000 मेगावाट है। गुजरात के कच्छ में लाम्बा का पवन ऊर्जा संयंत्र एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र है। दूसरा बड़ा संयंत्र तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्थित है।
ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा : समुद्रि ज्वार तथा तरंग में जल गतिशील रहता है। अतः इसमें अपार ऊर्जा रहती है। अनुमान है कि भारत में 8,000-9,000 मेगावाट संभाव्य ज्वारीय एवं तरंग ऊर्जा है। खम्भात की खाड़ी सबसे अनुकूल है जहाँ पर 7,000 मेगावाट ऊर्जा प्राप्त किया जा सकता है। इसके बाद कच्छ की खाड़ी
(1000 मेगावाट) तथा सुन्दर वन (100 मेगावाट) का स्थान है।
भूतापीय ऊर्जा : यह ऊर्जा पृथ्वी के उच्च ताप से प्राप्त किया जाता है। जब भूगर्भ से मैग्मा निकलता है तो अपार ऊर्जा निर्मुक्त होता है। गीजर कूपों से निकलने वाले गर्म जल तथा गर्म झरनों से भी शक्ति प्राप्त किया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश के मनीकरण में भूतापीय ऊर्जा संयंत्र स्थापित है तथा दूसरा लद्दाख के दुर्गाबाटी में स्थित है।
बायो गैस एवं जैव ऊर्जा- ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि अपशिष्ट, पशुओं और मानव जनित्र अपशिष्ट के उपयोग से घरेलू उपयोग हेतु बायो गैस उपयोग की जाती है। जैविक पदार्थों के अपघटन से बायो गैस प्राप्त की जाती है।
जैविक पदार्थों से प्राप्त होनेवाली ऊर्जा को जैविक ऊर्जा कहते हैं। कृषि अवशेष, नगरपालिका, औद्योगिक एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थ जैविक पदार्थों के उदाहरण है।
शक्ति संसाधनों का संरक्षण :
ऊर्जा संकट विश्व व्यापी संकट बन चूका है। इस परिस्थिति में समस्या के समाधान की दिशा में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।
1.ऊर्जा के प्रयोग में मितव्ययीता : ऊर्जा संकट से बचने के लिए ऊर्जा के उपयोग में मितव्ययीता जरूरी है। इसके लिए तकनीकी विकास आवश्यक है। ऐसे मोटर गाड़ीयों का निर्माण हो जो कम तेल में ज्यादा चलते हैं। अनावश्यक बिजली को रोककर हम ऊर्जा की बचत बड़े स्तर पर कर सकते हैं।
2.ऊर्जा के नवीन क्षेत्रों की खोज- ऊर्जा संकट समाधान के लिए परम्परागत ऊर्जा के नये क्षेत्रों का खोज किया जाए। वैसे जगहों का पता लगाया जाए जहाँ पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैसों का भंडार हो।
3.ऊर्जा के नवीन वैकल्पिक साधनों का उपयोग- वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोत में जल-विद्युत, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैव ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि के
विकास कर उपभोग कर शक्ति के संसाधन को संरक्षित किया जा सकता है।
4.अंतराष्ट्रीय सहयोग- ऊर्जा संकट से बचने के लिए सभी राष्ट्र को आपसी भेद-भाव को भुलकर ऊर्जा समाधान हेतु आम सहमति से नीति निर्धारण करना चाहिए।
SOME IMPORTANT NOTES
- शक्ति के साधनों का वास्तविक विकास 18वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के साथ शुरू हुआ।
- आज शक्ति अथवा ऊर्जा के स्रोत ही विकास एवं औद्योगिकीकरण का आधार है।
- कोयला, पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस, जल विद्युत एवं आण्विक ऊर्जा स्रोतों को “वाणिज्य ऊर्जा स्रोत” कहा जाता है।
- कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस ऊर्जा के परंपरागत स्रोत हैं जबकि सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा ज्वारीय तथा तरंग ऊर्जा, बायोगैस एवं जैव ऊर्जा गैर-परंपरागत स्रोत हैं।
- गुजरात के कच्छ में ताम्बा का पवन ऊर्जा संयंत्र एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र है।
- भाखड़ा-नंगल परियोजना भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना है।
- 1901 में भारत का प्रथम तेलशोधक कारखाना असम के डिग्बोई में स्थापित हुआ।
- तारापुर परमाणु विद्युत गृह एशिया का सबसे बड़ा परमाणु विद्युत गृह है।
- शक्ति के साधनों का वास्तविक विकास 18वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के साथ शुरू हुआ।
- आज शक्ति अथवा ऊर्जा के स्रोत ही साधन एवं औद्योगिकीकरण का आधार है।
- परम्परागत ऊर्जा के साधन – कोयला, पेट्रोलियम, जल विद्युत, प्राकृतिक गैस, परमाणु ऊर्जा हैं।
- गैर-परम्परागत ऊर्जा के साधन-पवन, सूर्य किरण, भूताप, समुद्री ज्वार, जैव पदार्थ हैं।
- जल विद्युत उद्योगों के विकेंद्रीकरण में सहायक है।
- जलशक्ति को शक्ति का स्थायी स्रोत माना जाता है।
- भारत के प्रमुख शक्ति एवं उत्पादक केंद्रों के नाम हैं
- तापीय शक्ति बोकारो, चंद्रपुरा, दुर्गापुर, कहलगाँव, बरौनी, कोरबा, सिंगरौली, रामागुंडम, फरक्का , तालचर, पतरातू, ओवरा, दादरी।
- जलविद्युत शक्ति तिलैया, मैथन, पंचेत, कोयना, इडिक्की, पायकारा, मेडुर, मसान जोर, शिवसमुद्रम, उकाई, गाँधी सागर, नागार्जुन सागर।
- परमाणु शक्ति–तारापुर, कोटा, कलपक्कम, नरोरा, कैगा।
- भारत के प्रमुख कोयला क्षेत्र हैं-
- गोंडवानाकालीन कोयला क्षेत्र-झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र!
- टर्शियरीकालीन कोयला क्षेत्र असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड, जम्मू-कश्मीर,तमिलनाडु
प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र | राज्य |
1. सिंगरौली | मध्य प्रदेश |
2. कोरबा, झिलमिली, चिरमिरी | छत्तीसगढ़ |
3. तालचर | उड़ीसा |
4. धनबाद, रामगढ़, झरिया, कर्णपुरा, बोकारो | झारखंड |
5. रानीगंज | पश्चिम बंगाल |
6. सिंगरेनी | आंध्र प्रदेश |
प्रश्नोत्तर
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1. किस राज्य में खनिज तेल को विशाल भंडार स्थित है ?
(क) असम (ख) राजस्थान
(ग) बिहार (घ) तमिलनाडु
उत्तर- (क) असम
प्रश्न 2. भारत के किस स्थान पर पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित किया गया था ?
(क) कलपक्कम (ख) नरोरा
(ग) राणाप्रताप सागर (घ) तारापुर
उत्तर- (घ) तारापुर
प्रश्न 3. कौन-सा ऊर्जा स्रोत अनवीकरणीय है ?
(क) जल (ख) सौर
(ग) कोयला (घ) पवन
उत्तर- (ग) कोयला
प्रश्न 4. प्राथमिक ऊर्जा का उदाहरण नहीं है
(क) कोयला (ख) विद्युत
(ग) पेट्रोलियम (घ) प्राकृतिक गैस
उत्तर- (ख) विद्युत
प्रश्न 5. ऊर्जा का गैर-पारम्परिक स्रोत है
(क) कोयला (ख) विद्युत
(ग) पेट्रोलियम (घ) सौर-ऊर्जा
उत्तर- (घ) सौर-ऊर्जा
प्रश्न 6. गोण्डवाना समूह के कोयले का निर्माण हुआ था
(क) 20 करोड़ वर्ष पूर्व (ख) 20 लाख वर्ष पूर्व
(ग) 20 हजार वर्ष पूर्व (घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (क) 20 करोड़ वर्ष पूर्व
प्रश्न 7. भारत में कोयले का सर्वप्रमुख उत्पादक राज्य है
(क) पश्चिम बंगाल (ख) झारखण्ड
(ग) उड़ीसा (घ) छत्तीसगढ़
उत्तर- (ख) झारखण्ड
प्रश्न 8. सर्वोत्तम कोयले का प्रकार कौन-सा है ?
(क) एन्थ्रासाइट (ख) पीट
(ग) लिग्नाइट (घ) बिटुमिनस
उत्तर- (क) एन्थ्रासाइट
प्रश्न 9. मुम्बई हाई क्यों प्रसिद्ध है?
(क) कोयले के निर्यात हेतु (ख) तेल शोधक कारखाना हेतु
(ग) खनिज तेल हेतु (घ) परमाणु शक्ति हेतु
उत्तर- (ग) खनिज तेल हेतु
प्रश्न 10. भारत का प्रथम तेल शोधक कारखाना कहाँ स्थित है?
(क) मथुरा (ख) बरौनी
(ग) डिगबोई (घ) गुवाहाटी
उत्तर- (ग) डिगबोई
प्रश्न 11. प्राकृतिक गैस किस खनिज के साथ पाया जाता है?
(क) यूरेनियम (ख) पेट्रोलियम
(ग) चूना पत्थर (घ) कोयला
उत्तर- (ख) पेट्रोलियम
प्रश्न 12. भाखड़ा नंगल परियोजना किस नदी पर अवस्थित है ?
(क) नर्मदा (ख) झेलम
(ग) सतलज (घ) व्यास
उत्तर- (ग) सतलज
प्रश्न 13. दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना है।
(क) तुंगभद्रा (ख) शारवती
(ग) चंबल (घ) हिराकुण्ड
उत्तर- (क) तुंगभद्रा
प्रश्न 14. ताप विद्युत केन्द्र का उदाहरण है
(क) गया (ख) बरौनी
(ग) समस्तीपुर (घ) कटिहार
उत्तर- (ख) बरौनी
प्रश्न 15. यूरेनियम का प्रमुख उत्पादक स्थल है
(क) डिगबोई (ख) झरिया
(ग) घाटशिला (घ) जादूगोड़ा
उत्तर- (घ) जादूगोड़ा
प्रश्न 16. एशिया का सबसे बड़ा परमाणु विद्युत-गृह है।
(क) तारापुर (ख) कलपक्कम
(ग) नरौरा (घ) कैगा
उत्तर- (क) तारापुर
प्रश्न 17. भारत के किस राज्य में सौर-ऊर्जा के विकास की सर्वाधिक संभावनाएं हैं ?
(क) असम (ख) अरुणाचलप्रदेश
(ग) राजस्थान (घ) मेघालय
उत्तर- (ग) राजस्थान
प्रश्न 18. ज्वारीय एवं तरंग ऊर्जा उत्पादन हेतु भारत में अधिक अनुकूल परिस्थितियाँ कहाँ पाई जाती हैं ?
(क) मन्नार की खाड़ी में (ख) खम्भात की खाड़ी में
(ग) गंगा नदी में (घ) कोसी नदी में
उत्तर- (ख) खम्भात की खाड़ी में
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. पारम्परिक एवं गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्रोतों के तीन-तीन उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
पारम्परिक ऊर्जा स्रोत – कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, लकड़ी इत्यादि।
गैर-पारम्परिक ऊर्जा – स्रोत–बायो गैस, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा ज्वारीय ऊर्जा एवं तरंग ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा एवं जैव ऊर्जा।
प्रश्न 2. गोण्डवाना समूह के कोयला क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर-
(i) दामोदर घाटी (ii) सोन घाटी (iii) महानदी घाटी (iv) वर्धा-गोदावरी घाटी।
प्रश्न 3. झारखण्ड राज्य के मुख्य कोयला उत्पादक क्षेत्रों के नाम अंकित कीजिए।
उत्तर- झरिया, बोकारो, गिरीडीह, कर्णपुरा, रामगढ़।
प्रश्न 4. कोयले के विभिन्न प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर- (i) ऐंथासाइट (ii) बिटुमिनस (iii) लिग्नाइट (iv) पीट।
प्रश्न 5. पेट्रोलियम से किन-किन वस्तुओं का निर्माण होता है ?
उत्तर- गैसोलीन, डीजल, किरासन, तेल, स्नेहक, कीटनाशक दवाएँ, पेट्रोल, साबुन, कृत्रिम रेशा, प्लास्टिक आदि।
प्रश्न 6. सागर सम्राट क्या है ?
उत्तर- यह एक जलयान है जो पानी के भीतर तेल के कुएँ खोदने का कार्य करता है।
प्रश्न 7. किन्हीं चार तेल शोधक कारखाने का स्थान निर्दिष्ट कीजिए।
उत्तर- असम का डिग्बोई, मुम्बई का तारापुर, बिहार का बरौनी, उत्तर प्रदेश का मथुरा।
प्रश्न 8. जल विद्युत उत्पादन के कौर-कौन से मुख्य कारक हैं ?
उत्तर-
- नदी में प्रचुर जल की राशि
- नदी मार्ग में ढाल
- जल का तीव्र वेग
- प्राकृतिक जल-प्रपात का होना
- सघन औद्योगिक, वाणिज्यिक एवं आबाद क्षेत्रों जैसा
- ऊर्जा के अन्य स्रोतों का अभाव
- प्रौद्योगिकी ज्ञान।
प्रश्न 9. नदी घाटी परियोजनाओं को बहु-उद्देशीय क्यों कहा जाता है?
उत्तर- क्योंकि इससे एक साथ कई उद्देश्यों की पूर्ति होती है, जैसे-
- सिंचाई के साथ पनबिजली उत्पन्न करना।
- बाढ़ का नियंत्रण।
- मृदा अपरदन का नियंत्रण।
- मत्स्य पालन।
- पर्यटक स्थल का विकास।
- नहर निर्माण द्वारा यातायात की सुविधा का विकास।
प्रश्न 10. निम्नलिखित नदी घाटी परियोजनाएँ किन-किन राज्यों में अवस्थित हैं हीराकुण्ड, तुंगभद्रा एवं रिहन्द।
उत्तर-
- हीराकुण्ड – उड़ीसा में
- तुंगभद्रा – आंध्रप्रदेश में
- रिहन्द – उत्तर प्रदेश में
प्रश्न 11. ताप शक्ति क्यों समाप्य संसाधन है ?
उत्तर- ताप शक्ति संयंत्रों में तापीय विद्युत का उत्पादन करने के लिए कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस का उपयोग होता है। इन सभी का भंडार सीमित है जो समाप्त हो जायेंगे अतः इसे
समाप्य संसाधन कहा जाता है।
प्रश्न 12. परमाणु शक्ति किन-किन खनिजों से प्राप्त होता है ?
उत्तर-इल्मेनाइट, बेनेडियम, एंटीमनी, ग्रेफाइट, यूरेनियम इत्यादि।
प्रश्न 13. मोनाजाइट भारत में कहाँ-कहाँ उपलब्ध है?
उत्तर- भारत में मोनाजाइट केरल राज्यों में प्रचुरता से पाया जाता है। इसके अतिरिक्त, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा राज्यों के तटीय क्षेत्रों में यह पाया जाता है।
प्रश्न 14. सौर ऊर्जा का उत्पादन कैसे होता है?
उत्तर-
जब फोटोवोल्टाइक सेलों में विणाषित सूर्य की किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है तो सौर ऊर्जा का उत्पादन होता है।
प्रश्न 15. भारत के किन-किन क्षेत्रों में पवन ऊर्जा के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ हैं ?
उत्तर- पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में अनुकूल परिस्थितियाँ। विद्यमान हैं।
(ङ) शक्ति (ऊर्जा) संसाधन
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. शक्ति संसाधन का वर्गीकरण विभिन्न आधारों के अनुसार सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
शक्ति संसाधनों का वर्गीकरण निम्नलिखित हैं
- उपयोग स्तर के आधार पर-
- सतत शक्ति- सौर किरणें, भूमिगत ऊष्मा, पवन, प्रवाहित जल इत्यादि।
- समापनीय शक्ति-कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस इत्यादि।
- उपयोगिता के आधार पर
- प्राथमिक ऊर्जा- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं रेडियोधर्मी खनिज।
- गौण ऊर्जा-विद्युत।
- स्रोत की स्थिति के आधार पर
- क्षयशील- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा आण्विक खनिज।
- अक्षयशील-प्रवाही जल, पवन, लहरें, सौर शक्ति इत्यादि।
- संरचनात्मक गुणों के आधार पर
- जैविक ऊर्जा-मानव एवं अन्य प्राणी।
- अजैविके ऊर्जा- जल शक्ति, पवन शक्ति, सौर शक्ति तथा ईंधन शक्ति
- समय के आधार पर
- पारम्परिक-कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैसा
- गैर-पारम्परिक-सूर्य, पवन, ज्वार, परमाणु ऊर्जा, गर्म झरने इत्यादि।
प्रश्न 2. भारत में पारम्परिक शक्ति के विभिन्न स्रोतों का विवरण दें।
उत्तर- पारम्परिक शक्ति स्रोत के अन्तर्गत कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस सम्मिलित हैं।
कोयला – यह शक्ति और ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है। जनवरी 2008 तक भारत में 1200 मीटर की गहराई तक पाये जानेवाले कोयले का कुल अनुमानित भण्डार 26454 करोड़ टन आँका गया था।
भारत में 96 प्रतिशत गोंडवाना समूह का और 4 प्रतिशत टर्शियरी समूह का कोयला पाया जाता है।
पेट्रोलियम – शक्ति के समस्त साधनों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं व्यापक रूप से उपयोगी संसाधन पेट्रोलियम ही है। आधुनिक युग में कोई भी राष्ट्र इसके बिना अपने अस्तित्व को कायम नहीं रख सकता है। शक्ति स्रोत के साथ-साथ अनेक उद्योग का कच्चा माल भी इससे प्राप्त होता है। इ. गैसोलीन, डीजल, किरासन तेल, स्नेहक, कीटनाशक दवाएँ, पेट्रोल, साबुन, कृत्रिम रेशा, लास्टिक इत्यादि बनाये जाते हैं। भारत विश्व का मात्र एक प्रतिशत पेट्रोलियम पैदा करता है। भारत पहली बार 1866 में ऊपरी असम घाटी में तेल के कुएँ खोदे गये।
प्राकृतिक गैस – यह हमारे वर्तमान जीवन में बड़ी तेजी से एक महत्वपूर्ण ईंधन बनती जा । इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में मशीन को चलाने में, विद्युत उत्पादन में, खाना पकाने मोटर गाड़ियां चलाने में किया जा रहा है।
भारत में एक अनुमान के अनुसार प्राकृतिक गैस की संचित मात्रा 700 अरब घन मीटर है। “y: में प्राकृतिक गैस प्राधिकरण की स्थापना देश की प्राकृतिक गैसों के परिवहन, वितरण एवं विपणन हेतु किया गया जो 5340 किलोमीटर गैस पाइप लाइन द्वारा देश भर में फैले उपभोक्ताओं की आवश्यकता पूर्ति करता है।
प्रश्न 3. गोंडवाना काल के कोयले का भारत में वितरण पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
गोंडवाना समूह में भारत के 96 प्रतिशत कोयले का भण्डार है जो कुल उत्पादन का प्रतिशत भाग उपलब्ध कराता है। यहाँ के कोयले का निर्माण 20 करोड़ वर्ष पूर्व में हुआ था। गंडवाना कोयला क्षेत्र मुख्यतः चार नदी घाटियों में पाये जाते हैं-
(i) दामोदर घाटी क्षेत्र (ii) सोन नदी घाटी क्षेत्र (ii) महानदी घाटी क्षेत्र (iv) वर्धा-गोदावरी बाटो क्षेत्र।
गोंडवाना काल का कोयला निम्न राज्यों में पाया जाता है
- झारखण्ड-कोयले के भण्डार एवं उत्पादन की दृष्टि से यह देश का पहला राज्य है। यहाँ के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं-झरिया, बोकारो, गिरिडीह, कर्णपुरा, रामगढ़ इत्यादि।
- छत्तीसगढ़– यह भारत का दूसरा कोयला उत्पादक राज्य है। यहाँ का उत्पादक क्षेत्र है चिरिमिरी, कुरसिया, विश्रामपुर, झिलमिली, सोनहाट, लखनपुर, हासदो-अरंड, कोरबा एवं मांड-रायगढ़ इत्यादि।
- उड़ीसा-यहाँ देश का एक चौथाई कोयले का भण्डार है। यहाँ का मुख्य उत्पादक क्षेत्र है तालचर।
- महाराष्ट्र-यहाँ 3% कोयला सुरक्षित है। यहाँ के मुख्य क्षेत्र–चाँदा-वर्धा, कांपटी तथा बंदेर हैं।
- मध्यप्रदेश– यहाँ देश का 7% कोयला है। सिंगरौली, सोहागपुर, जोहिल्ला, उमरिया, सतपुड़ा क्षे. यादि.मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं।
- पश्चिम बंगाल– यह देश का सुरक्षित भण्डार की दृष्टि से चौथा एवं उत्पादन में गवां राज्य है। रानीगंज यहाँ का मुख्य उत्पादक क्षेत्र है।
प्रश्न 4. कोयले का वर्गीकरण कर उनकी विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर-कोयले को निम्नलिखित चार भागों में बांटा गया है-
- एंथासाइट- यह सर्वोच्च कोटि का कोयला है, जिसमें कार्बन की मात्रा 90% से अधिक है। यह जलने पर धुआँ नहीं देता और देर तक अत्यधिक ऊष्मा देता है। इसे कोकिंग कोल भी कहा गया है तथा धातु गलाने के काम आता है।
- बिटुमिनस- इसमें कार्बन की मात्रा 70-90% होती है। इसे परिष्कृत कर कोकिंग कोल बनाया जा सकता है। भारत का अधिकतर कोयला इसी प्रकार का है।
- लिग्नाइट- इसमें कार्बन की मात्रा 30-70% होती है यह धुआँ अधिक और ऊष्मा कम देता है। इसे भूरा कोयला भी कहते हैं।
- पीट- इसमें 30% से कम कार्बन पाया जाता है। यह दलदली क्षेत्र में पा
प्रश्न 5. भारत में खनिज तेल के वितरण का वर्णन करें।
उत्तर- भारत में मुख्यतः पाँच खनिज तेल उत्पादक क्षेत्र हैं –
- पूर्वी क्षेत्र- यह देश का सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है। इसके अन्तर्गत ऊपरी असम घाटी, अरुणाचल प्रदेश, नागालैण्ड आदि का विशाल तेलक्षेत्र आता है।
- गुजरात क्षेत्र- यह खम्भात के बेसिन एवं गुजरात के मैदान में विस्तृत है। यहाँ पहली बार 1958 में तेल का पता चला था। इसके मुख्य उत्पादक अंकलेश्वर, कलोल, नवगाँव, कोसांवा, मेहसाना इत्यादि हैं।
- मुम्बई हाई क्षेत्र- यह मुम्बई तट से 176 किमी दूर उत्तर-पश्चिम दिशा में अरबसागर में है। यहाँ 1975 से तेल खोजने का कार्य शुरू हुआ।
- पूर्वी तट क्षेत्र- यह कृष्णा-गोदावरी और कावेरी नदियों की श्रेणियों में फैला हुआ है।
- बाड़मेर बेसिन- इस बेसिन के मंगला क्षेत्र में सितम्बर 2009 से उत्पादन शुरू हुआ। 2012 तक यह भारत का 20% पेट्रोलियम उत्पन्न करेगा।
(ङ) शक्ति (ऊर्जा) संसाधन
प्रश्न 6. जल विद्युत उत्पादन हेतु अनुकूल भौगोलिक एवं आर्थिक कारकों की विवेचना करें।
उत्तर- जल विद्युत उत्पादन हेतु अनुकूल भौगोलिक दशाएँ निम्न हैं-
- सन्दावाहिनी नदी में प्रचुर जल की राशि।
- नदी मार्ग में ढाल
- जल का तीव्र वेग
- प्राकृतिक जलप्रपात का होना।
अनुकूल आर्थिक दशाएं निम्न हैं-
- सघन औद्योगिक एवं वाणिज्यिक एवं आबाद क्षेत्र
- पर्याप्त पूँजी निवेश
- परिवहन के साधन
- प्रौद्योगिकी का ज्ञान
- ऊर्जा के अन्य साधनों का अभाव।
प्रश्न 7. संक्षिप्त भौगोलिक टिप्पणी लिखें-भाखड़ा-नंगल परियोजना, दामोदर घाटी परियोजना, कोसी परियोजना, हीराकुण्ड परियोजना, रिहन्द परियोजना और तुंगभद्रा परियोजना।
उत्तर-
- भाखड़ा-नंगल परियोजना- सतलज नदी पर हिमालय प्रदेश में विश्व के सर्वोच्च बाँधों में एक भाखड़ा बांध की ऊंचाई 225 मीटर है। यह भारत की सबसे बड़ी परियोजना है। जहाँ चार शक्ति गृह एक भाखड़ा में, दो गंगुवाल में और एक कोटला में स्थापित होकर 7 लाख किलोवाट विद्युत उत्पन्न कर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान तथा जम्मू व कश्मीर राज्यों के कृषि एवं उद्योगों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है।
- दामोदर घाटी परियोजना- यह परियोजना दामोदर नदी के भयंकर बाढ़ से झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल को बचाने के साथ-साथ तलैया, मैथन, कोनर और पंचेत पहाड़ी में बाँध बनाकर 1300 मेगावाट जलविद्युत उत्पन्न करने में सहायक है। इसका लाभ बिहार, झारखण्ड एवं प. बंगाल को प्राप्त है।
- कोसी परियोजना- उत्तर बिहार का अभिशाप कोसी नदी पर हनुमाननगर (नेपाल) में बाँध बनाकर 20000 किलोवाट बिजली उत्पन्न किया जा रहा है। जिसकी आधी बिजली नेपाल को तथा शेष बिहार को प्राप्त होती है।
- रिहन्द परियोजना-सोन की सहायक नदी पर रिहन्द उत्तरप्रदेश में 934 मी. लम्बा बाँध और कृत्रिम झील ‘गोविन्द बल्लभ पंत सागर’ का निर्माण कर बिजली उत्पादित की जाती है। इस योजना से 30 लाख किलोवाट विद्युत उत्पादन करने की क्षमता है। यहाँ की बिजली का उपयोग रेणुकूट के अल्युमिनियम उद्योग, चुर्क के सीमेंट उद्योग, मध्य भारत के रेल मार्गों का विद्युतिकरण तथा हजारों नलकूपों के लिए किया जाता है।
- हीराकुण्ड परियोजना- महानदी पर विश्व का सबसे लम्बा बाँध (4801) मी. बनाकर 2.7 लाख किलोवाट बिजली उत्पन्न होता है। इससे उड़ीसा एवं आस-पास के कृषि क्षेत्र एवं उद्योग में उपयोग किया जाता है।
- तंगभद्रा परियोजना- यह कृष्णा नदी की सहायक नदी तुंगभद्रा पर आंध्रप्रदेश में स्थित दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी घाटी परियोजना है जो कर्नाटक एवं आंध्रप्रदेश के सहयोग से तैयार हुई है। इसकी बिजली उत्पादन क्षमता 1 लाख किलोवाट है जो सिंचाई के साथ-साथ सैकड़ों छोटे-बड़े उद्योगों को बिजली आपूर्ति करता है।
(ङ) शक्ति (ऊर्जा) संसाधन
प्रश्न 8. भारत के किन्हीं चार परमाणु विद्युत गृह का उल्लेख कीजिए तथा उनकी विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- देश के चार परमाणु विद्युत गृह निम्न हैं-
- तासरापुर परमाणु विद्यत गह यह एशिया का सबसे बड़ा परमाणु विद्युत गृह है। यहाँ जल उबालने वाली दो परमाणु भट्ठियाँ हैं जिनमें प्रत्येक की उत्पादन क्षमता 200 मेगावाट से अधिक है। अब यहाँ यूरेनियम के स्थान पर प्लूटोनियम बनाकर विद्युत उत्पन्न किए जा रहे हैं, क्योंकि भारत थोरियम के भण्डार में काफी समृद्ध है।
- कलपक्कम परमाण विद्यत गह-तमिलनाडु में स्थित यह परमाणुगृह स्वदेशी प्रयास से बना है। यहाँ 355 मेगावाट के दो रिएक्टर क्रमश: 1983 एवं 1985 में कार्य करना शुरू कर चुके हैं।
- नरौरा परमाण विद्यत गह- यह उत्तर प्रदेश के बुलंद शहर के पास स्थित है। यहाँ भी 235 मेगावाट के दो रिएक्टर हैं।
- ककरापास परमाणु गह- गुजरात राज्य में समुद्र के किनारे स्थित इस परमाणु गृह में 1992 से विद्युत उत्पादन प्रारम्भ हुआ है।
प्रश्न 9. संक्षिप्त भौगोलिक टिप्पणी लिखें- सौर-ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, बायो गैस एवं ज्वारीय ऊर्जा।
उत्तर-
- सौर ऊर्जा- जब फोटोवोल्टाइक सेलों में विपरित सूर्य की किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है, तो सौर ऊर्जा का उत्पादन होता है। यह कम लागत वाला पर्यावरण के अनुकूल तथा निर्माण में आसान होने के कारण अन्य ऊर्जा के स्रोतों की अपेक्षा ज्यादा लाभदायक है। यह सामान्यतः हीटरों, कूलर्स,
प्रकाश आदि उपकरणों में अधिक उपयोग की जाती है। भारत के पश्चिमी भाग गुजरात, राजस्थान में सौर ऊर्जा की अधिक संभावनाएँ हैं।
- पवन ऊर्जा- पवन ऊर्जा पवन चक्कियों की सहायता से प्राप्त की जाती है। पवन चक्की पवन की गति से चलती है और टरबाईन को चलाती है। इससे गतिज ऊर्जा को विद्युत में बदला जाता है। भारत विश्व का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा उत्पादक देश है। यहाँ ऊर्जा के स्रोत के रूप में स्थानीय पवनों, स्थलीय एवं समुद्री समीरों को भी विद्युत उत्पादन में प्रयोग किया जा सकता है। पवन ऊर्जा के लिए राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा कर्नाटक में अनुकूल परिस्थितियाँ विद्यमान हैं। दूसरा बड़ा संयंत्र तमिलनाडु के तूतीकरिन में स्थित है।
- ज्वारीय ऊर्जा-समुद्री ज्वार तथा तरंग में जल गतिशील रहता है। अतः इसमें अपार ऊर्जा रहती है। अनुमान है कि भारत में 8000-9000 मेगावाट संभाव्य ज्वारीय एवं तरंग ऊर्जा है। खम्भात की खाड़ी से 7000 मेगावाट ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। इसके बाद कच्छ की खाड़ी (1000 मेगावाट) तथा सुन्दरवन (100 मेगावाट) का स्थान है।
- भतापीय ऊर्जा- यह ऊर्जा पृथ्वी के उच्च ताप से प्राप्त की जाती है। जब भूगर्भ से मैग्मा निकलता है तो अपार ऊर्जा निर्मुक्त होती है। गीजर कुपों से निकलने वाले गर्म जल तथा गर्म झरनों से भी शक्ति प्राप्त की जाती है। हिमाचल प्रदेश के मनीकरण में भूतापीय ऊर्जा संयंत्र स्थापित है तथा दूसरा लद्दाख के दुर्गाघाटी में स्थित है।
- बायोगैस एवं जैव ऊर्जा – ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि अपशिष्ट, पशुओं और मानव जनित अपशिष्ट के उपयोग से घरेलू उपयोग हेतु बायोगैस उत्पन्न की जाती है। पशुओं के गोबर से गैस तैयार करने वाले संयंत्र को भारत में गोबर गैस प्लांट के नाम से जाना जाता है। इससे किसानों को ऊर्जा तथा उर्वरक की प्राप्ति होती है। जैविक पदार्थों से प्राप्त होनेवाली ऊर्जा को जैविक ऊर्जा कहते हैं। कृषि अवशेष, नगर पालिका, औद्योगिक एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थ जैविक पदार्थों के उदाहरण हैं। इसे विद्युत ऊर्जा, ताप ऊर्जा या खाना पकाने के लिए गैस में परिवर्तित किया जा सकता है। कचरे को ऊर्जा में बदलने की एक परियोजना दिल्ली के ओखला में शुरू की गई है।
(ङ) शक्ति (ऊर्जा) संसाधन
प्रश्न 10. शक्ति संसाधनों के संरक्षण हेतु कौन-कौन से कदम उठाये जा सकते हैं ? आप उसमें कैसे मदद पहुंचा सकते हैं?
उत्तर- ऊर्जा संकट एक विश्व-व्यापी समस्या का रूप ले चुका है। इसके समाधान के निम्न उपाए किए जा रहे हैं-
- ऊर्जा के प्रयोग में मितव्ययिता ऊर्जा संकट से बचने के लिए प्रथमतः ऊर्जा के उपयोग में मितव्ययिता बरती जाया इसके लिए तकनीकी विकास आवश्यक है। अनावश्यक बिजली का उपयोग रोककर हम ऊर्जा की एक बड़ी मात्रा की बचत कर सकते हैं।
- ऊर्जा के नवीन क्षेत्रों की खोज- ऊर्जा संकट समाधान की दिशा में परम्परागत ऊर्जा के नये क्षेत्रों का अन्वेशन किया जाय। इस दिशा में भारत में 1970 के बाद काफी तेजी आई है तथा अनेक नये-नये पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस के भण्डार का पता लगाया जा चुका है। अरब-सागर, कृष्णा-गोदावरी क्षेत्र, राजस्थान क्षेत्र आदि में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस दे स्रोत प्राप्त हुए हैं।
- ऊर्जा के नवीन वैकल्पिक साधनों का उपयोग- वैकल्पिक ऊर्जा में पारम्परिक एवं गैर-पारम्परिक दोनों ही ऊर्जा सम्मिलित हैं। इनमें से कुछ तो सतत् नवीकरणीय हैं तो कुछ समापनीय हैं। आज वैकल्पिक ऊर्जा में जल विद्युत, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैव ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि का विकास कर उपयोग करना शक्ति के संसाधनों को संरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। जीवाश्म ऊर्जा के अत्यधिक उपयोग से प्रदूषण, स्वास्थ्य एवं जलवायु परिवर्तन की आशंका प्रबल हो गई है।
- अंतर्राष्टीय सहयोग – ऊर्जा संकट से बचने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है। विश्व के सभी राष्ट्र ऊर्जा संकट के समाधान हेतु सहमति से नीति निर्धारण करें।
इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र आर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक स्पोर्टिंग कन्ट्रीज विश्व व्यापार संगठन, दक्षिण एशियाई 8 देशों का संगठन (जी-8) जैसे संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते
इन सब के अलावे मैं अपने क्रियाकलाप में परिवर्तन कर इसमें सहायता कर सकता हूँ जैसे-
- बिजली के बल्बों एवं अन्य उपकरणों का आवश्यकतानुसार प्रयोग करा
- स्वचालित वाहनों के बजाय पैदल चलकर या साइकिल का अधिक उपयोग कर।
- गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा, बायोगैस इत्यादि का उपयोग कर।
- लोगों को इस संबंध में अपनी क्षमतानुसार जागरूक कर
प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र | राज्य |
1. सिंगरौली | मध्य प्रदेश |
2. कोरबा, झिलमिली, चिरमिरी | छत्तीसगढ़ |
3. तालचर | उड़ीसा |
4. धनबाद, रामगढ़, झरिया, कर्णपुरा, बोकारो | झारखंड |
5. रानीगंज | पश्चिम बंगाल |
6. सिंगरेनी | आंध्र प्रदेश |
(ङ) शक्ति (ऊर्जा) संसाधन
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