Class 10 Geography Chapter 2 Krishi | Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 2 Krishi (कृषि)

Chapter 2 Krishi

भारत कृषि के दृष्टि से एक सम्पन्न राष्ट्र है। कृषि निर्धारण में वर्षा का बहुत महत्व है। भारत के अधिकांश भागों में वर्षा वर्ष के 3-4 महिने ही होता है। जहाँ सिंचाई की सुविधा है वहाँ साल में दो से अधिक फसल उगाई जाती है।

वर्षा की सहायता से विकसित कृषि प्रणाली को शुष्क कृषि कहते हैं।

भारत में कृषि के महत्व

  1. कृषि देश के आर्थिक जीवन की प्राण है, इससे भारत में 2/3 लोगों की जीविका चलती है।
  2. उद्योगों के लिए कच्चे माल कृषि से ही प्राप्त होते हैं। जैसे कपास-सूती वस्त्र उद्योग, गन्ना-चीनी उद्योग, जूट उद्योग में जूट आदि।
  3. भारत की राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान 24 प्रतिशत है।
  4. यहाँ की विशाल जनसंख्या के लिए भोजन कृषि से ही प्राप्त होता है।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

भारत में कृषि भूमि उपयोग

कृषि पर निर्भर लोगों के लिए भूमि अत्यंत ही महत्वपूर्ण संसाधन है, क्योंकि यह पूरी तरह भूमि पर निर्भर है।

कृषि योग्य भूमि में चार तरह के भूमि को शामिल किया जाता है।

1.शुद्ध बोया गया क्षेत्र, 2. चालू परती भूमि, 3. अन्य परती, 4. कृषि योग्य व्यर्थ भूमि

जनसंख्या वृद्धि के कारण कृषि योग्य भूमि पर दबाव बढ़ गया है, जिससे कृषि योग्य भूमि कम हो रही है। ऐसी स्थिति में कृषि में उत्पादन दो ही रूपों में बढ़ाया जा सकता है-

  1. प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि
  2. एक ही कृषि वर्ष में एक ही भूमि में एक से अधिकाधिक फसलों को उगाकर कुल उत्पादन में वृद्धि करना। इसे शस्य गहनता कहते है।

 तुम्हारे पास 2 हेक्टेयर भूमि है। एक कृषि वर्ष में तुम धान की फसल बो कर धान उपजाते हो। इसके बाद रबी के समय उसी 2 हेक्टेयर में तुम गेहूँ वो कर उसकी फसल काटते हो। फिर जायद फसल के समय कम अवधि में तैयार होने वाली मूँग की फसल बोकर उसकी कटाई कर लेते हो। सच मायने में तुम्हारे पास तो 2 हेक्टयर ही जमीन हैं। किंतु एक कृषि वर्ष में तुम इसी भूमि से 3 बार फसलों का उत्पादन करते हो, तो तुमने 2 x 3 = 6 हेक्टेयर जमीन में उत्पन्न होने वाली फसल का लाभ उठा लिया। इस शस्य गहनता को एक सूचकांक द्वारा दिखाया जाता है, तथा इसे प्रतिशत में अभिनत किया जाता है।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

शस्य गहनता सूत्र

शस्य गहनता

शस्य गहनता = कुल बोया गया क्षेत्र शुद्ध बोया गया क्षेत्र × 100
गणितीय अभिव्यक्ति \[ \frac{6 \ बीघा }{2 \ बीघा} \times 100 = \frac{600}{2} \] \[ \frac{6}{2} \times 100 = 300 \] \[ \frac{600}{2} = 300 \]

इस तरह शस्य गहनता 300% हुई। शस्य गहनता की दृष्टि से पंजाब भारत का अग्रणी राज्य है।

शस्य गहनता को प्रभावित करने वाले कारक

  1. सिंचाई
  2. उर्वरक
  3. उन्नत बीज
  4. यंत्रीकरण
  5. कीटनाशक
  6. कृषि उत्पादों का उचित मूल्य

75 सेंमी० से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में होने वाली कृषि को ‘शुष्क भूमि कृषि‘ एवं 75 सेंमी० से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र होने वाली कृषि को ‘आर्द्र‘ भूमि कृषि कहते हैं।

शुष्क भूमि कृषि की विशेषताएँ :

  1. वर्षा जल को संरक्षित करने की विधियों का प्रयोग किया जाता है ताकि शुष्क समय में उसका उपयोग किया जा सके।
  2. आवश्यकता से अधिक जल को भूमिगत जल के पुनःभरण के लिये संरक्षित रखा जाता है।
  3. शुष्कता के कारण यहाँ की मिट्टी में हयूमस की मात्रा बहुत कम होती है।
  4. शुष्कता के कारण मिट्टी की ऊपरी परत का वायु द्वारा कटाव होता है।
  5. शुष्क भूमि कृषि अधिकांशतः गरीब किसान करते हैं जिनके पास उन्नत कृषि करने के लिये पूँजी एवम् आवश्यक साधन का अभाव रहता है।
  6. कृषि के द्वारा यहाँ आय कम प्राप्त होती है जिसकी क्षतिपूर्ति पशुपालन द्वारा की जाती है। अब जनसंख्या वृद्धि के दबाव के कारण यहाँ के चारागाहों खेतों में बदला जा रहा है।

चूँकि गरीब किसान और शुष्क भूमि कृषि दोनों ही एक दूसरे से जुड़े हुए हैं इसलिये गरीब किसानों के उत्थान के लिये सरकार ने कई योजनाएँ बनाई हैं जैसे-

  1. समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम, सूखा प्रवण क्षेत्र विकास कार्यक्रम कार्य और रोजगार के बदले अनाज कार्यक्रम, नरेगा आदि।
  2. शीघ्र तैयार होने वाली फसलों का बीज तैयार किया जा रहा है।
  3. कृषि की नई तकनीक का विकास।
  4. जल छीजन एवम् संग्रहण की तकनीकों का प्रचार प्रसार।
  5. पशुपालन एवम् मुर्गीपालन के कृषि के पूरक अंग के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  6. कुटीर उद्योग एवम् लघु उद्योगों को विकसित किया जा रहा है।
  7. अर्धशुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के लिये अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (हैदराबाद) तथा केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (जोधपुर) शुष्क भूमि एवं अन्य कृषि से संबंधित समस्याओं के निदान के लिये कार्यरत है।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

कृषि के प्रकार- तीन प्रकार की कृषि होती है।

1.प्रारंभिक जीविका कृषि

2.गहन जीविका कृषि

3.वाणिज्यिक कृषि

प्रारंभिक जीविका कृषि- इस प्रकार की कृषि में पारंपरिक रूप से खेती की जाती है। इसमें आधुनिक तकनीक का अभाव होता है जिसके कारण उपज कम होता है। इसमें फसल उत्पादन जीविका निर्वाह के लिए किया जाता है।

गहन जीविका कृषि- यह कृषि देश के अधिकतर भागों में की जाती है। जहाँ जनसंख्या अधिक होता है, वहाँ इस प्रकार के कृषि पद्धति को अपनाया जाता है। इसमें श्रम अधिक लगता है। इस प्रकार की कृषि में भूमि की उर्वरता बनाए रखने के लिए परंपरागत ज्ञान, बीजों के रख-रखाव एवं मौसम संबंधी ज्ञान का होना अत्यंत आवश्यक होता है। जनसंख्या बढ़ने से जोतों का आकार काफी छोटा हो गया है। इस कृषि में मुख्य रूप से धान की खेती होती है। इसमें किसानों के पास व्यापार के लिए बहुत कम उत्पादन बचता है। इसलिए इसे जीविका निर्वाहक कृषि भी कहते हैं।

वाणिज्यिक कृषि अथवा व्यापारिक कृषि- इस प्रकार के कृषि में फसल व्यापार के लिए उगाई जाती है। इस में आधुनिक कृषि तकनीक के द्वारा अधिक पैदावार वाले परिष्कृत बीज, रासायनिक खाद, सिंचाई, कीटनाशक आदि का उपयोग किया जाता है। भारत में इस कृषि पद्धति को हरित क्रांति के बाद व्यापक रूप से पंजाब एवं हरियाणा में अपनाया गया। इसमें मुख्य रूप से गेहूँ की खेती की जाती है। बासमती चावल भी पंजाब और हरियाणा में उगाई जाती है। इसके अलावा चाय, काफी, रबड़, गन्ना, केला भी उगाया जाता है।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

फसल प्रारूपः

ऋतु के आधार पर भारत में तीन प्रकार की फसल उगाई जाती है।

  1. रबी फसल
  2. खरीफ फसल
  3. जायद ( गरमा फसल )

रबी फसल- जिस फसल को जाड़े के महिने में अक्टूबर से दिसंबर के मध्य बोया जाता है और ग्रीष्म ऋतु में मार्च से अप्रैल के मध्य काटा जाता है, उसे रबी फसल कहते हैं। जैसे- गेहूँ, जौ, मटर, मसूर, सरसों आदि। हरित क्रांति के फलस्वरूप इस फसल के उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि हुई है।

खरिफ फसल- जिस फसल को वर्षा ऋतु में अर्थात जून-जुलाई में बोई जाती है और सितंबर-अक्टूबर में काट ली जाती है, उसे खरिफ फसल कहते हैं। जैसे- मकई, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूँग, उरद, कपास, जूट आदि।

जायद फसल- जिस फसल को ग्रीष्म ऋतु में (अर्थात मार्च-अप्रैल में बोया जाता और और मई-जून में काट लिया जाता है।) उगाया जाता है, उसे जायद फसल कहते हैं। जैसे- धान, मकई और सब्जियाँ। इस फसल में मुख्य रूप से सब्जियों का उत्पादन किया जाता है। सब्जियों में खासकर खीरा, ककड़ी, कद्दू, भिंडी, खरबूज, तरबूज आदि।

चावल : प्रमुख खाद्यान्न फसल है जिस पर अधिकांश जनसंख्या निर्भर करती है। विश्व का 22% चावल क्षेत्र भारत में है तथा यह कुल कृषि भूमि का 23% है। चावल की कृषि के लिए अनुकूल भौगोलिक दशाएँ निम्नांकित हैं :-

  • तापमान : यह उष्ण कटिबंधीय फसल है। इसके लिये कम से कम 24° सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता है। बोते समय इसे 21°C, बढ़ते समय 24°C तथा पकते समय 27°C तापमान की आवश्कता होती है।
    • वर्षा– इसकी फसल के लिये 125 सें०मी०-200 सेंमी० वर्षा की आवश्यकता होती है। इससे कम वर्षा वाले क्षेत्र में सिंचाई की सहायता से फसल उगाई जाती है।
    • मिट्टी – उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी की आवश्यकता होती है। इसकी मिट्टी चीकायुक्त दोमट होनी चाहिए ताकि पौधे की जड़ अच्छी तरह विकसित हो सके।
    • श्रम– इसकी कृषि में मानव श्रम की अधिक आवश्यकता होती है। खेत की तैयारी से लेकर रोपनी कटनी तक का कार्य मानव श्रम द्वारा ही संपादित होता है। भारत के सस्ते श्रमिक इसकी कृषि के लिए अनुकूल मानवीय वातावरण बनाते हैं।

भारत में चावल के मुख्य उत्पादक राज्य प० बंगाल, बिहार उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, असम, केरल, तमिलनाडु आदि है।

 गेहूँ : चावल के बाद गेहूँ दूसरा प्रमुख खाद्यान्न फसल है। हमारा देश विश्व का दूसरा बड़ा गेहूँ उत्पादक देश है। यह विश्व का 10 प्रतिशत गेहूँ का उत्पादन करता है।

हमारे देश में 1967 ई० में हरित क्रांति आयी और इसका सबसे अधिक प्रभाव गेहूँ की खेती पर पड़ा। हरित क्रांति के बाद इसके उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुई।

देश में कुल गेहूँ उत्पादन का 2/3 हिस्सा पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से प्राप्त होता है। उत्तर प्रदेश गेहूँ उत्पादन में सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है।

मोटे अनाज- ज्वार, बाजरा और रागी देश के प्रमुख मोटे अनाज है। रागी में प्रचुर मात्रा में लोहा और कैल्शियम पाया जाता है।

ज्वार- चावल और गेहूँ के बाद भारत में ज्वार सबसे प्रमुख खाद्य फसल है। इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है जो 51% ज्वार का उत्पादन करता है। ज्वार से भारत का 10 प्रतिशत खाद्यान्न उपलब्ध होता है।

बाजरा- कुल कृषिगत भूमि का 7 प्रतिशत भूमि पर बाजरा उगाया जाता है। निर्धन लोगों के लिए एवं पशुओं के लिए यह प्रमुख चारा है। बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य गुजरात है, जो कुल उत्पादन का 24 प्रतिशत उत्पादन करता है।

रागी- यह शुष्क प्रदेश का फसल है। कर्नाटक इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, इसके बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य तमिलनाडु है।

मकई- यह भी एक मोटा अनाज है जो मनुष्य के भोजन एवं पशुओं के चारा के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह निर्धन लोगों का प्रमुख भोजन है।

दालें :

भारत में अधिकांश जनसंख्या शाकाहारी है और हमारे भोजन में दाल प्रोटीन का स्रोत है। तूर (अरहर), उड़द, मूँग, मसूर, मटर और चना भारत की मुख्य दलहनी फसलें हैं। दालों को कम नमी की आवश्यकता होती है अतः 90% तक इसकी खेती मुख्यतः शुष्क कृषि तकनीक के अंतर्गत की जाती है। तूर (अरहर) को छोड़ कर बाकी अन्य दालें वायु से नाइट्रोजन ले कर भूमि को उर्वर बनाती है।  दालें खरीफ तथा रबी दोनों ही ऋतुओं में उगाई जाती है-अरहर, मूंग, उड़द आदि खरीफ की फसलें हैं जबकि चना, मटर, मसूर आदि रबी की फसलें हैं। दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिये राष्ट्रीय दाल विकास कार्यक्रम भी 1986-87 में शुरू किया गया, पर इसके परिणाम संतोषजनक नहीं है।

गन्ना-

यह बाँस की प्रजाति का एक पौधा है जिससे मिठा रस निकलता है। इससे गुड़ तथा चीनी तैयार किया जाता है। भारत गन्ने की जन्मभूमि है। सबसे पहले विश्व में भारत में ही गन्ना उगाई गई थी। यह फसल मिट्टी की उर्वरता को जल्दी ही समाप्त कर देता है इसलिए इसकी खेती में काफी मात्रा में खाद की जरूरत होती है।

तिलहन-

भारत विश्व में सबसे बड़ा तिलहन उत्पादक देश है। देश की कुल कृषि भूमि के 12 प्रतिशत भाग पर तिलहन की फसलें उगाई जाती है।

मूँगफली, सरसों, नारियल, तिल, सोयाबीन, अरंडी, बिनौला, अलसी और सूरजमुखी आदि भारत की प्रमुख तिलहन फसलें हैं।

मूँगफली- यह एक खरिफ फसल है। भारत विश्व में मूँगफली के उत्पादन में दूसरा स्थान है। भारत में गुजरात इसके उत्पादन में प्रथम है। इसके बाद आंध्र प्रदेश, कर्नाटक तथा महाराष्ट्र है।

सरसों- इसके अंतर्गत राई, सरसों, तोरिया, तारामीरा आदि कई तिलहन शामिल है। इसकी कृषि भारत के मध्य तथा उत्तर पश्चिम भाग में रबी के मौसम में की जाती है। राजस्थान अकेले 1/3 भाग उत्पादन करता है।

अलसी ( तीसी ) : यह भी रबी फसल है। उत्तरी भारत में यह खरीफ फसल और और दक्षिणी भारत में यह रबी की फसल है।

सोयाबीन और सूरजमुखी भारत का महत्त्वपूर्ण तिलहन फसल है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र मिलकर भारत का 90 प्रतिशत सोयाबीन का उत्पादन करते हैं।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

चाय- यह एक सदाबहार झाड़ी होती है जिसकी पत्तियों को सुखा कर चाय बनाई जाती है।

चाय में थीन नामक पदार्थ होती है जिसके कारण चाय को पीने से हल्की ताजगी महसूस होती है। यह भारत के महत्वपूर्ण पेय फसल है। इसके उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है तथा खपत में यह विश्व का सबसे बड़ा देश है। सबसे पहले भारत में अंग्रजों के द्वारा इस कृषि को ब्रह्मपुत्र घाटी में 1840 में आरंभ किया गया था।

भारत विश्व का अग्रणी चाय उत्पादक एवं निर्यातक देश है।

कॉफी : चाय की तरह कॉफी भी एक पेय पदार्थ है। यह एक प्रकार के झाड़ी पर लगे हुए फल के बीजों द्वारा प्राप्त किया जाता है।

कर्नाटक भारत का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। भारत का 70% कॉफी का उत्पादन यहाँ होता है।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

कॉफी की तीन प्रमुख किस्में हैं-

  1. अरेबिका 2. लिबेरिका 3. रोबस्ता। भारत में उत्तम किस्म की अरेबिका काफी उपजाई जाती है जिसकी पूरे विश्व में माँग है। भारत में यह आरंभ में यमन से लाया गया था और बाबाबुदन की पहाड़ी पर लगाया गया।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

बागबानी फसलें :

जलवायु की विविधता के कारण भारत में अनेक किस्म की बागबानी फसलें भी उपजाई जाती हैं। जैसे-विविध प्रकार के फल, सब्जियाँ, कंदमूल औषधीय एवं सुगंधदायक पौधे एवं मसाले आदि। भारत उष्ण एवं शीतोष्ण कटिबंधीय दोनों ही प्रकार के फलों का उत्पादक है।

आम के उत्पादक में भारत विश्व में अग्रणी है। यहाँ अनगिनत किस्म के आमों का उत्पादन होता है। उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार आम के लिए प्रसिद्ध है।

लीची के लिए —  बिहार और उत्तरप्रदेश प्रसिद्ध है।

अन्नानास के लिए — मेघालय

अंगूर के लिए — आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र

सेव, नाशपाती, खूबानी और अखरोट के लिये —  हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर- प्रसिद्ध है।

कुछ स्थानों का नाम भी विशिष्ट फलों से जुड़ा है। जैसे – नागपुर एवं चुरापुंजी का संतरा, मुजफ्फरपुर का लिची और जलगाँव का केला विशेष महत्त्व रखता है।

बागबानी फसलों में काजू, काली मिर्च एवं नारियल भी महत्वपूर्ण है। भारत विश्व में काजू का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। इसकी कृषि मुख्यतः केरल एवं आंध्रप्रदेश में होती है।

काली मिर्च की खेती केरल के पश्चिमी घाट प्रदेश में तथा नारियल की कृषि केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक के तटीय प्रदेश में होती है।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

अखाद्य फसलें :

रबर– भारत में इसकी प्रारंभ 1880 ई० में ट्रावनकोर और मालाबार में प्रारंभ हुआ, लेकिन इसका व्यावसायिक उत्पादन 1902 ई० में ही आरंभ हुआ था।

रेशेदार फसलें : कपास, जूट, सन और प्राकृतिक रेशम भारत के चार प्रमुख रेशेदार फसलें हैं।

कपास : कपास को भारत का मूल स्थान माना जाता है। सूती वस्त्र उद्योग के लिए यह कच्चा माल का काम करता है। भारत में काली मिट्टी कपास के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

कपास को पक कर तैयार होने में 6 से 8 महीने लगते हैं।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

जूट : कपास के बाद जूट भारत की दूसरी महत्वपूर्ण रेशेदार फसल है। इसे सुनहरा रेशा भी कहा जाता है।

इसके उत्पादन के लिए चिकायुक्त मिट्टी की आवश्यकता होती है। जूट द्वारा रस्सी, चाट एवं बोरा आदि बनाया जाता है। इससे वस्त्र एवं आकर्षक दस्तकारी की चीजें भी बनाई जाती है।

प्रथम पंचवर्षीय योजना में भूमि सुधार को मुख्य रूप से लक्षित किया गया। किंतु भूमि सुधार अधिनियम का क्रियान्यवयन ठीक तरीके से नहीं हो सका। 1960-70 के दशक में कृषि में सुधार के लिए एक विशेष पैकेज भी लायी गयी।

इसी पैकेज से गेहूँ की कृषि में हरित क्रांति की शुरूआत हुई। इसके अंतर्गत उन्नत किस्म के संकर बीज (HYVSeed) रासायनिक खाद, सिंचाई, कीटनाशक आदि का व्यापक प्रयोग कर खाद्य उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि की गई तथा खाद्य सुरक्षा में यह एक मील का पत्थर साबित हुआ। इसी दौरान श्वेत क्रांति (आपरेशन फ्लड) भी लाई गई जिसके अंतर्गत दुग्ध उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। इस क्रांति को आगे बढ़ाने में सहकारिता विभाग पर भारत सरकार ने काफी ध्यान दिया।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

कृषि का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और उत्पादन में योगदान :

भारत कृषि प्रधान देश होने के कारण भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था में नींव के पत्थर की भाँति महत्व रखती है। 2001 में देश की लगभग 63 प्रतिशत जनसंख्या कृषि से रोजगार प्राप्त की।

आजादी के बाद आज तक सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान लगातार घट रहा है जो चिंता का विषय है।

कृषि के महत्व को समझते हुए भारत सरकार ने इसके विकास एवं वृद्धि के लिए इसके आधुनीकरण का प्रयास कर रही है।

इसके अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् एवं कृषि विद्यालयों की स्थापना, पशु चिकित्सा सेवाएँ तथा पशु प्रजनन केन्द्र की स्थापना, बागवानी-विकास, मौसम

विज्ञान और मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास आदि को प्राथमिकता दी गई है।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

खाद्य सुरक्षा : रोटी, कपड़ा और मकान मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ हैं। हमारे देश में जहाँ निर्धनता अधिक है, वहाँ भूखमरी की समस्या है। इसे दूर करने के लिए सरकार ने खाद्य सुरक्षा प्रणाली बनाई हुई है। इसके दो अंग है-

1. बफर स्टॉक प्रणाली और

2. जन वितरण प्रणाली

इसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में सस्ती दरों पर आवश्यक सामग्री और अनाज मुहैया कराई जाती है। इससे गरीब लोगों को भोजन सुलभ होता है।

उपभोक्तओं को दो वर्गों में बाँटा गया है- गरीबी रेखा के नीचे और गरीबी रेखा के ऊपर।

वर्धन काल- फसल के बोने, बढ़ने और पकने के लिए उपयुक्त मौसम वाला समय।

हरित क्रांति- हमारे देश की कृषि में क्रांतिकारी विकास। इसमें मुख्यतः नए बीजों, खादों और उर्वरकों का प्रयोग तथा सुनिश्चित जलापूर्ति की व्यवस्था के फलस्वरूप कुछ अनाज उपज में अधिक वृद्धि हुई।

भारत में विश्व का सबसे अधिक पशुधन है। यहाँ विश्व का 57% भैंस तथा विश्व का 14% गाय की जनसंख्या निवास करती है। ऑपरेशन फ्लड द्वारा देश में दुग्ध उत्पादन में

बहुत वृद्धि हुई है। इसे उजाला क्रांति के नाम से जाना जाता है।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

Some Important Notes

  • भारत कृषि की दृष्टि से एक संपन्न राष्ट्र है। यहाँ के 2/3 लोगों की जीविका कृषि पर आधारित है।
  • देश की 24% आय कृषि से ही प्राप्त होती है।
  • कृषि योग्य भूमि को चार भागों में बाँटा जाता है
  • (i) शुद्ध बोया गया क्षेत्र (ii) चालू परती भूमि (iii) अन्य परती (iv) कृषि योग्य व्यर्थ भूमि।
  • भारत में विश्व का सबसे अधिक पशुधन है। यहाँ विश्व की 57% भैंस तथा विश्व की 14% गाय रहती हैं।
  • भारत विश्व में काजू का सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
  • मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र मिलकर भारत का 90% सोयाबीन उत्पन्न करते हैं।
  • चाय की खेती की शुरुआत 1840 में अंग्रेजों ने ब्रह्मपुत्र की घाटी में किया था।
  • चाय में थीन (Then) नामक एक पदार्थ होता है जिसके कारण इसे पीने से हल्की ताजगी महसूस होती है।
  • भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की अर्थव्यवस्था के विकास में कृषि महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • भारत कृषि की दृष्टि से एक सम्पन्न राष्ट्र है। यहाँ के = लोगों की जीविका कृषि पर आधारित है।
  • देश की 24% आय कृषि से ही प्राप्त होती है।
  • भारत की लगभग दो-तिहाई आबादी कृषिकार्यों से जुड़ी है।
  • पौधों के अंकुरण के लिए कम-से-कम 6°C तापमान जरूरी है।
  • देश में शुद्ध बोई गई भूमि 14 करोड़ हेक्टेयर है।
  • फसलों के प्रकार (क) आई फसलें- धान, गन्ना, जूट, साग-सब्जी (ख) शुष्क फसलें मकई, ज्वार, बाजरा, महुआ
  • प्राथमिक क्रिया के अंतर्गत कृषि, पशुपालन, मत्स्योत्पादन एवं वानिकी कार्य शामिल है।
  • स्थान बदल-बदलकर खेती करने की पद्धति को ‘स्थानांतरी कृषि’ कहा जाता है।
  • खरीफ फसलें—धान, ज्वार, बाजरा, मकई, मूंगफली, जूट, कपास, अरहर।
  • रबी फसलें-गेहूँ, चना, मटर, सरसों। , .
  • देश में चावल का प्रतिहेक्टेयर उत्पादन 2,000 किलोग्राम है।
  • रोपण कृषि में व्यापार की दृष्टि से खेती की जाती है।
  • रोपण कृषि में एक ही फसल का उत्पादन किया जाता है।
  • गहन या सघन कृषि में कम भूमि पर प्रतिहेक्टेयर उत्पादन अधिक लिया जाता है।
  • देश में चावल का वार्षिक उत्पादन लगभग 9 करोड़ टन है।
  • अमन, औस, और बोरो धान की तीन फसलें हैं।
  • देहरादून का बासमती चावल स्वाद और सुगंध के लिए विख्यात है।
  • गेहूँ की खेती के लिए पाला पड़ना नुकसानदायक है।
  • पंजाब देश का सर्वाधिक गेहूँ उत्पादक राज्य है।
  • भारत विश्व में मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
  • ज्वार की सबसे अधिक खेती महाराष्ट्र में होती है।
  • गुजरात और राजस्थान मिलकर देश का आधा बाजरा उत्पन्न करते हैं।
  • रागी का सर्वप्रमुख उत्पादक राज्य कर्नाटक है।
  • चाय रोपण कृषि की फसल है।
  • डार्जिलिंग क्षेत्र में उत्पादित चाय में सुगंध अधिक होती है।
  • चाय का. वार्षिक उत्पादन देश में 8 लाख टन है।
  • अरेबिका और रोबस्टा कहवा/कॉफी के दो प्रकार हैं।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

बिहार बोर्ड के किताब का प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें।

  •  भारत के दो सबसे महत्वपूर्ण अनाजों के नाम बतायें।

उत्तर- धान एवं गेहूँ।

  •  भारत में कौन से प्रमुख मोटे अनाज उगाए जाते हैं ?

उत्तर- ज्वार, बाजरा एवं रागी।

  • भारत की तीन नकदी फसलों के नाम बताओ।

उत्तर- आम, संतरा, केला।

  • हमारे देश की सबसे प्रमुख रोपण फसल कौन-सी है ?

उत्तर- चाय

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

प्रश्न 2. अंतर बताओ :-

  •  नकदी और रोपण फसल

उत्तर- नकदी फसलें वे हैं जिन्हें तुरंत बेचकर किसान को नकद आय प्राप्त होती है, जैसे कपास, गन्ना, या तिलहन। रोपण फसलें वे हैं जो एक बार लगाने के बाद कई वर्षों तक फल देती हैं, जैसे चाय, कॉफी, या रबर। नकदी फसलों की तुलना में रोपण फसलों में अधिक समय और निवेश की आवश्यकता होती है।

  •  व्यापारिक और निर्वाहक कृषि।

उत्तर- व्यापारिक कृषि में फसलों को बड़े पैमाने पर बाजार में बेचने के लिए उगाया जाता है, जैसे गेहूं या कपास की खेती। निर्वाहक कृषि में किसान मुख्य रूप से अपने परिवार के उपभोग के लिए फसल उगाते हैं, जैसे छोटे खेतों में धान या सब्जियां। व्यापारिक कृषि में आधुनिक तकनीकों का उपयोग अधिक होता है, जबकि निर्वाहक कृषि में परंपरागत तरीके अपनाए जाते हैं।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में से पत्येक के लिए एक शब्द लिखो: –

  • हमारे देश में मानसून के आरंभ में बोई जाने वाली और शरद ऋतु में काटी जाने वाली फसल।

उत्तर- खरीफ फसला

  • वर्षा के पश्चात जाड़े में बोई जाने वाली और वसंत में काटी जाने वाली फसलें।

उत्तर- रबी फसला

  • भूमि जिसे खेती करके छोड़ दिया गया है ताकि उर्वरता लौट सके और उसपर पुनः खेती हो सके।

उत्तर- चालू परती भूमि।

  • कारखाने के उत्पादन से मिलती-जुलती वैज्ञानिक तथा व्यापारिक ढंग से की जाने वाली एक फसली खेती।

उत्तर- चाय

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. भारत में उपजने वाली दो खांद्य; नकदी एवं रेशेवाली फसलों का नाम लिखें।

उत्तर-  खाद्य फसलें : धान, गेहूँ

     नकदी फसलें : गन्ना, कपास

     रेशेवाली फसलें : कपास, जूट

प्रश्न 2. उपर्युक्त फसलों के उत्पादन करने वाले दो प्रमुख राज्यों का नाम लिखो।

उत्तर- धान : पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश

     गेहूँ : उत्तर प्रदेश, पंजाब

     गन्ना : आंध्र प्रदेश, बिहार,

     कपास : गुजरात, महाराष्ट्र

     जूट : पश्चिम बंगाल, बिहार

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

प्रश्न 3. भारत में उपजाई जाने वाली वर्षाधीन फसलों के नाम लिखो।

उत्तर- धान, मक्का, ज्वार, बाजरा और दालें जैसे अरहर और मूंग प्रमुख वर्षाधीन फसलें हैं।

प्रश्न 4. शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन में कृषि के योगदान की चर्चा करें।

उत्तर- कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 16-17% का योगदान देती है। कृषि क्षेत्र देश की लगभग 50% श्रमशक्ति को रोजगार प्रदान करता है। यह खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ कई उद्योगों को कच्चा माल भी उपलब्ध कराता है। हालांकि, पिछले कुछ दशकों में सेवा और उद्योग क्षेत्रों के विकास के कारण कृषि का प्रतिशत योगदान कम हुआ है, फिर भी यह देश की अर्थव्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाए हुए है।

प्रश्न 5. भारतीय कृषि की निम्न उत्पादकता के कारणों को संक्षेप में लिखिए।

उत्तर- भारतीय कृषि की निम्न उत्पादकता के प्रमुख कारण हैं:-

  1. मौसम पर अत्यधिक निर्भरता और सिंचाई सुविधाओं की कमी।
  2. छोटे और बिखरे हुए खेत, जो आधुनिक तकनीकों के उपयोग को कठिन बनाते हैं।
  3. किसानों की आर्थिक कमजोरी, जो उन्हें गुणवत्तापूर्ण बीज और उर्वरक खरीदने से रोकती है।
  4. कृषि शिक्षा और प्रशिक्षण का अभाव, जिससे नवीन तकनीकों का उपयोग सीमित रहता है।
  5. कृषि उपज के लिए उचित बाजार और मूल्य की कमी।

प्रश्न 6. हरित क्रांति से आपं क्या समझते हैं ?

उत्तर- हरित क्रांति 1960 के दशक में भारत में शुरू हुआ एक कृषि सुधार कार्यक्रम था। इसका मुख्य उद्देश्य था उच्च उपज देने वाले बीजों, रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और आधुनिक सिंचाई तकनीकों के उपयोग से कृषि उत्पादन में वृद्धि करना। इसने विशेष रूप से गेहूं और चावल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की। हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाने में मदद की, लेकिन इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी रहे, जैसे पर्यावरण प्रदूषण और क्षेत्रीय असमानताएं।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

प्रश्न 7. भारतीय कृषि की पाँच प्रमुख विशेषताओं को लिखिए।

उत्तर- भारतीय कृषि की प्रमुख विशेषताएँ हैं:-

  1. यह देश की अर्थव्यवस्था का आधार है और लगभग 50% श्रमशक्ति को रोजगार प्रदान करती है।
  2. भारतीय कृषि अभी भी मानसून पर बहुत अधिक निर्भर है।
  3. यह कई उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करती है, जैसे कपास वस्त्र उद्योग को और गन्ना चीनी उद्योग को।
  4. भारतीय कृषि में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या अधिक है।
  5. यह देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

प्रश्न 8. भारत में उपजाई जानेवाली प्रमुख खाद्य एवं व्यावसायिक फसलों के नाम लिखिए।

उत्तर- 1. प्रमुख खाद्य फसलें:

  • अनाज: चावल, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा
  • दालें: अरहर, मूंग, चना, मसूर
  • प्रमुख व्यावसायिक फसलें:

नकदी फसलें: कपास, गन्ना, तिलहन (सरसों, सोयाबीन)

बागवानी फसलें: आम, केला, संतरा

मसाले: काली मिर्च, इलायची, अदरक

पेय फसलें: चाय, कॉफी

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

कारण बताओ

प्रश्न 1. कपास की खेती दक्कन प्रदेश की काली मिट्टी में अधिकांशतः होती है।

उत्तर- काली मिट्टी में नमी धारण करने की क्षमता अधिक होती है, जो कपास के लिए आवश्यक है। यह मिट्टी पोषक तत्वों से भी समृद्ध होती है, जो कपास की अच्छी पैदावार सुनिश्चित करती है।

प्रश्न 2. गन्ने की उपज उत्तरी भारत की अपेक्षा दक्षिण भारत में अधिक है।

उत्तर- दक्षिण भारत में गर्म और आद्र जलवायु गन्ने की वृद्धि के लिए अधिक अनुकूल है। यहाँ लंबा विकास मौसम और नियमित वर्षा गन्ने की बेहतर गुणवत्ता और अधिक उपज सुनिश्चित करती है।

प्रश्न 3. भारत कपास का आयात एवं निर्यात दोनों करता है।

उत्तर- भारत छोटे रेशे वाली कम गुणवत्ता की कपास का निर्यात करता है, जबकि लंबे रेशे वाली उच्च गुणवत्ता की कपास का आयात करता है। यह वस्त्र उद्योग की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 5. भारत विश्व का एक अग्रणी चाय निर्यातक देश है।

उत्तर- भारत चाय उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा देश है और अपने उत्पादन का लगभग 20% निर्यात करता है। भारतीय चाय की गुणवत्ता उत्कृष्ट होती है, जिसके कारण इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है।

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

Bihar Board Class 10th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 12th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 11th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 9th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 8th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 7th Solutions & NotesClick Here
Bihar Board Class 6th Solutions & NotesClick Here

अगर आप बिहार बोर्ड कक्षा 6वीं से 12वींतक की परीक्षा की बेहतरीन तैयारी करना चाहते हैं, तो हमारे YouTube चैनल को ज़रूर सब्सक्राइब करें!

Class 10 Geography Chapter 2 Krishi

अभी देखें और सब्सक्राइब करें –Click Here

Study Help एक शैक्षिक वेबसाइट है जो बिहार बोर्ड कक्षा 10 के छात्रों के लिए नोट्स, समाधान और अध्ययन सामग्री प्रदान करती है। यहाँ हिंदी, गणित, सामाजिक विज्ञान सहित सभी विषयों के विस्तृत समाधान उपलब्ध हैं। साथ ही, Godhuli Part 2 (गद्य, पद्य, व्याकरण) और गणित के सभी अध्यायों के नोट्स भी शामिल हैं। वेबसाइट से जुड़े अपडेट्स के लिए YouTube, WhatsApp, Telegram और सोशल मीडिया लिंक भी उपलब्ध हैं, जिससे छात्र बेहतर मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। (Class 10 Geography Chapter 2 Krishi)

Leave a comment