Parthiv Shivling Kaise Banate Hain: पार्थिव शिवलिंग बनाना एक अत्यंत पावन एवं सरल प्रक्रिया है, जिसे कोई भी श्रद्धालु घर पर या किसी पवित्र स्थल पर सहजता से कर सकता है। यहाँ पार्थिव शिवलिंग निर्माण की पूर्ण विधि एवं उसमें लगने वाले पदार्थों की जानकारी विस्तार से प्रस्तुत की गई है।
Parthiv Shivling Kaise Banate Hai:आवश्यक सामग्री
- शुद्ध मिट्टी (नदी, तालाब, सरोवर या गमले की)
- गंगाजल या स्वच्छ जल
- देसी गाय का घी (वैकल्पिक)
- रुई या सूती कपड़ा (अगर मिट्टी बहोत पतली हो)
- बेलपत्र, पुष्प
- पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर)
- चंदन, रोली
- एक स्वच्छ थाली या पटिया
- जल पात्र
Parthiv Shivling Kaise Banate Hain:मिट्टी का चयन एवं शुद्धिकरण
- प्राचीन शास्त्रों में पार्थिव शिवलिंग के लिए नदी, तालाब या सरोवर की मिट्टी को श्रेष्ठ माना गया है[1][2]।
- अगर यह सुविधा न हो, तो आप अपने घर के गमले की मिट्टी को भी उपयोग में ले सकते हैं, तुलसी के पौधे की मिट्टी छोड़कर बाकी किसी भी पवित्र स्थान की मिट्टी उचित है[3][4][5]।
- मिट्टी को इकट्ठा करके कंकड़, पत्थर, पत्ते आदि निकल दें। फिर उस पर गंगाजल या किसी पवित्र नदी का जल छिड़क दें[6][2]।
- मिट्टी को साफ स्थान पर सुखा लें और यदि आवश्यक लगे तो किसी धूप में रखकर पवित्र कर लें।
Parthiv Shivling Kaise Banate Hain:शिवलिंग निर्माण विधि
- मिट्टी सानना:
सबसे पहले मिट्टी में आवश्यकता अनुसार जल और थोड़ी-सी घी या रुई मिलाकर अच्छी तरह गूँथ लें, ताकि वह नरम एवं चिकनी हो जाए। यह प्रक्रिया पार्थिव शिवलिंग की मजबूती के लिए जरूरी है[6]। - पिंडी तैयार करना:
मुट्ठीभर गूंथी हुई मिट्टी लेकर गोल या अंडाकार पिंड का आकार दें। यह मुख्य शिवलिंग का रूप है[6]। - जलाधारी का निर्माण:
पारंपरिक रूप से, शिवलिंग के नीचे एक जलाधारी भी बनती है, जिसमें पूजन का जल एकत्रित होकर बाहर निकले। जलाधारी के लिए मिट्टी के एक लंबे टुकड़े को शिवलिंग के एक सिरे पर चिपका दें। - स्थापना:
शिवलिंग को किसी स्वच्छ थाली या पट्टे पर इस प्रकार स्थापित करें कि उसकी दिशा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) की ओर रहे[2]। ऊपर से पंचामृत, पुष्प, बेलपत्र आदि अर्पित करने के लिए तैयार रखें।
Parthiv Shivling Kaise Banate Hain:निर्माण के दौरान मंत्र जप
पार्थिव शिवलिंग निर्माण करते समय ‘‘ॐ नमः शिवाय’’ मंत्र या भगवान शिव के अन्य पवित्र मंत्रों का उच्चारण करते रहें, जिससे वातावरण और साधना दोनों पवित्र रहते हैं[1]।
Parthiv Shivling Kaise Banate Hain: निर्माण का समय एवं स्थान
- पार्थिव शिवलिंग का निर्माण प्रायः महाशिवरात्रि, श्रावण मास या सोमवार, प्रदोष काल में किया जाता है[1][2]।
- निर्माण के लिए पवित्र स्थान चुना जाता है—मंदिर, नदी, तालाब, या घर का कोई शुद्ध स्थान।
Parthiv Shivling Kaise Banate Hain: कुछ अतिरिक्त नियम
- पार्थिव शिवलिंग केवल हाथ से बनाए जाते हैं, मोल्ड या मशीन का प्रयोग वर्जित है।
- बाएं हाथ की बजाय दाएं हाथ से निर्माण करें।
- निर्माण के समय तन-मन शुद्ध और श्रद्धा-आस्था पूर्ण होनी चाहिए[2]।
- पार्थिव शिवलिंग का आकार अंगूठे से बड़ा और बित्ते (पंक्ति) से छोटा होना चाहिए।
- दोनों हाथों से श्रद्धा और पवित्रता के साथ निर्माण करें।
- पूजा के लिए शिवलिंग पर पंचामृत, बेलपत्र, पुष्प, फल, दूध आदि अर्पित करें।
- निर्माण के बाद शिवलिंग को पूजा पीठ पर रखते समय ‘‘ॐ नमः शूलपाणि’’ मंत्र का उच्चारण करें।
- कितने पार्थिव शिवलिंग बनाएं
- अलग-अलग कामनाओं के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की संख्या निर्धारित की जाती है:
Parthiv Shivling Kaise Banate Hain:पार्थिव शिवलिंग की संख्या एवं महत्त्व
Parthiv Shivling Kaise Banate Hain: आस्थावान श्रद्धालु अपनी मनोकामना के अनुसार एक, 108, 1008, 5000, या 10000 शिवलिंग भी बना सकते हैं। अलग-अलग इच्छाओं, जैसे धन, आरोग्य, बाधा मुक्ति, आदि के लिए अलग संख्या में शिवलिंग बनाने का विधान है[1]।
Parthiv Shivling Kaise Banate Hain: कितने पार्थिव शिवलिंग बनाएं
- अलग-अलग कामनाओं के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की संख्या निर्धारित की जाती है:
- सामान्य पूजा या मनोकामना के लिए: 1 या 108
- धन–वैभव की कामना: 500
- बड़ी बाधा से मुक्ति: 1,500
- दरिद्रता दूर करने के लिए: 5,000
- सभी कामनाओं की पूर्ति के लिए: 10,000 या उससे अधिक
पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन कैसे करें: Parthiv Shivling Ka Visarjan Kaise Karen
पार्थिव शिवलिंग की पूजा और विसर्जन हिंदू धार्मिक परंपराओं में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। मिट्टी से निर्मित पार्थिव शिवलिंग पूजा के बाद उचित विधि से विसर्जित करना आवश्यक है ताकि पूजा का फल प्राप्त हो सके और धार्मिक नियमों का पालन हो सके। यहाँ विस्तार से पार्थिव शिवलिंग के विसर्जन की संपूर्ण विधि, उसके पीछे के भाव और हर कदम पर ध्यान रखने योग्य बातें बताई जा रही हैं।
Parthiv Shivling Kaise Banate Hain: पार्थिव शिवलिंग: संक्षिप्त परिचय
पार्थिव शिवलिंग मिट्टी (पृथ्वी तत्त्व) से निर्मित शिवलिंग होता है, जिसे विशेष अवसरों जैसे महाशिवरात्रि, सावन, श्रावण मास, या पार्थिव पूजा-अनुष्ठान के दौरान बनाया जाता है। पूजा के बाद इस शिवलिंग का विसर्जन करना शास्त्रों में अनिवार्य बताया गया है, क्योंकि यह एक अस्थायी स्वरूप होता है, जो खुद भगवान शिव के संहार तथा पुनर्निर्माण के सिद्धांत को दर्शाता है।
Parthiv Shivling Kaise Banate Hain: विसर्जन का महत्व
- शास्त्रों में बताया गया है कि पार्थिव शिवलिंग मिट्टी या अन्य अस्थायी चीजों से बनता है, जिससे उसका स्थायी रूप नहीं होता।
- पूजा समाप्ति के बाद, पार्थिव शिवलिंग को उसी तत्त्व (पृथ्वी या जल) में लौटा देना चाहिए जिससे उसका निर्माण हुआ था।
- इससे व्यक्ति के मन में क्षणभंगुरता और अनासक्ति का भाव आता है।
Parthiv Shivling Kaise Banate Hain: विसर्जन का सही समय
पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन पूजा के तुरंत बाद सही समय पर करना चाहिए, जिसमें निम्नलिखित बातें ध्यान रखें:
- रात्रि में प्रतिमा का विसर्जन करने की परंपरा नहीं है, इसलिए पूजा के बाद आप रात्रि में “विसर्जन चावल” अर्पित कर देना चाहिए, लेकिन वास्तविक विसर्जन अगले दिन सूर्योदय के बाद करें।
- यदि पूजा दिन में की हो, तो उसी समय विसर्जन करना उचित है; विशेष पूजा (जैसे शिवरात्रि पर) के लिए प्रायः अगले दिन सुबह का समय उपयुक्त है।
विसर्जन की पूर्व तैयारी: Parthiv Shivling Kaise Banate Hain
1. पूजन सामग्री का समापन
- पूजा में चढ़ाई गई सामग्री जैसे बेलपत्र, पुष्प, फल, चावल, धूप, दीप आदि को धीरे-धीरे शिवलिंग से उतार लें।
- कुछ सामग्री जैसे बेलपत्र, पुष्प आदि को खाद्य, पक्षियों को या वृक्ष में डाल सकते हैं; दक्षिणा को मंदिर में दान दें।
- जिन वस्तुओं का दोबारा उपयोग नहीं होना है, वे विसर्जन में डाल सकते हैं।
2. शिवलिंग को विसर्जन हेतु तैयार करना:Parthiv Shivling Kaise Banate Hain
- शिवलिंग को संपूर्ण आदर के साथ, “भगवान से क्षमा” माँगते हुए, श्रद्धा से विसर्जन के लिए लें।
- अपने परिवार के अन्य सदस्यों को भी विसर्जन में सम्मिलित करें, ताकि पूजा का पुण्य सभी को प्राप्त हो।
पार्थिव शिवलिंग विसर्जन की विधि
घर में विसर्जन (बाल्टी/बड़ी पात्र में)
- शुद्ध पात्र का चयन:
एक साफ़, बड़ा पात्र लें (जैसे बाल्टी, तांबे का बर्तन, या स्टील का थाल) जिसमें शिवलिंग पूरी तरह डूब सके। - जल का उपयोग:
पात्र को शुद्ध जल से भरें, चाहें तो गंगाजल मिला सकते हैं; इससे जल पवित्र हो जाता है। - मंत्रोच्चारण:
विसर्जन के समय “ॐ शिवाय नमः”, “हर हर महादेव” या “ॐ नमो महादेवाय” का जप करें। - शिवलिंग का विसर्जन करें:
दोनों हाथों से शिवलिंग उठाएँ, भगवद् स्मरण के साथ धीरे-धीरे जल में छोड़ दें। पुष्प, बेलपत्र, धूप आदि पूजा सामग्री को भी एक-एक कर जल में छोड़ें। - मिट्टी गलाना:
यदि शिवलिंग ठोस है और जल्दी नहीं गल रहा, तो हल्के हाथ से उसे पानी में घोटा (मिश्रित) जा सकता है। ध्यान रखें कि शिवलिंग का स्वरूप पूर्णतः जल में विलीन हो जाए। - निर्देश:
पानी को सीधा नाली या घर के किचन में न ड़ालें। विसर्जन के बाद उस जल को घर के पौधों में डालना उचित है या स्वच्छ जमीन में डाल सकते हैं। - परिवार के सभी सदस्यों की सहभागिता:
हाथ जोड़कर प्रार्थना करें—“पूजा में हुई भूल-चूक क्षमा करें, अगली बार और अच्छा करने का अवसर दें।”
बााहर (नदी, तालाब, कुएँ आदि में) विसर्जन
- मूर्ति को पात्र/बर्तन में रखें:
शिवलिंग (और अन्य पूजन विधि से बनी मूर्तियाँ) को एक थाली, टोकरी या बर्तन में रखें; इस पात्र को सिर पर रखकर ही नदी/तालाब तक ले जाएँ। - सामूहिक विसर्जन:
लोग एकत्र होकर हर-हर महादेव के जयकारों के साथ नदी के तट पर पहुँचें, सभी जन मिलकर जल में विसर्जन करें। - विशेष ध्यान:
बहती धारा में विसर्जन का विशेष महत्व है, क्योंकि इस पानी से अधिक क्षेत्र शुद्ध होता है और पर्यावरण का संतुलन भी बना रहता है। - सुरक्षा:
नदी या तालाब में विसर्जन करते समय सुरक्षा का ध्यान रखें; बच्चों को आगे ने ले जाएँ, वयस्क ही विसर्जन करें।
Parthiv Shivling Kaise Banate Hain: अन्य बातें
पूजन सामग्री का पुनः उपयोग/निराकरण
- ताम्र पात्र, दीपक, रुद्राक्ष, डमरू आदि को साफ़ करके मंदिर के स्थान पर ही रखें।
- बचे हुए फूल, चावल, प्रसाद को पक्षियों को ड़ाल दें या खाद के रूप में इस्तेमाल करें।
मन्त्र क्या बोलें विसर्जन में?
- “ॐ नमो महादेवाय”
- “ॐ शिवाय नमः”
- “हर हर महादेव”
- “ॐ नमः शूलपाणि”
(मंत्र उच्चारण से वातावरण पवित्र हो जाता है और विसर्जन करते समय भाव शुद्ध रहता है)।
Parthiv Shivling Kaise Banate Hain: विशेष निर्देश
- विसर्जन के समय मन में कोई दुर्भावना या अहंकार न हो।
- पूजा-सामग्री और मिट्टी से बने शिवलिंग को कचरे में कदापि न फेंके।
- विसर्जन जल या भूमि में ससम्मान करें।
- सभी सदस्यों से अंतिम प्रार्थना अवश्य करवाएँ— “जो भी त्रुटि रह गई, प्रभु क्षमा करें।”
पार्थिव शिवलिंग विसर्जन क्यों आवश्यक?
- मिट्टी के शिवलिंग का निर्माण करना और फिर उसका विसर्जन करना— दोनों ही भगवान शिव के ‘संहार’ और ‘पुनर्जन्म’ के तत्त्व को दर्शाते हैं।
- पूजा पूर्ति के उपरांत विसर्जन से ‘त्याग’ और ‘अनासक्ति’ की भावना बलवती होती है— स्वयं के बनाए ईश्वर के रूप को भी यथासमय त्याग देना।
- शास्त्र कहता है: “जिस तत्त्व से निर्माण, उसी तत्त्व में विलीन करना धर्मसंगत है।”
- पार्थिव शिवलिंग हमेशा विघटनशील (नाशवान) होता है, इसलिए उसे समाप्ति के बाद सर्वोत्तम विधि से विसर्जित करें।
संदर्भित मंत्र व शास्त्रीय नियम
विसर्जन करते समय निम्नलिखित मंत्र भी उपयोग किए जा सकते हैं:
“ऊँ नमो महादेवाय”
“ॐ नमः शूलपाणि”
“ऊँ नमः पिनाकिने इहागच्छ इहातिष्ठ”
पूजा के बाद भगवान शिव, श्री गणेश, कार्तिकेय आदि सभी विग्रहों का अपने-अपने मंत्रोच्चार के साथ विसर्जन करें।
विसर्जन में प्रचलित गलतियाँ: Parthiv Shivling Kaise Banate Hain
- किचन या घरेलू नाली में विसर्जन करना।
- पूजन सामग्री को कचरे में डालना।
- विसर्जन जल को पुनः घरेलू उपयोग में लाना।
- विसर्जन के समय हँसी-मज़ाक या अनादर का व्यवहार।
विसर्जन परंपरा में मनोवैज्ञानिक पहलू: Parthiv Shivling Kaise Banate Hain
- विसर्जन हमें सिखाता है—“त्याग करना उतना ही आवश्यक है जितना निर्माण या उपासना।”
- अपने हाथों से गढ़ा रूप मिटा देना, मोह व आसक्ति की जड़ काटता है।
- प्रभु से तादात्म्य, संपूर्ण समर्पण व श्रद्धा दर्शाता है।
- पूजा के बाद विसर्जन व्यक्ति के भीतर हल्कापन, संतुष्टि और धन्यवाद का भाव पैदा करता है।
सारिणी: विसर्जन विधि का संक्षिप्त मार्गदर्शक
क्रम | विसर्जन चरण | कार्य-विवरण |
---|---|---|
1 | पूजा समापन | सामग्री हटाएँ, धन्यवाद करें, क्षमा माँगें |
2 | पानी का पात्र तैयार करें | पात्र में पवित्र जल भरें |
3 | मंत्रोच्चार | “हर हर महादेव”/“ॐ नमः शिवाय” जपें |
4 | विसर्जन | शिवलिंग व पूजन सामग्री जल में छोड़ें |
5 | मिट्टी विलीन करें | हल्के हाथ से मिट्टी घोलें, जब तक पूर्ण विलयन न हो |
6 | विसर्जन जल वितरण | पेड़-पौधों में डालें, भूमि में डालें, नाली/किचन से बचें |
महत्वपूर्ण बातें जो ध्यान में रखें:Parthiv Shivling Kaise Banate Hain
- विसर्जन का कार्य शुद्ध मन, शांतिपूर्ण वातावरण, और धार्मिक भावना से ही करें।
- परिवार के सभी सदस्य, विशेषकर बच्चे और बड़े-बुजुर्ग साथ हों तो अनुकूल रहता है।
- शिवलिंग विसर्जन के समय श्रद्धा और भक्ति का भाव सर्वोपरि हो।
- यदि संभव हो, विसर्जन के बाद एक-दूसरे के साथ प्रसाद बांटें व आपसी स्नेह बढ़ाएँ।
- विसर्जन का जल पर्यावरण हित में पेड़ों के पास डालें।
Parthiv Shivling Kaise Banate Hain: पार्थिव शिवलिंग के विसर्जन की उक्त विधि अति सरल, वैज्ञानिक, शास्त्रीय एवं पर्यावरण के अनुकूल है। इन नियमों का पालन करते हुए विसर्जन करने से पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त होता है, धार्मिक नियमों की सिद्धि होती है, और मानसिक रूप से भी व्यक्ति में समर्पण, श्रद्धा तथा त्याग का भाव जागृत होता है।