“अति सूधो सनेह को मारग है जहाँ नेकु सयानप बाँक नहीं।तहँ साँचे चलै तजि आपुनपौ झझकै कपटि जे निसाँक नहीं।।” सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

संदर्भ: यह पद रीतिकालीन कवि घनानंद की कविता से लिया गया है। वे श्रृंगारिक भावनाओं को भक्ति में रूपांतरित करने …

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“संबउँ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।महामोह तम पुंज जासु वचन रवि कर निकर।।” सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

संदर्भ:यह दोहा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के आरंभिक बालकांड के मंगलाचरण का एक हिस्सा है। यह पंक्ति तुलसीदास जी …

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