भारत से हम क्या सीखें ( भाषण )|Chapter 3 |Bharat Se Ham Kya Sikhen ( Bhashan )

जय हिन्द। इस पोस्‍ट में बिहार बोर्ड क्लास 10 हिन्दी किताब गोधूली भाग – 2 के गद्य खण्ड के पाठ 3 ‘भारत से हम क्या सीखें’ के सारांश को पढ़ेंगे। इस पाठ के रचनाकर मैक्समूलर है । मैक्समूलर ने इस पाठ में भारतीय सभ्यता की प्राचीनता एवं विलक्षणता के विषय में नवागंतुक अधिकारियों को बताया है कि विश्व भारत की सभ्यता से बहुत कुछ सीखती तथा ग्रहण करती आई है। यह एक विलक्षण देश है। इसकी सभ्यता और संस्कृति से बहुत कुछ सीखा जा सकता है|(Bihar Board Class 10 Hindi मैक्समूलर ) (Bihar Board Class 10 Hindi भारत से हम क्या सीखें )(Bihar Board Class 10th Hindi Solution) ( भारत से हम क्या सीखें )

भारत से हम क्या सीखें
  • लेखक का नाम – मैक्समूलर
  • पूरा नाम – फ्रेड्रिक मैक्समूलर
  • जन्म – 6 दिसंबर 1823 ई ०
  • जन्म स्थान – आधुनिक जर्मनी के डेसाऊ नामक नगर में
  • पिता – विल्हेलम मूलर ( मैक्समूलर जब 4 वर्ष के थे तब इनकी मृत्यु हो गई )
  • माता – एडेल्हेड मूलर
  • मृत्यु – 28 अक्टूबर 1900 ई ०
  • ये बचपन से ही संगीत और ग्रीक तथा लैटिन भाषा में निपुण हो गए।
  • ये लैटिन भाषा में कविता भी लिखें।
  • ये जब 18 वर्ष के हुए तो लिपजिंग विश्वविधालय में संस्कृत का अध्ययन आरम्भ किया।
  • ये ‘हितोपदेश’ , ‘कठ’ उपनिषद् तथा ‘केन’ उपनिषद् का जर्मन भाषा में अनुवाद किए।
  • इन्होंने कालिदास रचित मेघदूत महाकाव्य का भी जर्मन भाषा में अनुवाद किए।
  • स्वामी विवेकानंद जी ने इनको ‘वेदांतियों का वेदांती’ कहा है।
  • महारानी विक्टोरिया ने इन्हें 1868 में ‘नाइट’ की उपाधि दी।
  • यह उपाधि उन्हें अत्यंत तुच्छ लगी, इसलिए तुरंत ही इसे अस्वीकार कर दिए।
  • इन्हें भारतभक्त, संस्कृतानुरागी एवं वेदों के प्रति आस्था रखने वाले भी कहा जाता है।
  • इस पाठ का भाषांतरण डॉ० भवानी शंकर त्रिवेदी ने किया है।

प्रस्तुत पाठ ‘भारत से हम क्या सिखें ‘भारतीय सेवा हेतु चयनित युवा अंग्रेज अधिकारियों के आगमन के अवसर पर संबोधित भाषणों की श्रृंखला की एक कड़ी है। प्रथम भाषण का यह संक्षिप्त एवं संपादित अंश है। इसका भाषांतरण डॉ0 भावानी शंकर त्रिवेदी ने किया है। इसमें लेखक ने भारतीय सभ्यता की प्राचीनता एवं विलक्षणता के विषय में नवागंतुक अधिकारियों को बताया है कि विश्व भारत की सभ्यता से बहुत कुछ सीखती तथा ग्रहण करती आई है। यह एक विलक्षण देश है। इसकी सभ्यता और संस्कृति से बहुत कुछ सीखा जा सकता है, नई पीढ़ी अपने देश तथा इसकी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति, ज्ञान-साधना, प्राकृतिक वैभव आदि की महता का प्रामाणिक ज्ञान प्रस्तुत भाषण से प्राप्त कर सकेगी।

प्रस्तुत पाठ ‘भारत से हम क्या सिखें‘ महान चिन्तक एवं साहित्यकार मैक्समूलर द्वारा लिखित है। इसमें लेखक ने भारत की विशेषताओं पर प्रकाश डाला है।

लेखक का मानना है कि संसार में भारत एक ऐसा देश है जो सर्वविध संपदा प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। भूतल पर स्वर्ग की छटा यहीं देखने को मिलती है। प्लेटो तथा काण्ट जैसे दार्शनिकों ने भी भारत के महत्व को सहर्ष स्वीकार किया है। यूनानी, रोमन तथा सेमेटिक जाति के यहूदियों की विचारधारा में ही सदा अवगाहन करते रहने वाले यूरोपीयनों के विश्वव्यापी एवं सम्पूर्ण मानवता के विकास का ज्ञान भारतीय साहित्य में ही मिला। लेखक के अनुसार, सच्चे भारत के दर्शन गाँवों में ही संभव है न कि कलकत्ता, मुम्बई जैसे शहरों में। यहाँ प्राकृतिक सुषमा है। खनिज भंडार है। कृषि की महत्ता है। यह तपस्वियों की साधना भूमि, जन्मभूमि, कर्मभूमि रही है।

भारत में अनेक विदेशी सिक्कों का विपूल भंडार था- ईरानी, केरियन, थ्रेसियन, पार्थियन, यूनानी, मेकेडेलियन, शकों, रोमन और मुस्लिम शासकों के सिक्के यहाँ प्रचुर मात्रा में मिले थे।दैवत विज्ञान, कहावतों, कथाओं का महासागर रूप भारत में देखने को मिलता है। शब्द निर्माण और वृहद् शब्द भंडार भी भारत के पास चिरकाल से व्यवहृत है।

विधिशास्त्र, धर्मशास्त्र और राजनितिशास्त्र की जड़े भी भारत में ही हैं। भारतीय वाङ्मय और संस्कृत की महŸा को सभी विदेशी स्वीकार करते हैं।

संस्कृत का संबंध लैटिन से भी है। इस प्रकार संस्कृत, लैटिन, ग्रीक तीनों भाषाएँ एक ही उद्गम स्थल की है। हिन्दू, ग्रीक आदि जातियों में भी अनेकता के बावजूद एकता के बीज छिपे हुए हैं।

भारत विद्या, योग, धर्म-दर्शन का उद्गम स्थल है। पूरे विश्व को बुद्ध ने अपने विचारों से आलोकित किया था।

इस प्रकार भारतीय सभ्यता, संस्कृति ज्ञान-विज्ञान, प्राकृतिक सुन्दरता, भाषा और साहित्य में विशेष अभिरुचि रखने वालों के लिए भारत भ्रमण आवश्यक है।

वारेन हेस्टिंग्स जब भारत का गवर्नर जनरल था तो उसे वाराणसी के पास 172 दारिस नामक सोने के सिक्कों से भरा एक घड़ा मिला था। वारेन हेस्टिंग्स ने अपने मालिक ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक मंडल की सेवा में भेजवा दिया। कंपनी के निदेशक ने उन सोने के सिक्कों के महत्व को नहीं समझ पाये और उन्होनें उन मुद्राओं को गला डाला। जब वारेन हेस्टिंग्स इंगलैंड लौटा तो वे मुद्राएँ नष्ट हो चूकी थीं। वारेन हेस्टिंग्स को इस दुर्घटना से बहुत अफसोस हुआ।

कंपनी के निदेशक ने उन सिक्कों के ऐतिहासिक महत्व को समझ हीं नहीं पाये और अनायास यह दुर्घटना घट गई।

वारेन हेस्टिंग्स उन सिक्कों के महत्ता ऐतिहासिकता को समझते थे। कंपनी के निदेशक की नासमझी पर वारेन हेस्टिंग्स दुखित थे।

अंत में, लेखक अपने हार्दिक उद्गार प्रकट करते हुए कहता है कि भारत की प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक सौन्दर्यसम्पन्नता को जानने के लिए अभी न जाने कितने स्वप्नदर्शियों की आवश्यकता है। सर जोन्स ने जब सूर्य को अरब सागर में डुबते देखा तो उनके पिछे इंगलैंड की मधुर स्मृतियाँ तथा उनके सामने भारत की आशा जगमगा रही थी तथा अरब सागर के शातल मंद हवा के झोंखें उन्हें झुला रहे थे। इस प्रकार सर विलियम ने कलकत्ता पहुँचने के बाद पूर्वी देश के इतिहास और साहित्य के क्षेत्र में एक-से-बढ़कर एक शान्दार कार्य किए। फिर भी यह सोचकर निराश नहीं होना चाहिए कि गंगा और सिंधु के मैदानों में अब उनकी खोज के लिए कुछ भी शेष नहीं है।

उत्तर – लेखक मैक्समूलर के अनुसार भारत ही ऐसा देश है जहां मानव मस्तिष्क की उत्कृष्ट उपलब्धियों का साक्षतकर हुआ है। यहां जीवन के बड़ी से बड़ी समस्याओं के ऐसे सामाधन, खोज निकले गए हैं जो विश्व के दर्शनी को के लिए चिंतन का विषय है। भारत में भूतल पर ही स्वर्ग की छटा बिखरती है। यहां की धरती प्रकृति सौंदर्य, मानवीय गुण मूल्यवान एवं प्रकृति संपदा से परीपूर्ण है। यहां जीवन को सुखद बनाने के लिए उपयुक्त ज्ञान एवं वातावरण का संसर्ग मिलता है जो भूतल में कहीं दूसरी जगह नहीं है।

उत्तर – लेखक मैक्समूलर की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन भारतीय ग्रामीण जीवन में हो सकते हैं। ग्रामीण संस्कृति में ही सच्चा भारत निहित है। क्योंकी सच्चाई, प्रेम, करुणा, सहयोग की भावना ग्रामीणों में कुट-कुट कर भरी होती है। इनके समीप होने से मन में उत्साह और आनंद के भावना जागती है। इसमें भारत की वस्तविकता के दर्शन होते हैं।

उत्तर – भारत को पहचान सकने वाले दृष्टि की आवश्यकता यूरोपीय सभ्यता वाले लोगों के लिए वांछनीय है। क्योंकी भारत ऐसी अनेक समस्याओं से भरा है जिसका सामाधन हो जाने पर यूरोपीय लोगों की कई समस्याओं का निदान संभव हो सकता है। भारत का नजदीक से अध्ययन करके अनेक क्षेत्र में खोज की जा सकती है जिससे विश्व को लाभ मिलना संभव है।

उत्तर – लेखक मैक्समूलर ने बताया है की जिन्हें भु – विज्ञान में, वनस्पति जगत् में, जीवों के अध्ययन में, पुरातत्व ज्ञान में एवं नीति शास्त्र जैसे विषय में विशेष अभीरुचि है। उन्हें भारत के प्रत्यक्ष ज्ञान की अवशयकता है। इन विषयों के गहन अध्ययन के लिए भारत को नजदीक से जनना अत्यंत अवशयक है।

उत्तर – वारेन हेस्टिंगस को वाराणसी के पास 175 दारिस नामक सोने के सिक्कों से भरा हुआ एक घड़ा मिला था। उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक मंडल की सेवा में सोने के सिक्के यह समझकर भिजवा दिया की यह एक ऐसा उपहार होगा जिसकी गणना उसके द्वारा भेजी गई सर्वोतम दुर्लभ वास्तुओं में की जायेगी। कंपनी के निदेशक उसका ऐतिहासिक महत्व नहीं समझ पाई और उन सिक्कों को गला डाला।

उत्तर – भारत में नीति कथाओं का विपुल भंडार है। इन साधनों और भागों के द्वारा भारतीय नीति कथाएं पूर्व से पश्चिम तक आती रही। बौद्ध धर्म प्राचीन कहावते, और दंत कथाओं का मूल स्रोत रहा है। शेर की खाल में गधा कहावत सबसे पहले यूनान के प्रासिद्ध एवं सबसे प्राचीन दर्शनिक प्लेटों के किटिक्स मिलती है। इसके अलावा कई और उदाहरण मिलते हैं जिससे विश्व को नीति कथाओं के मध्यम से जो अवदान प्राप्त हुऎ हैं उसकी जानकारी मिलती है।

उत्तर – लेखक मैक्समूलर के अनुसार हाथी – दाँत, बंदर, मोर और चंदन आदि जिस वास्तुओं के विषय में ओफिर से निर्यात की बात बाइबल में कही गई है वे वास्तुएं भारत के अलावा किसी अन्य देश से नहीं लाई जा सकती है। यहां तक की शाहनामा के रचनाकाल में भी भारत के साथ यूरोप के व्यापरिक संबंध बंद नहीं हुऎ थे।

उत्तर – भारत में ग्राम पंचायतों के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के लिए यूरोपीयों लोगों को लेखक ने अपना सुझाव दिया है। इसका मूल करण है, प्राचीन युग के कानून के पुराने रूप को जनने के लिए अत्यंत सरल और राजनीतिक इकाइयों का निर्माण विश्व की पुरी जानकारी प्राप्त के लिए ग्राम पंचायत के रूपरेखा को जनना अति अवशयक है। ग्रामीण शासन प्रणाली की जड़े लोक जीवन में दिखाई देती है। इसका बहुत बड़ा क्षेत्र गांव में है।

उत्तर – भारत में धर्म के वास्तविक उद्भव, उसके प्राकृतिक विकास तथा उसके अपरिहार्य क्षीयमाण रूप का प्रत्यक्ष परिचय मिल सकता है । भारत ब्राह्मण या वैदिक धर्म की भूमि है, बौद्ध धर्म की यह जन्मभूमि है, पारसियों के जरथुस्र धर्म की यह शरणस्थली है । आज भी यहाँ नित्यनये मत-मतान्तर प्रकट व विकसित होते रहते हैं ।

उत्तर – भारत की सांस्कृतिक और धर्मिक परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। प्राचीन के प्रति आस्था और विश्वास के भाव दिखते हैं। नवीनता के प्रति आग्रह भाव है। भारत एक प्रयोगशाला है। यहां पर किसी भी समस्या का सामाधन मिल सकता है। यहां संस्कृत भाषा और साहित्य में चिंतन की गहराई दिखाई है। भारत ही ऐसा देश है जहां मानव की निर्मलता और उदारता दिखाई पाड़ाती है। भारत प्राचीनता नवीनता के बीच खड़ी है। विभिन्न प्रमाणों के आधार पर, भाषा के आधार पर, साहित के आधार पर, कला और सांस्कृति के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि भारत अतीत और सुदूर भविष्य को जोड़ता है।

उत्तर – लेखक मैक्समूललर ने संस्कृत के विषय में कई विशेषताओं को स्पष्ट किया है। उनके अनुसार संस्कृत की पहली विशेषता इसकी प्राचीनता है। इसका काल अन्य भाषाओं से पुराना है। इसके वर्तमान रूप में भी अत्यंत प्राचीन तत्व भली भांति सुरक्षित है। संस्कृत के मदद से ग्रीक, लैटिन, गेयलिक और एंग्लो सेक्सन जैसी भाषाओं में उपस्थित समानता की समस्या को असानी से हल किया जा सकता है। संस्कृत और दूसरी आर्य भाषाओं में मानव जाति के संपूर्ण इतिहास को वस्तविकता रूप में प्रकट करके दिखलाया गया है जो सबके लिए अनुकरणीय है। मानव जाति का अतीत दर्शन उसकी प्राकृति का चित्रण हमें संस्कृत भाषा और उसका साहित्य ही कराता है।

उत्तर – लेखक ने संस्कृत भाषा और दूसरी आर्य भाषाओं के साहित्य को वस्तविक इतिहास मना है। लेखक के अनुसार संस्कृत भाषा का विपुल साहित्य उद्धार है, व्यापक विचारों वाला साहित्य है। इसमें मानव जाति के बारे में विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत किया किया है। संस्कृत भाषा ने अपनी उदारता का परिचय सारे विश्व को दिया है। संस्कृत ने एशिया की उपजाऊ भूमि, धर्म, कानून, विधि संहिता, रीति रीवाजों, परंपराओं, भाषाओं और लोगों के रंग रूप और आकर प्रकार से पूरे विश्व को परिचित कराया है।

उत्तर – संस्कृत और दूसरी आर्य भाषाओं के अध्ययन से पश्चिमी देशों के लोगों को भारत के विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी मिली है। वे भारत की भु संपदा, इतिहास, भूगोल, विज्ञान आदि विषयों के बरे में अच्छी तरह जान सके है। यहां के रीति रीवाज, लोक जीवन और प्राकृतिक रूपो की जानकारी इसके मध्यम से हुई है।

उत्तर – लेखक ने भारत के लिए नवागंतुक अधिकारियों को सर विलियम जॉन्स की तरह सपने देखने के लिए प्रेरित किया है। क्योंकी सर विलियम जॉन्स ने कोलकाता पहुंचने पर पाश्चात्य देशों के इतिहास और साहित्य के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक शनदार बड़ी-बड़ी सफलताएं प्राप्त की। उन्होंने अपने सपनों को साकार किया और भारतीय पुरातत्व इतिहास में योगदन कर मानव सभ्यता के इतिहास में एक नया अध्ययन जोड़ दिया।

उत्तर – लेखक ने नया सिकंदर नवागंतुक अधिकारियों को कहा है। लेखक यहां यह कहना चाहता है की नया सिकंदर भारत में आकर सर विलियम जॉन्स की तरह रचनात्मक काम करें। भारत के मिट्टी में बिखरे ज्ञान, संस्कृति और आक्रमणकारियों से बचे हुए स्मृति चिह्न को अन्वेषण की नजर से देखें, भारत में आकर अपने मन और ज्ञान का विस्तार करें।

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