जय हिन्द। इस पोस्ट में बिहार बोर्ड क्लास 10 हिन्दी किताब गोधूली भाग – 2 के पद्य खण्ड के पाठ दस ‘अक्षर ज्ञान’ के व्याख्या को पढ़ेंगे। इस कविता के कवयित्री अनामिका है । अनामिका ने इस पाठ में बच्चों के अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण-प्रक्रिया के कौतुकपूर्ण वर्णन चित्रण द्वारा गंभीर आशय व्यक्त की है।|(Bihar Board Class 10 Hindi अनामिका) (Bihar Board Class 10 Hindi अक्षर ज्ञान)(Bihar Board Class 10th Hindi Solution)
10. अक्षर ज्ञान ( Akshar Gyan )
अक्षर ज्ञान: कवयित्री परिचय
- कवयित्री का नाम – अनामिका
- जन्म – 17 अगस्त 1961
- जन्म स्थान – मुजफ्फरपुर, बिहार
- पिता का नाम – श्यामनंदन किशोर
- इनके पिता हिन्दी के गीतकार और बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष थे ।
- समय – समालीन कवयित्री
- M.A – दिल्ली विश्वविधालय, दिल्ली
- PhD – दिल्ली विश्वविधालय, दिल्ली
- वे सत्यवती कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में प्राध्यापिका हैं।
- अनामिका कविता और गद्य लेखन में एकसाथ सक्रिय हैं।
- वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों में लिखती हैं।
- प्रमुख रचनाएँ है –
- काव्य संकलन – ‘गलत पते की चिट्ठी’, ‘बीजाक्षर’, ‘अनुष्टुप’ आदि;
- आलोचना – ‘पोस्ट-एलिएट पोएट्री’, ‘स्त्रीत्व का मानचित्र’ आदि ।
- संपादन – ‘कहती हैं औरतें’ (काव्य संकलन) ।
- पुरस्कर –
- राष्ट्रभाषा परिषद् पुरस्कार,
- भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार,
- गिरिजा कुमार माथुर पुरस्कार,
- ऋतुराज साहित्यकार सम्मान
- प्रस्तुत कविता समसामयिक कवियों की चुनी गई कविताओं की चर्चित श्रृंखला ‘कवि ने कहा’ से ली गयी है।
अक्षर ज्ञान: पाठ परिचय
यह कविता बच्चों के अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण-प्रक्रिया के कौतुकपूर्ण वर्णन-चित्रण द्वारा कवयित्री गंभीर आशय व्यक्त कर देती हैं।
10. अक्षर – ज्ञान
चौखटे में नहीं अँटता
बेटे का ‘क’
कबूतर ही है न —
फुदक जाता है जरा-सा !
अर्थ – कवियित्री अनामिका बच्चों के अक्षरज्ञान के बारे में कहती है कि जब माता-पिता बच्चों के अक्षर सिखाना आरंभ करते हैं तब बाल्यावस्था के कारण बच्चा बड़ी कठिनाई से ‘क‘ वर्ण का लिख पाता है। बच्चा जब क लिखता है तो उससे सही से नहीं लिखा पता है। चौखटे में नहीं अटता है , बाहर निकल जाता है। बच्चा को लगता है की क से कबूतर है तो फुदक जाता है।
पंक्ति से उतर जाता है
उसका ‘ख’
खरगोश की खालिस बेचैनी में !
गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’
घड़े-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ’
अर्थ – इसके बाद ‘ख‘ वर्ण की बारी आती है। इस प्रकार ‘ग‘ तथा ‘घ‘ वर्ण भी सिखता है। लेकिन अबोधता के कारण बच्चा इन वर्णों को क्रम से नहीं बोल पाता। कभी ‘क‘ कहना भूल जाता है तो कभी ‘ख‘। ख से खरगोश को खालिस बेचनी है , इसलिए पंक्ति से उसका ख उतर जाता है , गमले से टूटता है उसका ग , और घड़े जैसा लुढ़कता है उसका घ। तात्पर्य यह कि व्यक्ति का प्रारंभिक जीवन सही-गलत के बीच झूलता रहता है। जैसे ‘क, ख, ग, घ‘ के सही ज्ञान के लिए बेचैन रहता है।
‘ङ’ पर आकर थमक जाता है
उससे नहीं सधता है ‘ङ’ ।
‘ङ’ के ‘ड’ को वह समझता है ‘माँ’
और उसके बगल के बिंदु (•) को मानता है
गोदी में बैठा ‘बेटा’
अर्थ – कवियित्री कहती है कि अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षा पानेवाला बच्चा ‘क‘ वर्ग के पंचमाक्षर वर्ण ‘ङ‘ का ‘ट‘ वर्ग का ‘ड‘ तथा अनुस्वार वर्ण को गोदी में बैठा बेटा मान लेता है। बच्चा को लगता है कि ‘ड‘ वर्ण के आगे अनुस्वार लगने के कारण ‘ङ‘ वर्ण बन गया।
माँ-बेटे सधते नहीं उससे
और उन्हें लिख लेने की
अनवरत कोशिश में
उसके आ जाते हैं आँसू ।
पहली विफलता पर छलके ये आँसू ही
हैं शायद प्रथमाक्षर
सृष्टि की विकास-कथा के ।
अर्थ – कवियित्री कहती हैं कि बच्चा ‘ङ‘ वर्ण का सही से नहीं लिख पाता है। वह बार-बार लिखता है, ताकि वह उसकी सही उच्चारण कर सके, लेकिन अपने को सही उच्चारण करने में असमर्थ जानकर रो पड़ता है। तात्पर्य यह कि अक्षर-ज्ञान जीवन की विकास-कथा का प्रथम सीढ़ी है।
अक्षर ज्ञान: पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. कविता में तीन उपस्थितियाँ हैं। स्पष्ट करें कि वे कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर – कविता में तीन उपस्थितियाँ है। प्रथम उपस्थिति में बेटा हिंदी वर्णमाला को देवनागरी लिपि में साधने चला है। उसकी उंगलियां अभी ठीक से साध नहीं पाई है। अतः जब वह क, ख, ग, घ, और ङ लिखता है तब उसके लिखावट बेहतरीन नहीं होते हैं। अक्सर टेढ़े मेढ़े हो जाते हैं।
कवित्री कविता दूसरी उपस्थिति में ङ नहीं लिख पाने के कारण बेटे की आंखों में छलकते हुए आंसुओं का वर्णन किया है। और तीसरी उपस्थिति में कवित्री ने निरर्थक का रूप में प्रस्तुत किया है कि पहली विफलता पर छलके हुए आँसू शायद सृष्टि की विकास गाथा के प्रथमाक्षर होते हैं।
प्रश्न 2. अक्षर ज्ञान: कविता में ‘क’ का विवरण स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – बेटा ‘क’ वर्ण साधने चला है। वह ‘क’ लिखा है पर उसका ‘क’ को वह चौखटे में नहीं लिख पाता है। ‘क’ तो कबूतर है इसलिए बेटा जब उसे लिखने चलता है तो वह थोड़ा सा फुद कर इधर – उधर हो जाता है।
प्रश्न 3. खालिस बेचैनी किसकी है? बेचैनी का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर – खालिस बेचैनी खरगोश को है। बेटा हिंदी वर्णमाला के ख वर्ण को साधने का प्रयास कर रहा है। वह ख वर्ण को देवनागरी लिपि में लिखता है। ख से उसे खरगोश की याद आती है उसका बालमन खरगोश को पाने के लिए। बेचैन हो जाता है। इसी बेचैनी में उसका ख्वाब रेखा के नीचे उतर कर बेडौल हो जाता है।
प्रश्न 4. अक्षर ज्ञान: बेटे के लिए ‘ङ’ क्या है और क्यों ?
उत्तर – बेटा ‘ङ’ लिखते समय वह ‘ड’ को माँ तथा उसके बगल में बिंदु (•) को बेटा मानता है। कवायित्री ने यहां पर बाल मनोविज्ञान को प्रस्तुत किया है। बालक माँ से बहुत ज्यादा जुड़ा होता है। हर सुख – दुख में माँ ही बालक के बहुत करीब होती है। यही कारण है कि जब बालक ‘ङ’ को देखता है तो उसमें माँ और स्वयं की उपस्थिति पाता है। बालक बिंदु बनकर अपनी माँ की गोद में बैठ जाता है। वह अपनी माँ की सुखद की स्मृति में खो जाता है। ज्ञान भाव से वह बड़ा परास्त हो जाता है।
प्रश्न 5. अक्षर ज्ञान: बेटे के आँसू कब आते हैं और क्यों ?
उत्तर – बेटा देवनागरी लिपि के वर्णों को साधने चला है। वह क, ख, ग, घ को किसी तरह लिख लेता है पर ‘ङ’ पर आकर रुक जाता है। उन ‘ङ’ में ‘ड’ जैसी आकृति को वह माँ मानता है और उसके बगल के बिंदु (•) को गोद में बैठा बेटा मानता है। माँ बेटा को बेटा साधने की लगातार कोशिश करता है। वह उसे साथ नहीं पाता है। अपने लाचारी और विफलता पर बेटे को आँसू आ जाते हैं। वह ‘ङ’ नहीं लिख पाने के कारण भीतर से दुखी हो जाता है और उसके आँखों से आँसू गिरने लगते हैं।
प्रश्न 6. अक्षर ज्ञान: कविता के अंत में कवयित्री ‘शायद’ अव्यय का क्यों प्रयोग करती हैं? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – कविता के अंत में कवित्री अनामिका अपने विचारों को प्रकट करते हुए कहती है कि जिस प्रकार अक्षर ज्ञान करते समय कोई बच्चा कई तरह के प्रयासों को करता है, उसी तरह मनुष्य ने भी अपने आरंभिक दिनों में प्रकृति के साथ संघर्ष किया होगा और विकास का मार्ग प्रशस्त किया होगा।
प्रश्न 7. अक्षर ज्ञान: कविता किस तरह एक सांत्वना और आशा जगाती है ? विचार करें ।
उत्तर – अक्षर ज्ञान शीर्षक कविता में सांत्वना और आशा का भाव प्रकट हुआ है। सांत्वना इस अर्थ में है कि बालक नहीं साधने के बावजूद अक्षरों को बार-बार साधता है। लगातार साधना सफलता की कुंजी है। आशा इस अर्थ में है कि बालक लगातार कोशिश करता है और बार-बार कोशिश करने के बावजूद जब वह अक्षर साधने में विफल हो जाता है तब उसके आँखों में आँसू आ जाते हैं और असफलता की स्थिति में आँखों में आँसू का आना निराश होने का भाव नहीं है। यह प्रेरणा का भाव है। यह सृष्टि की कहानी का प्रथम चरण है। सृष्टि की विकास पूर्णता विफलताओं के स्तंभ पर आधारित होती है।
प्रश्न 8. व्याख्या करें –
"गमले-सा टूटता हुआ उसका 'ग'
घड़े-सा लुढ़कता हुआ उसका 'घ'"
उत्तर – प्रस्तुत व्याख्यये पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक गोधूलि भाग 2 में संकलित अक्षर ज्ञान शीर्षक कविता से ली गई है, जिसके रचयित्री अनामिका है।
बालक अक्षर साधने चला है। वह ‘ग’ लिखता है पर उसे व्यवस्थित रूप से नहीं लिख पाता है। उसके द्वारा लिखा गया ‘ग’ टूटे हुए गमले के समान ऊपर नीचे हो जाता है। ग के बाद बालक ‘घ’ लिखने चलता है, वह ‘घ’ को ठीक से नहीं लिख पाता है। ’घ’ घड़े जैसा रेखा से नीचे लुढ़कता हुआ हो जाता है। अभी बालक की उंगलियां नहीं सधी है इसलिए वह ठीक से अक्षरों को साध नहीं पाता है।
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