जय हिन्द। इस पोस्ट में बिहार बोर्ड क्लास 10 हिन्दी किताब गोधूली भाग – 2 के पद्य खण्ड के पाठ नव ‘हमारी नींद’ के व्याख्या को पढ़ेंगे। इस कविता के कवि वीरेन डंगवाल जी है ।वीरेन डंगवाल जी ने इस पाठ में सुविधा भोगी आराम पसंद जीवन अथवा हमारी बेपरवाहीयां के बाहर विपरित परिस्थितियों से लगातार लड़ते-बढ़ते जानेवाले जीवन का चित्रण किया है।|(Bihar Board Class 10 Hindi वीरेन डंगवाल ) (Bihar Board Class 10 Hindi हमारी नींद )(Bihar Board Class 10th Hindi Solution)

9. हमारी नींद
हमारी नींद: कवि परिचय
- कवि का नाम – वीरेन डंगवाल
- जन्म 5 अगस्त 1947 ई०
- जन्म स्थान – कीर्तिनगर, टिहरी गढ़वाल, उत्तरांचल
- शुरुआती शिक्षा – मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली, नैनीताल में प्राप्त करने के बाद
- एम० ए० – इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया और यहीं से आधुनिक हिंदी कविता के मिथकों और प्रतीकों पर डी० लिट्ठ की उपाधि पायी।
- 1971 ई० से बरेली कॉलेज में अध्यापन करते रहे ।
- ये हिंदी और अंग्रेजी में पत्रकारिता भी करते हैं।
- इन्होंने इलाहाबाद से प्रकाशित ‘अमृत प्रभात’ में कुछ वर्षों तक ‘घूमता आईना’ शीर्षक से स्तंभ लेखन भी किया।
- वे दैनिक ‘अमर उजाला’ के संपादकीय सलाहकार भी हैं।
- सन् 1991 में उनका पहला कविता संग्रह ‘इसी दुनिया में’ प्रकाशित हुआ ।
- उन्होंने कविता में समाज के साधारण जनों और हाशिये पर स्थित जीवन के जो विलक्षण ब्यौरे और दृश्य रचे हैं।
- वे कविता में और कविता से बाहर भी बेचैन करने वाले हैं।
- ये प्रमुख समकालीन कवि है।
- पुरस्कर –
- साहित्य अकादमी – ( ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ काव्य संग्रह पर ) रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार – (‘इसी दुनिया में’ पर )
- श्रीकांत वर्मा स्मृति पुरस्कार
- सम्मान – कविता के लिए शमशेर सम्मान
- इन्होंने तुर्की के महाकवि नाजिम हिकमत की कविताओं के अनुवाद उन्होंने ‘पहल पुस्तिका’ के रूप में किया ।
- उन्होंने विश्वकविता से पाब्लो नेरुदा, वर्तोल्त ब्रेख्त, वास्को पोपा, मीरोस्लाव होलुब, तदेऊष रूजेविच आदि की कविताओं के अलावा कुछ आदिवासी लोक कविताओं के भी अनुवाद किए ।
- यह कविता कविताओं के संकलन ‘दुष्वक्र में स्रष्टा’ से प्रस्तुत है।
हमारी नींद: पाठ परिचय
यह कविता सुविधाभोगी आराम पसंद जीवन अथवा हमारी बेपरवाहियों के बाहर विपरीत परिस्थितियों से लगातार लड़ते हुए बढ़ते जानेवाले जीवन का चित्रण करती है।
9. हमारी नींद
मेरी नींद के दौरान
कुछ इंच बढ़ गए पेड़
कुछ सूत पौधे
अंकुर ने अपने नाममात्र कोमल सींगों से
धकेलना शुरू की
बीज की फूली हुई
छत, भीतर से ।
अर्थ – कवि कहता है कि मनुष्य सुविधा भोगी बनकर आराम की नींद सोता है लेकिन प्रकृति विकास क्रम को अनवरत जारी रखती है। हमारे नींद के दौरान कुछ इंच पेड़ तथा कुछ सुत पौधे बढ़ जाते हैं। बीज अंकुरित होकर अपनी कोपलों को धकेलना शुरू कर देता है।
एक मक्खी का जीवन-क्रम पूरा हुआ
कई शिशु पैदा हुए, और उनमें से
कई तो मारे भी गए
दंगे, आगजनी और बमबारी में ।
अर्थ – कवि एक मक्खी के जीवन चक्र के माध्यम से दीन-हीन लोगों के जीवन के दशा के विषय में कहता है कि उसके बच्चे दीनता के कारण या तो मर गये अथवा अत्याचारियों के कोप के शिकार हो गये, जो दंगे आगजनी और बमबारी में मारे गये।
गरीब बस्तियों में भी
धमाके से हुआ देवी जागरण
लाउडस्पीकर पर ।
अर्थ – पुनः कवि कहता है कि जहाँ झोपड़ी में रहने वाले गरीब लोग हैं, जो केवल किसी तरह से अपने पेट की आग शांत करने के अपेक्षा कुछ नहीं जानते हैं वहाँ भी विलासी लोग देवी जागरण तथा अन्य ढ़ोंगी कार्यक्रम की आड़ में लाउडस्पीकर बजवाकर ठगने का कार्य करते हैं।
याने साधन तो सभी जुटा लिए हैं अत्याचारियों ने
मगर जीवन हठीला फिर भी
बढ़ता ही जाता आगे
हमारी नींद के बावजूद
अर्थ – कवि कहता है कि अत्याचारी सूख-भोग के सारे साधन जमा करने के बावजूद अपने हठी स्वभाव के कारण अन्याय बंद करना नहीं चाहते। उनका जुल्म बढ़ता ही जा रहा है।
और लोग भी हैं, कई लोग हैं
अभी भी
जो भूले नहीं करना
साफ और मजबूत
इनकार ।
अर्थ — कवि कहता है कि आज भी वैसे अनेक लोग हैं जो अपनी सुविधा का त्याग करना नहीं चाहते तो जनता अत्याचारियों के जुल्म का विरोध करने से इनकार करना नहीं भूलती।
हमारी नींद: पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. कविता के प्रथम अनुच्छेद में कवि एक बिम्ब की रचना करता है। उसे स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – कविता के प्रथम अनुच्छेद में कवि वीरेन डंगवाल ने एक बिम्ब की कल्पना की है और उस बिम्ब को स्पष्ट करते हुए कहा है कि सुविधाभोगी, आरामपसंद, जीवन अथवा हमारी बेपरवाहियों के बाहर विपरीत परिस्थितियों से लगातार बढ़ते हुए जीवन भी होते हैं। हम जिस समय सोए रहते हैं उस समय हमारा जीवन सोया नहीं रहता। वह अपनी स्वाभाविक गति से निरंतर विकास की ओर अग्रसर होता है। इस प्रकार प्रथम अनुच्छेद में कवि ने प्रकृति की विकास लीला का और जीवन के निरंतरता का चित्रण किया है।
प्रश्न 2. मक्खी के जीवन-क्रम का कवि द्वारा उल्लेख किए जाने का क्या आशय है ?
उत्तर – कवि डंगवाल ने हमारी नींद शीर्षक कविता में एक मक्खी के जीवन क्रम का उल्लेख किया है। एक मक्खी पैदा होती है, बड़ी होती है और वहां अनेक शिशुओं को पैदा कर मर जाती है। यह क्रम लगातार चलता रहता है। पैदा होने और पैदा करने के क्रम के पीछे जो उद्देश्य होता है, उससे मक्खी परिचित नहीं होती। वह केवल एक प्राकृतिक प्रवृत्ति का अनुसरण करती है। मनुष्य भी पैदा होते हैं, पैदा करते हैं और मर जाते हैं। यह क्रम चलता रहता है। पैदा होने और पैदा करने के पीछे के उद्देश्य से मनुष्य प्रायः परिचित नहीं होते हैं। यही मनुष्य की नींद है । जीवन हटीला होता है। वह नींद के बावजूद लगातार चलता रहता है।
प्रश्न 3. कवि गरीब बस्तियों का क्यों उल्लेख करता है ?
उत्तर – हमारी नींद शीर्षक कविता में कवि ने गरीब बस्तियों का उल्लेख किया है। कवि ने गरीब बस्तियों में लाउडस्पीकर पर धमाके से होने वाले देवी जागरण की चर्चा की है। यहां पर कवि एक प्रश्न करता है कि गरीब गरीब क्यों है? इसका उत्तर देते हुए कवि कहता है कि उनके अज्ञानता ने उन्हें गरीब बना रखा है। वह अत्याचार सहते रहे क्योंकि वह सोए हुए थे। देवी जागरण के माध्यम से कवि उन बस्तियों में चेतना आने की सूचना देता है।
प्रश्न 4. कवि किन अत्याचारियों का और क्यों जिक्र करता है ?
उत्तर – कवि ने सांप्रदायिक – विद्वेष को आधार बनाकर अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए अत्याचार करने वालों का जिक्र किया है। समाज नींद में होता है और ऐसे सांप्रदायिक अत्याचारी समाज की उस नींद का फायदा उठाकर अपने स्वार्थ का खेल खेलते हैं। दंगे , आगजनी और बमबारी से यह सामाजिक व्यवस्था को नष्ट कर डालते हैं। कवि हमें नींद से जागने की सलाह देता है। अत्याचारियों की अत्याचार से त्रस्त होकर हमें उनसे समझौता नहीं करनी चाहिए । अपितु मजबूती के साथ उनका प्रतिरोध करना चाहिए।
प्रश्न 5. इनकार करना न भूलने वाले कौन हैं? कवि का भाव स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – सुविधाभोगी वर्ग अपने परिवेश की हलचल से बेपरवाह होता है। उसे तो सुख चाहिए और आराम की जिंदगी भी। इसलिए यह वर्ग हर गलत के साथ समझौता करता है। उसमें गलत को नकारने की क्षमता नहीं होती। इसके विपरीत एक वर्ग और होता है जो अपने स्वाभिमान की सुरक्षा पर ही बल देता है। वह अन्याय और अनैतिकता का बहिष्कार करता है।
प्रश्न 6. कविता के शीर्षक की सार्थकता पर विचार कीजिए ।
उत्तर – नींद ही इस कविता का केंद्रीय विषय है। यह शीर्षक सटीक और सार्थक है। हम नींद में होते हैं तो इसका मतलब यह नहीं होता कि हमारे जीवन का विकास क्रम रुक गया है। हमारी नींद और जागरण के बीच जीवन , विकास की कई पड़ाव को पार कर चुका होता है और हमें इसका अनुभव भी नहीं होता। जीवन प्रतिपल गतिशील है। वह कई अवरोधों के बाद भी रुकता नहीं है। कवि ने इसी तथ्य को आधार बनाकर इस कविता का शीर्षक हमारी नींद रखा है जो कविता के अनुकूल तथा प्रतीकात्मक है।
प्रश्न 7. व्याख्या करें
(क) गरीब बस्तियों में भी धमाके से हुआ देवी जागरण लाउडस्पीकर पर ।
उत्तर – प्रस्तुत व्याख्यये पंक्तियां हमारे पाठ्य पुस्तक गोधूलि भाग 2 में संकलित हमारी नींद शीर्षक कविता से ली गई है जिसके रचयिता समकालीन कवि वीरेन डंगवाल है।
इन पंक्तियों में कवि ने गरीब बस्तियों में लाउडस्पीकर पर धमाके से होने वाले देवी जागरण की ओर संकेत किया है। कवि कहता है कि गरीब गरीब थे क्योंकि वह अज्ञानी थे और इसी अज्ञानता ने उन्हें गरीब बनाए हुए था। वह सोए हुए थे। इसीलिए अत्याचारियों का अत्याचार सहते रहे। बस्तियों में होने वाले देवी जागरण उनके जागरूकता का प्रमाण है।
(ख) याने साधन तो सभी जुटा लिए हैं अत्याचारियों ने
उत्तर – प्रस्तुत व्याख्यये पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक गोधूलि भाग 2 में संकलित हमारी नींद शीर्षक कविता से ली गई है, जिसके रचनाकार समकालीन कवि वीरेन डंगवाल हैं।
यहां पर कवि यह स्पष्ट किया है कि अत्याचारियों के अत्याचार के बावजूद यह जीवन अपने रास्ते चलता रहता है। इस दौरान वो रास्ते में आई बाधाओं पर भी ध्यान नहीं देता क्योंकि उसका स्वभाव निरंतर आगे बढ़ने का है। हम अपनी अज्ञानता और सोच के कारण जीवन पर अनेक अत्याचार करते हैं पर जीवन इन चीजों पर ध्यान नहीं देता। वह अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए तत्पर रहता है।
(ग) हमारी नींद के बावजूद
उत्तर – प्रस्तुत व्याख्यये पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक गोधूलि भाग 2 में संकलित हमारी नींद शीर्षक कविता से ली गई है, जिसके रचनाकार समकालीन कवि वीरेन डंगवाल हैं।
यहाँ पर कवि इस बात की ओर संकेत करता है कि हम जिस समय सोए रहते हैं उस समय हमारा जीवन सोया नहीं रहता है। वह निरंतर विकास की दिशा में अग्रसर होता है। हमारी नींद के बावजूद भी प्रकृति की लीलाएं चलती रहती है। अर्थात् जीवन चक्र निरंतर प्रगति की दिशा में अग्रसर होता है।
प्रश्न 8.कविता में एक शब्द भी ऐसा नहीं है जिसका अर्थ जानने की कोशिश करनी पड़े। यह कविता की भाषा की शक्ति है या सीमा ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – यह भाषा की शक्ति है जो अपने साधारण अर्थ से सबकुछ समझाने में सफल हो जाती है। सीमा का रूपान्तर नहीं होता है किन्तु भाषा का रूपान्तर कविता की सौष्ठवता को प्रदर्शित करने में समर्थ हो जाती है।