हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा पर प्रकाश डालिए।

हिन्दी साहित्य के इतिहास-लेखन की परंपरा पर प्रकाश डालिए हिन्दी साहित्य का इतिहास-लेखन हिन्दी भाषा, साहित्यिक प्रवृत्तियों, और सांस्कृतिक परंपराओं …

Read more

काल-विभाजन का आधार स्पष्ट कीजिए।

काल-विभाजन का आधार स्पष्ट कीजिए हिन्दी साहित्य में काल-विभाजन का उद्देश्य साहित्यिक प्रवृत्तियों, सांस्कृतिक परिस्थितियों, और ऐतिहासिक संदर्भों के आधार …

Read more

हिन्दी साहित्य के इतिहास-लेखन की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिए।

हिन्दी साहित्य का इतिहास-लेखन साहित्यिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल हमारी साहित्यिक धरोहर को …

Read more

भ्रमरगीत की भावभूमि पर संक्षिप्त टिप्पणी

भ्रमरगीत की भावभूमि भ्रमरगीत संस्कृत साहित्य की एक प्रसिद्ध काव्य रचना है, जिसे प्राचीन भारतीय काव्यशास्त्र में विशेष स्थान प्राप्त …

Read more

श्रीरामचरितमानस पर संक्षिप्त टिप्पणी

श्रीरामचरितमानस परिचय: श्रीरामचरितमानस तुलसीदास की एक महान काव्य रचना है, जो हिन्दी साहित्य का अभिन्न हिस्सा मानी जाती है। तुलसीदास …

Read more

“रावरे रूप की रीति अनूप नयो नयो लागत ज्यों-ज्यों निहारिए। त्यों इन आँखिन बननि अनोखी अघानि कहूँ नहीं आन तिहारिए।।” सप्रसंग व्याख्या।

संदर्भ: यह पंक्ति बिहारीलाल की प्रसिद्ध कृति “बिहारी सतसई” से ली गई है। बिहारीलाल हिंदी साहित्य के रीतिकाल के प्रमुख …

Read more

“परबत समुद्र अगम बिच, बीहड़ बन बनढांख। किमि कै भेंटौ कंत तुम्ह? ना मोहि पांव न पांख।।”

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्ति मलिक मोहम्मद जायसी की महाकाव्य रचना “पद्मावत” से ली गई है। यह पंक्ति नागमती के उस विरह-वर्णन …

Read more

“निर्गुन कौन देस को बासी? को है जनक, जननि को कहियत, कौन नारि को दासी?” सप्रसंग व्याख्या

संदर्भ: प्रस्तुत पंक्ति संत कबीरदास की साखियों से ली गई है। कबीरदास भक्ति आंदोलन के महान संत और समाज सुधारक …

Read more