‘रैदास की भक्ति भावना’ पर टिप्पणी
रैदास (या रविदास) भक्ति काल के महान संत-कवि थे, जिन्होंने हिंदी साहित्य को न केवल भाव-समृद्ध रचनाएँ दीं, बल्कि सामाजिक …
रैदास (या रविदास) भक्ति काल के महान संत-कवि थे, जिन्होंने हिंदी साहित्य को न केवल भाव-समृद्ध रचनाएँ दीं, बल्कि सामाजिक …
संदर्भ: यह पद रीतिकालीन कवि घनानंद की कविता से लिया गया है। वे श्रृंगारिक भावनाओं को भक्ति में रूपांतरित करने …
संदर्भ:यह दोहा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के आरंभिक बालकांड के मंगलाचरण का एक हिस्सा है। यह पंक्ति तुलसीदास जी …
सूरदास हिंदी साहित्य के भक्ति काल के महानतम कवियों में गिने जाते हैं। उनका काव्य “सूरसागर” में संकलित है, जिसमें …
कबीर भारतीय समाज के उन अद्वितीय संत-कवियों में से हैं, जिनकी वाणी केवल आध्यात्मिक चिंतन तक सीमित नहीं रही, बल्कि …
मलिक मुहम्मद जायसी की रचना पद्मावत हिंदी साहित्य में प्रेम और विरह की गहराइयों को छूने वाली एक अमूल्य कृति …
धर्म और संस्कृति, दोनों ऐसे सामाजिक घटक हैं जो मानव जीवन को गहराई से प्रभावित करते हैं। ये दोनों न …
रोलां बार्थ (Roland Barthes) 20वीं सदी के एक प्रमुख फ्रांसीसी साहित्यिक सिद्धांतकार, आलोचक, दार्शनिक और सांस्कृतिक चिन्तक थे। वे साहित्य, …
अनुभववाद एक ऐसा दार्शनिक दृष्टिकोण है, जो ज्ञान की प्राप्ति में अनुभव को प्रमुख आधार मानता है। इसे अंग्रेजी में …
साहित्य और पाठक समुदाय का संबंध अत्यंत घनिष्ठ और जटिल होता है। साहित्य अपने आप में एक रचनात्मक और वैचारिक …