भूमंडलीकरण के दौर में भारतीय संस्कृति के बदलते स्वरूप का वर्णन

भारतीय संस्कृति एक जीवंत, समृद्ध और विविधता से भरपूर संस्कृति रही है, जिसकी जड़ें हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता में हैं। …

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“साहित्य के संस्कृतिमूलक अध्ययन की प्राच्यवादी दृष्टि पर प्रकाश डालिए।”

प्रस्तावना: साहित्य और संस्कृति के संबंध को समझना हो तो यह स्वीकार करना होगा कि साहित्य केवल कला या भाषा …

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“विधेयवाद क्या है? साहित्य के समाजशास्त्रीय अध्ययन में यह कहाँ तक उपयोगी है? विवेचना कीजिए।”

विधेयवाद (Positivism) एक ऐसी विचारधारा है जो समाज को वैज्ञानिक पद्धति से समझने और व्याख्यायित करने का पक्ष लेती है। …

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समाजशास्त्रीय दृष्टि से साहित्य के अध्ययन की भारतीय परम्परा

भारतीय समाज में साहित्य का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। यह केवल कला, कल्पना या भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम …

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आंचलिक उपन्यास पर टिप्पणी

हिन्दी साहित्य में ‘आंचलिक उपन्यास’ एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति के रूप में उभरे, जिनका मुख्य उद्देश्य भारत के ग्रामीण जीवन, स्थानीयता, …

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