‘लोकप्रिय साहित्य का समाजशास्त्र’ पर टिप्पणी
लोकप्रिय साहित्य का समाजशास्त्र एक ऐसा विषय है जो साहित्य और समाज के बीच के पारस्परिक संबंध को गहराई से …
लोकप्रिय साहित्य का समाजशास्त्र एक ऐसा विषय है जो साहित्य और समाज के बीच के पारस्परिक संबंध को गहराई से …
भारतीय संस्कृति एक जीवंत, समृद्ध और विविधता से भरपूर संस्कृति रही है, जिसकी जड़ें हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता में हैं। …
प्रस्तावना: साहित्य और संस्कृति के संबंध को समझना हो तो यह स्वीकार करना होगा कि साहित्य केवल कला या भाषा …
विधेयवाद (Positivism) एक ऐसी विचारधारा है जो समाज को वैज्ञानिक पद्धति से समझने और व्याख्यायित करने का पक्ष लेती है। …
साहित्य और समाज का संबंध अत्यंत घनिष्ठ एवं परस्पर पूरक है। साहित्य समाज का दर्पण कहा गया है क्योंकि यह …
भारतीय समाज में साहित्य का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। यह केवल कला, कल्पना या भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम …
प्रवासी साहित्य हिन्दी साहित्य की वह शाखा है, जिसे देश छोड़कर विदेशों में बस चुके भारतीयों द्वारा रचा गया है। …
हिन्दी साहित्य में ‘आंचलिक उपन्यास’ एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति के रूप में उभरे, जिनका मुख्य उद्देश्य भारत के ग्रामीण जीवन, स्थानीयता, …
नई कहानी आंदोलन हिन्दी कथा साहित्य का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जो 1950 के दशक के उत्तरार्ध में उभरा। यह …
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी साहित्य के प्रमुख निबंधकार, आलोचक और विचारक थे। उन्होंने हिन्दी निबंध को एक गंभीर, विचारशील और …