प्रभा खेतान पर टिप्पणी

प्रभा खेतान भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली स्त्री लेखिका के रूप में जानी जाती हैं। उनकी रचनाएँ न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं, बल्कि वे समाज में स्त्रियों की स्थिति, उनके अधिकारों और उनके संघर्षों को भी उजागर करती हैं। प्रभा खेतान का लेखन नारीवादी दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है, जो स्त्रियों के आत्मनिर्भरता, उनकी पहचान और उनके संघर्षों को प्रमुखता से दर्शाता है।


जीवन परिचय

प्रभा खेतान का जन्म 1936 में राजस्थान के जोधपुर में हुआ था। वे एक प्रतिष्ठित व्यवसायी परिवार से आती थीं, लेकिन उनका जीवन केवल परिवार और समाज के पारंपरिक दायरों में सीमित नहीं था। वे एक साहित्यकार, समाजसेवी और स्त्री चेतना की प्रबल समर्थक थीं। उनका लेखन न केवल महिलाओं के लिए प्रेरणादायक था, बल्कि उन्होंने अपने कार्यों के माध्यम से समाज के अन्य वंचित वर्गों के मुद्दों को भी उजागर किया।


लेखन की विशेषताएँ

प्रभा खेतान की रचनाएँ स्त्री जीवन, उसके संघर्ष और उसकी पहचान के इर्द-गिर्द घूमती हैं। उनके लेखन में समाज में महिलाओं को मिल रही असमानता, उत्पीड़न और उनके आत्मनिर्भरता के प्रयासों का स्पष्ट चित्रण मिलता है। उनके साहित्य में स्त्री के अस्तित्व, उसके दमन और उसकी मुक्ति की लालसा की गहरी समझ है।

1. “अन्या से अनन्या”

प्रभा खेतान की आत्मकथा ‘अन्या से अनन्या’ एक महत्वपूर्ण रचना है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष और स्त्री के भीतर की पहचान को गहराई से प्रस्तुत किया है। इस आत्मकथा में प्रभा खेतान ने अपनी निजी जीवन की कठिनाइयों, आत्ममूल्यांकन और समाज के प्रति अपने दृष्टिकोण को साझा किया है। यह आत्मकथा न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा का दस्तावेज है, बल्कि यह एक समाज की स्त्रियों के आत्मनिर्भरता की यात्रा भी है।

2. स्त्रीवाद और नारी स्वतंत्रता

प्रभा खेतान के साहित्य में स्त्रीवाद की गहरी छाप है। वे मानती थीं कि महिलाओं को उनके अधिकार मिलना चाहिए, और उन्हें समाज के हर क्षेत्र में समान अवसर मिलना चाहिए। उनका लेखन न केवल महिलाओं के अधिकारों की बात करता है, बल्कि यह भी बताता है कि महिलाएँ अपनी वास्तविक पहचान को कैसे पा सकती हैं।

3. सामाजिक दृष्टिकोण

प्रभा खेतान ने अपने लेखन में न केवल स्त्री के मुद्दों को उठाया, बल्कि उन्होंने समाज की अन्य समस्याओं, जैसे जातिवाद, गरीबी और असमानता पर भी प्रकाश डाला। उनके साहित्य में समाज के हर वर्ग की आवाज गूंजती है।


प्रभा खेतान की लेखनी का प्रभाव

प्रभा खेतान का लेखन न केवल महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत था, बल्कि उसने समाज में एक गहरी चेतना जगाने का काम किया। उनकी रचनाएँ यह संकेत देती हैं कि एक महिला को केवल समाज की परिभाषाओं में नहीं बांधा जा सकता। प्रभा खेतान का साहित्य नारीवाद, स्वतंत्रता, और समानता के संदेशों को विस्तारित करता है।


निष्कर्ष

प्रभा खेतान भारतीय साहित्य की एक महत्वपूर्ण स्त्री लेखिका थीं, जिन्होंने न केवल स्त्री जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया, बल्कि समाज में महिलाओं के अधिकारों की पहचान को भी प्रमुखता दी। उनका लेखन नारीवाद के सिद्धांतों को एक नई दिशा प्रदान करता है। आज भी प्रभा खेतान का साहित्य स्त्री लेखन की एक प्रेरणा है और उनकी रचनाएँ महिलाओं के आत्मसाक्षात्कार और उनकी स्वतंत्रता की कहानी को जीवित रखती हैं।

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